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पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल की हालत बदतर, जूनियर डॉक्टरों के भरोसे रेंग रहा हॉस्पीटल

सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के चाहे लाख दावे करती हो, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर सरकार के सारे दावे खोखले दिखने लगते हैं.

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Published : Jun 22, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Jun 28, 2019, 2:43 PM IST

जमीन पर लेट कर मरीज इलाज कराने को मजबूर

भागलपुर: पूर्वी बिहार के सबसे बड़े हॉस्पीटल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का ओपीडी जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है. ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का यहां समुचित इलाज नहीं हो पाता है. शहर के सभी नामी-गिरामी डॉक्टरों में से ज्यादातर डॉक्टर इसी अस्पताल में पदस्थापित हैं, लेकिन अस्पताल की ड्यूटी से ज्यादातर डॉक्टर नदारद ही रहते हैं.

जूनियर डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गई है. सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के चाहे लाख दावे करती हो, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर सरकार के सारे दावे खोखले दिखने लगते हैं. जिले के आलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी आए हुए मरीजों को जूनियर डॉक्टर ही देखते हैं. बिना समुचित इलाज के कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.

पेश है रिपोर्ट

मरीजों को नहीं मिलती एंबुलेंस की सुविधा
जो भी मरीज रेफर होकर इस अस्पताल में आते हैं उन्हें एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं दी जाती है. मरीजों को अस्पताल के बरामदे में ही जमीन पर लिटा दिया जाता है. जो गरीब हैं, उनके पास इतने पैसे नहीं की वो किसी प्राइवेट हॉस्पीटल में जाकर अपना इलाज करा सके. लिहाजा वो जमीन पर ही अपना इलाज कराने को मजबूर हैं.

डॉक्टरों की मनमानी
अस्पताल की लचर व्यवस्था को लेकर आए दिन सरकार पर सवाल उठते हैं. हालांकि सरकार ने अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं रखी है. भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के कारण मरीजों को भुगतना पड़ता है.

भागलपुर: पूर्वी बिहार के सबसे बड़े हॉस्पीटल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का ओपीडी जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है. ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का यहां समुचित इलाज नहीं हो पाता है. शहर के सभी नामी-गिरामी डॉक्टरों में से ज्यादातर डॉक्टर इसी अस्पताल में पदस्थापित हैं, लेकिन अस्पताल की ड्यूटी से ज्यादातर डॉक्टर नदारद ही रहते हैं.

जूनियर डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गई है. सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के चाहे लाख दावे करती हो, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर सरकार के सारे दावे खोखले दिखने लगते हैं. जिले के आलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी आए हुए मरीजों को जूनियर डॉक्टर ही देखते हैं. बिना समुचित इलाज के कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.

पेश है रिपोर्ट

मरीजों को नहीं मिलती एंबुलेंस की सुविधा
जो भी मरीज रेफर होकर इस अस्पताल में आते हैं उन्हें एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं दी जाती है. मरीजों को अस्पताल के बरामदे में ही जमीन पर लिटा दिया जाता है. जो गरीब हैं, उनके पास इतने पैसे नहीं की वो किसी प्राइवेट हॉस्पीटल में जाकर अपना इलाज करा सके. लिहाजा वो जमीन पर ही अपना इलाज कराने को मजबूर हैं.

डॉक्टरों की मनमानी
अस्पताल की लचर व्यवस्था को लेकर आए दिन सरकार पर सवाल उठते हैं. हालांकि सरकार ने अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं रखी है. भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के कारण मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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पूर्वी बिहार के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गई है सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के चाहे लाख दावे पर लेकिन अस्पताल पहुंचने के साथ ही सरकार के सारे दावे खोखले दिखने लगते हैं पूर्वी बिहार के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भागलपुर ओपीडी जूनियर डॉक्टरों के भरोसे ही चलती है नतीजा यही होता है गंभीर बीमारी लेकर आए मरीज का समुचित इलाज अस्पताल में नहीं करवा पाते हैं उसी मरीज को शहर के प्राइवेट क्लीनिक में इसी अस्पताल के डॉक्टर बेहतर तरीके से इलाज करते हैं शहर के सभी नामी-गिरामी डॉक्टर मे से ज्यादातर डॉक्टर भागलपुर के इसी अस्पताल में पदस्थापित है लेकिन अस्पताल की ड्यूटी से ज्यादातर डॉक्टर नदारद रहते हैं जिले के सबसे आला पदाधिकारी के आदेश के बावजूद भी आए हुए मरीज को जूनियर डॉक्टर ही देखते हैं। जिसकी वजह से बिना समुचित इलाज के कई मरीज की मौत हो जाती है ।


Body:जो भी दूरदराज के मरीज रेफर होकर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आते हैं उन्हें अस्पताल से एंबुलेंस तक नहीं की जाती है किसी तरीके से लोग जान बचाने के लिए अपना इंतजाम कर अस्पताल पहुंचते हैं अस्पताल की हालत किसी तबेले से कम नहीं है मरीज को अस्पताल के बरामदे में जमीन पर ही लेटा दिया जाता है और मरीज वहीं पर अपना इलाज करवाते रहते हैं , भागलपुर में दूरदराज से इलाज के लिए आने वाले गरीब लोग किसी तरह से अपना इलाज करवा कर अपने घर वपस लौट जाते हैं ।


Conclusion:सरकार पर आए दिन लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे हैं लेकिन सरकार ने अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं रखी है नए-नए आधुनिक मेडिकल उपकरण के साथ भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भी सुसज्जित है लेकिन डॉक्टरों की कमजोर इच्छाशक्ति और काम नहीं करने की आदत की वजह से मरीज को निजी क्लीनिक में जाकर हजारों लाखों रुपए छोटी मोटी बीमारी के लिए खर्च करने पड़ते हैं सरकार ने एंबुलेंस भी निजी कंपनी को दे दिया है जिसकी वजह से गर्भवती महिला समेत अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज भी खुद की व्यवस्था कर ही अस्पताल तक पहुंच पाते हैं ।

बाईट:डॉ आर सी मंडल ,अधीक्षक ,भागलपुर
बाईट:डॉ विजय कुमार सिंह ,सिविल सर्जन ,भागलपुर
बाईट:अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज के परिजन ,भागलपुर
Last Updated : Jun 28, 2019, 2:43 PM IST
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