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आईएमएफ और एडीबी के बाद आरबीआई ने भी घटाया भारत का जीडीपी अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है. वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है.

आईएमएफ और एडीबी के बाद आरबीआई ने भी घटाया भारत का जीडीपी का अनुमान
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Published : Oct 4, 2019, 2:03 PM IST

Updated : Oct 4, 2019, 3:19 PM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान शुक्रवार को घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया. पहले यह 6.9 प्रतिशत रखा गया था. उसने उम्मीद जतायी है कि वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में सुधार होगा.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद केंद्रीय बैंक का जीडीपी वृद्धि दर के बारे में यह ताजा अनुमान आया है. निजी क्षेत्र की खपत और निवेश में नरमी को इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें- आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार घटाई ब्याज दरें, रेपो रेट हुआ 5.15 फीसदी

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सरकार ने कई प्रोत्साहन उपाय किए हैं. इनमें कारपोरेट कर में 10 प्रतिशत तक की भारी कटौती जैसे प्रावधान शामिल हैं. इसके अलावा सरकार ने बैंकों में पूंजी डालने की भी घोषणा की है. चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा शुक्रवार को की गयी. इसमें केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सरकार के प्रोत्साहन उपायों, नीतिगत दरों में कटौती और अनुकूल बुनियादी कारकों के चलते हर तिमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुधरेगी.

रिजर्व बैंक ने 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर के सात प्रतिशत पर वापस लौटने का अनुमान जताया है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि निकट अवधि में अर्थव्यवस्था का सफर कई जोखिमों से भरा है. वृद्धि अनुमान में इस बड़ी कटौती की वजह बताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि निजी क्षेत्र की खपत और निवेश उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ सकी.

वहीं, वैश्विक व्यापार में नरमी के दबाव से निर्यात की रफ्तार खो गयी. मौद्रिक नीति के अनुसार, "आधारभूत आकलनों, सर्वेक्षण के संकेतकों, बुनियादी कारकों और फरवरी से रेपो दर में की जा रही कटौती को ध्यान में रखते हुए 2019-20 में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जोखिमों का समान रूप से संतुलन करने के साथ यह दूसरी तिमाही में 5.3 प्रतिशत, तीसरी में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रह सकती है."

रपट में कहा गया है कि व्यापार तनाव बढ़ने, नो-डील ब्रेक्जिट समझौता नहीं होने और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने से बुनियादी विकास के रास्ते में जोखिम बना है. हालांकि, अगस्त-सितंबर में निवेश और वृद्धि बढ़ाने के सरकार के उपायों, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में सुधार सरकारी बैंकों में पूंजी डालने और सरकारी बैंकों के विलय से जीडीपी वृद्धि दर की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है.

इसके अलावा निर्यात और रीयल एस्टेट को प्रोत्साहन, कारपोरेट आयकर की दर में कमी, दबाव वाली परिसंपत्तियों के तेजी से समाधान और रेपो दर में कटौती का लाभ तेजी से नीचे तक पहुंचाने से वृद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी. रिजर्व बैंक द्वारा पेशेवर आकलनकर्ताओं के बीच कराए गए छमाही सर्वेक्षण में भी जीडीपी वृद्धि दर अनुमान 6.1 प्रतिशत पर रहा. 2020-21 के लिए यह सात प्रतिशत तक पहुंचा है.

यह केंद्रीय बैंक के स्वयं के अनुमान के मुताबिक है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बार-बार कहा है कि जब भी गुंजाइश होगी केंद्रीय बैंक वृद्धि संबंधी चिंताओं को दूर करने और अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद करता रहेगा.

बता दें कि पिछली मौद्रिक नीति समिति बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया था.

