दरभंगा: भारत के इतिहास में रजवाड़ों का खास महत्व है. उन्हीं में से एक है दरभंगा राज. मुगल सल्तनत में सन् 1556 से लेकर देश की आजादी के पहले तक दरभंगा राज के शासकों ने शासन किया था. उनकी ऐसी कई देन हैं जो देश-दुनिया मे खास हैं. इन्हीं में से एक है नरगौना पैलेस.
ऐतिहासिक नरगौना पैलेस की हालत जर्जर
ये महल देश में नायाब रहा है. यह बिहार की पहली भूकंप रोधी इमारत है. यहां देश-विदेश के कई राजाओं, राष्ट्राध्यक्षों, नेताओं और अंग्रेज शासकों के अतिथि बनने का मौका मिला है. आज इस महल की स्थिति जर्जर है. फिलहाल इसमें ललित नारायण मिथिला विवि के पीजी डिपार्टमेंट्स संचालित हैं.
नरगौना पैलेस में लगी थी 3 लिफ्ट
ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार बताते हैं कि नरगौना पैलेस में तीन लिफ्ट लगी थीं. दो लिफ्ट महाराजा-महारानी और तीसरी लिफ्ट वहां आने वाले मेहमानों के लिये थी. इस लिफ्ट का उपयोग देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन, भारत और नेपाल की रियासतों के कई राजाओं ने किया है.
कई अत्याधुनिक सुविधाएं थीं मौजूद
दरभंगा राज मामलों के जानकार और पत्रकार आशीष झा ने बताया कि ये महल पहला भूकंपरोधी इमारत है. यहां लिफ्ट के अलावा एसी और गीजर समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं. इस महल में देश की 14 रियासतों के अलावा नेपाल की रियासत के लिये अलग-अलग सुइट बनी हुई हैं. दुर्भाग्य से इस महल का संरक्षण नहीं हो पाया है. लंबे समय से इसके संरक्षण की मांग हो रही है.
महल के संरक्षण के लिये बनाई जा रही योजना
इसके संरक्षण के सवाल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एस के सिंह ने कहा कि विवि ने हेरिटेज सेल का गठन किया है. उसकी अनुशंसा पर पुराने भवनों और ऐतिहासिक चीजों के संरक्षण का प्रयास शुरू हो चुका है. नरगौना पैलेस की लिफ्ट को दोबारा शुरू किया जा रहा है. महल के संरक्षण के लिये भी योजना बनाई जा रही है.