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ऐतिहासिक नरगौना पैलेस की स्थिति जर्जर, कई अत्याधुनिक सुविधाओं से थी लैश - LNMV

बिहार का ऐतिहासिक नरगौना पैलेस की हालत जर्जर है. फिलहाल इसमें ललित नारायण मिथिला विवि के पीजी डिपार्टमेंट्स संचालित हैं. विवि के कुलपति प्रो. एस.के सिंह ने कहा कि महल के संरक्षण के लिये योजना बनाई जा रही है.

ऐतिहासिक नरगौना पैलेस
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Published : Jun 5, 2019, 10:40 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 10:45 PM IST

दरभंगा: भारत के इतिहास में रजवाड़ों का खास महत्व है. उन्हीं में से एक है दरभंगा राज. मुगल सल्तनत में सन् 1556 से लेकर देश की आजादी के पहले तक दरभंगा राज के शासकों ने शासन किया था. उनकी ऐसी कई देन हैं जो देश-दुनिया मे खास हैं. इन्हीं में से एक है नरगौना पैलेस.

ऐतिहासिक नरगौना पैलेस की हालत जर्जर
ये महल देश में नायाब रहा है. यह बिहार की पहली भूकंप रोधी इमारत है. यहां देश-विदेश के कई राजाओं, राष्ट्राध्यक्षों, नेताओं और अंग्रेज शासकों के अतिथि बनने का मौका मिला है. आज इस महल की स्थिति जर्जर है. फिलहाल इसमें ललित नारायण मिथिला विवि के पीजी डिपार्टमेंट्स संचालित हैं.

नरगौना पैलेस में लगी थी 3 लिफ्ट
ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार बताते हैं कि नरगौना पैलेस में तीन लिफ्ट लगी थीं. दो लिफ्ट महाराजा-महारानी और तीसरी लिफ्ट वहां आने वाले मेहमानों के लिये थी. इस लिफ्ट का उपयोग देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन, भारत और नेपाल की रियासतों के कई राजाओं ने किया है.

पेश है रिपोर्ट

कई अत्याधुनिक सुविधाएं थीं मौजूद
दरभंगा राज मामलों के जानकार और पत्रकार आशीष झा ने बताया कि ये महल पहला भूकंपरोधी इमारत है. यहां लिफ्ट के अलावा एसी और गीजर समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं. इस महल में देश की 14 रियासतों के अलावा नेपाल की रियासत के लिये अलग-अलग सुइट बनी हुई हैं. दुर्भाग्य से इस महल का संरक्षण नहीं हो पाया है. लंबे समय से इसके संरक्षण की मांग हो रही है.

महल के संरक्षण के लिये बनाई जा रही योजना

इसके संरक्षण के सवाल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एस के सिंह ने कहा कि विवि ने हेरिटेज सेल का गठन किया है. उसकी अनुशंसा पर पुराने भवनों और ऐतिहासिक चीजों के संरक्षण का प्रयास शुरू हो चुका है. नरगौना पैलेस की लिफ्ट को दोबारा शुरू किया जा रहा है. महल के संरक्षण के लिये भी योजना बनाई जा रही है.

दरभंगा: भारत के इतिहास में रजवाड़ों का खास महत्व है. उन्हीं में से एक है दरभंगा राज. मुगल सल्तनत में सन् 1556 से लेकर देश की आजादी के पहले तक दरभंगा राज के शासकों ने शासन किया था. उनकी ऐसी कई देन हैं जो देश-दुनिया मे खास हैं. इन्हीं में से एक है नरगौना पैलेस.

ऐतिहासिक नरगौना पैलेस की हालत जर्जर
ये महल देश में नायाब रहा है. यह बिहार की पहली भूकंप रोधी इमारत है. यहां देश-विदेश के कई राजाओं, राष्ट्राध्यक्षों, नेताओं और अंग्रेज शासकों के अतिथि बनने का मौका मिला है. आज इस महल की स्थिति जर्जर है. फिलहाल इसमें ललित नारायण मिथिला विवि के पीजी डिपार्टमेंट्स संचालित हैं.

