पटना/नई दिल्लीः बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका दो वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी ने की थी. आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है :-
- सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
- 7 दिनों में जवाब देने को कहा है.
- केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है.
- 10 दिन बाद मामले की अगली सुनवाई होगी.
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SC issues notice to Centre, Bihar & Uttar Pradesh govts asking them to file affidavits within 7 days giving details of facilities dealing with public health, nutrition and sanitation, for treatment of children suffering from Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur. pic.twitter.com/7eyytB2lQM
— ANI (@ANI) June 24, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) June 24, 2019SC issues notice to Centre, Bihar & Uttar Pradesh govts asking them to file affidavits within 7 days giving details of facilities dealing with public health, nutrition and sanitation, for treatment of children suffering from Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur. pic.twitter.com/7eyytB2lQM
— ANI (@ANI) June 24, 2019
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100 मोबाइल आईसीयू की मांग
जनहित याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू की व्यवस्था करने के लिए निर्देश देने के साथ-साथ इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से निपटने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में मुजफ्फरपुर में 100 मोबाइल आईसीयू की व्यवस्था करने और वहां मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की भी मांग की गई है.
अब तक 186 बच्चों की मौत
बता दें कि बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार का कहर जारी है. इस बीमारी से अब तक 186 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसी बीच बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. चमकी बुखार से हो रही मौत का मुद्दा देश भर में उठ रहा है.
जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन
बच्चों की हो रही लगातार मौत के बाद विपक्षियों ने सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन जारी है. बहरहाल, सरकार के अलावा परिजनों को भी अपने तौर पर बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए अलर्ट रहने की जरूरत है. ताकि बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सके.