भागलपुर: बिहार के भागलपुर में अब तक के सबसे बड़े घोटाले सृजन घोटाला को लेकर एक बार फिर सीबीआई सक्रिय (CBI Investigation in Srijan scam) दिख रही है. बहुचर्चित सृजन घोटाले (Famous Scam of Bhagalpur) के आरोपित दंपति अमित और प्रिया के लगातार फरार रहने के बाद अब उनके फ्लैट और अन्य जगहों पर सीबीआई के द्वारा इस्तेहार चिपकाया गया है. और उनके कई ठिकानों को सील किया गया है.
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सृजन घोटाल में एक बार फिर एक्टिव हुई CBI: बताते चलें कि प्रवर्तन निदेशक संतोष कुमार मंडल के नेतृत्व में गुरुवार को सृजन घोटाले के आरोपी दंपति अमित और प्रिया के अरबों की संपत्ति पर सीबीआई ने उनके 10 जगहों पर अधिग्रहण पर कार्रवाई करते हुए सबौर अंतर्गत रजंदीपुर, अंग बिहार अपार्टमेंट, कई फ्लैट, इंजीनियरिंग कॉलेज भागलपुर के पास के भवन, कई खाली जगहों पर प्लॉट आदि को सील किया गया. कई जगहों पर इस्तेहार भी चिपकाया गया.
सृजन घोटाला में CBI जांच तेज : बिहार के सबसे बड़े घोटाला सृजन घोटाला में अभी तक कई आरोपी की इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट की तरफ से कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की गई है, जिसमें मुख्य रुप से पी के घोष, विपिन शर्मा के साथ-साथ दो आरोपी और हैं. सृजन घोटाला बिहार का सबसे बड़े घोटाले के रूप में पूरे देश में जाना जाता है जिसमें सरकारी पैसे का गलत तरीके से निजी कार्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था.
घोटाले में कई लोग हो चुके हैं गिरफ्तार: सृजन घोटाल में कई बड़े पदाधिकारी की संलिप्तता की बात सामने आई थी. बड़े सफेदपोश नेता भी इसमें चर्चा में आए थे. इसी वजह से सीबीआई की जांच सृजन घोटाले में धीमी हो गई थी. आम लोगों के बीच चर्चा आम है कि सरकार की मिलीभगत की वजह से ही इस घोटाले में सही से सीबीआई के द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है.
चर्चित घोटाला है सृजन घोटाला: गौरतलब है कि सृजन घोटाले में इससे पहले भी अंग अपार्टमेंट के कई कमरों को सील किया गया था. इस घोटाले में अमित एवं प्रिया की संलिप्तता को देखते हुए सीबीआई ने चार्जशीट भी जारी किया था. जिसके बाद अमित और प्रिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुई लेकिन आरोपित फरार हैं और उसका कहीं अता-पता नहीं चल पा रहा है. इसी बाबत सीबीआई की टीम ने उनकी फाइल को फिर से खंगालना शुरू किया और भागलपुर सबौर ब्लाक अंतर्गत फतेहपुर स्थित अंग बिहार अपार्टमेंट के अलावे कई जगहों पर इश्तहार चिपकाया गया.
2017 में घोटाले का हुआ था पर्दाफाश: साल 2017 में घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ, जब जिला तत्कालीन जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी बैंक चेक पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण वापस कर दिया गया. अनुमान के मुताबिक सृजन घोटाले में सरकार को 5000 करोड़ से अधिक की क्षति हुई. घोटाले की जांच आज की तारीख में सीबीआई कर रही है और कई सफेदपोश और बड़ी मछलियां कार्रवाई की जद से बाहर है.
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