नरगौना पैलेस में लगी थी 3 लिफ्ट
ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार बताते हैं कि नरगौना पैलेस में तीन लिफ्ट लगी थीं. दो लिफ्ट महाराजा-महारानी और तीसरी लिफ्ट वहां आने वाले मेहमानों के लिये थी. इस लिफ्ट का उपयोग देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन, भारत और नेपाल की रियासतों के कई राजाओं ने किया है.

पेश है रिपोर्ट

कई अत्याधुनिक सुविधाएं थीं मौजूद
दरभंगा राज मामलों के जानकार और पत्रकार आशीष झा ने बताया कि ये महल पहला भूकंपरोधी इमारत है. यहां लिफ्ट के अलावा एसी और गीजर समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं. इस महल में देश की 14 रियासतों के अलावा नेपाल की रियासत के लिये अलग-अलग सुइट बनी हुई हैं. दुर्भाग्य से इस महल का संरक्षण नहीं हो पाया है. लंबे समय से इसके संरक्षण की मांग हो रही है.

महल के संरक्षण के लिये बनाई जा रही योजना

इसके संरक्षण के सवाल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एस के सिंह ने कहा कि विवि ने हेरिटेज सेल का गठन किया है. उसकी अनुशंसा पर पुराने भवनों और ऐतिहासिक चीजों के संरक्षण का प्रयास शुरू हो चुका है. नरगौना पैलेस की लिफ्ट को दोबारा शुरू किया जा रहा है. महल के संरक्षण के लिये भी योजना बनाई जा रही है.

Intro:दरभंगा। भारत के इतिहास में रजवाड़ों का ख़ास महत्व है। उन्हीं में से एक है दरभंगा राज। मुगल सल्तनत में सन 1556 से लेकर देश की आज़ादी के पहले तक दरभंगा राज के शासकों ने शासन किया था। उनकी कई देन हैं जो देश-दुनिया मे ख़ास हैं। इन्हीं में से एक है नरगौना पैलेस। ये महल देश में नायाब रहा है। यह बिहार की पहली भूकंप रोधी इमारत है। यहां देश-विदेश के कई राजाओं, राष्ट्राध्यक्षों, नेताओं और अंग्रेज़ी शासन के अधिकारियों को अतिथि बनने का मौका मिला है। आज यह महल खराब हालत में है। फिलहाल इसमें ललित नारायण मिथिला विवि के पीजी डिपार्टमेंट्स संचालित हैं।


Body:ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार बताते हैं कि नरगौना पैलेस में तीन लिफ्ट लगी थीं। दो लिफ्ट महाराजा-महारानी और तीसरी लिफ्ट वहां आने वाले मेहमानों के लिये थीं। ये आज भी महल में मौजूद हैं। इस लिफ़्ट का उपयोग देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लार्ड माउंटबेटेन, भारत और नेपाल की रियासतों के कई राजाओं ने किया है।

दरभंगा राज मामलों के जानकार और पत्रकार आशीष झा ने बताया कि ये महल पहला भूकंपरोधी इमारत है। यहां लिफ्ट के अलावा एसी और गीजर समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं। इस महल में देश की 14 रियासतों के अलावा नेपाल की रियासत के लिये अलग-अलग सुईट बनी हुई हैं। दुर्भाग्य से इस महल का संरक्षण नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इसके संरक्षण की मांग हो रही है।


Conclusion:इसके संरक्षण के सवाल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने कहा कि विवि ने हेरिटेज सेल का गठन किया है। उसकी अनुशंसा पर पुराने भवनों और ऐतिहासिक चीजों के संरक्षण का प्रयास शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि नरगौना पैलेस की लिफ्ट को दोबारा शुरू किया जा रहा है। महल के संरक्षण के लिये भी योजना बनायी जा रही है।


बाइट 1- संतोष कुमार, सीनेटर, एलएनएमयू
बाइट 2- आशीष झा, पत्रकार
बाइट 3- प्रो. एसके सिंह, कुलपति, एलएनएमयू


विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
Last Updated : Jun 5, 2019, 10:45 PM IST
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