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक ने भी वित्त वर्ष के लिए भारत का जीडीपी विकास अनुमान घटाकर क्रमश: 6.7 और 6.5 फीसदी कर दिया था

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान शुक्रवार को घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया. पहले यह 6.9 प्रतिशत रखा गया था. उसने उम्मीद जतायी है कि वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में सुधार होगा.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद केंद्रीय बैंक का जीडीपी वृद्धि दर के बारे में यह ताजा अनुमान आया है. निजी क्षेत्र की खपत और निवेश में नरमी को इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें- आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार घटाई ब्याज दरें, रेपो रेट हुआ 5.15 फीसदी

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सरकार ने कई प्रोत्साहन उपाय किए हैं. इनमें कारपोरेट कर में 10 प्रतिशत तक की भारी कटौती जैसे प्रावधान शामिल हैं. इसके अलावा सरकार ने बैंकों में पूंजी डालने की भी घोषणा की है. चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा शुक्रवार को की गयी. इसमें केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सरकार के प्रोत्साहन उपायों, नीतिगत दरों में कटौती और अनुकूल बुनियादी कारकों के चलते हर तिमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुधरेगी.

रिजर्व बैंक ने 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर के सात प्रतिशत पर वापस लौटने का अनुमान जताया है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि निकट अवधि में अर्थव्यवस्था का सफर कई जोखिमों से भरा है. वृद्धि अनुमान में इस बड़ी कटौती की वजह बताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि निजी क्षेत्र की खपत और निवेश उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ सकी.

वहीं, वैश्विक व्यापार में नरमी के दबाव से निर्यात की रफ्तार खो गयी. मौद्रिक नीति के अनुसार, "आधारभूत आकलनों, सर्वेक्षण के संकेतकों, बुनियादी कारकों और फरवरी से रेपो दर में की जा रही कटौती को ध्यान में रखते हुए 2019-20 में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जोखिमों का समान रूप से संतुलन करने के साथ यह दूसरी तिमाही में 5.3 प्रतिशत, तीसरी में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रह सकती है."

रपट में कहा गया है कि व्यापार तनाव बढ़ने, नो-डील ब्रेक्जिट समझौता नहीं होने और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने से बुनियादी विकास के रास्ते में जोखिम बना है. हालांकि, अगस्त-सितंबर में निवेश और वृद्धि बढ़ाने के सरकार के उपायों, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में सुधार सरकारी बैंकों में पूंजी डालने और सरकारी बैंकों के विलय से जीडीपी वृद्धि दर की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है.

इसके अलावा निर्यात और रीयल एस्टेट को प्रोत्साहन, कारपोरेट आयकर की दर में कमी, दबाव वाली परिसंपत्तियों के तेजी से समाधान और रेपो दर में कटौती का लाभ तेजी से नीचे तक पहुंचाने से वृद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी. रिजर्व बैंक द्वारा पेशेवर आकलनकर्ताओं के बीच कराए गए छमाही सर्वेक्षण में भी जीडीपी वृद्धि दर अनुमान 6.1 प्रतिशत पर रहा. 2020-21 के लिए यह सात प्रतिशत तक पहुंचा है.

यह केंद्रीय बैंक के स्वयं के अनुमान के मुताबिक है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बार-बार कहा है कि जब भी गुंजाइश होगी केंद्रीय बैंक वृद्धि संबंधी चिंताओं को दूर करने और अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद करता रहेगा.

बता दें कि पिछली मौद्रिक नीति समिति बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया था.

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक ने भी वित्त वर्ष के लिए भारत का जीडीपी विकास अनुमान घटाकर क्रमश: 6.7 और 6.5 फीसदी कर दिया था

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आईएमएफ और एडीबी के बाद आरबीआई ने भी घटाया भारत का जीडीपी का अनुमान

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है. वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है. 

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया. जीडीपी अनुमान घटने से मोदी सरकार के 2025 तक पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के सपने को झटका लग सकता है.

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बता दें कि पिछली मौद्रिक नीति समिति बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया था. 

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक ने भी वित्त वर्ष के लिए भारत का जीडीपी विकास अनुमान घटाकर क्रमश: 6.7 और 6.5 फीसदी कर दिया था.


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Last Updated : Oct 4, 2019, 3:19 PM IST
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