भागलपुर: पूर्वी बिहार के सबसे बड़े हॉस्पीटल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का ओपीडी जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है. ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का यहां समुचित इलाज नहीं हो पाता है. शहर के सभी नामी-गिरामी डॉक्टरों में से ज्यादातर डॉक्टर इसी अस्पताल में पदस्थापित हैं, लेकिन अस्पताल की ड्यूटी से ज्यादातर डॉक्टर नदारद ही रहते हैं.
जूनियर डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गई है. सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के चाहे लाख दावे करती हो, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर सरकार के सारे दावे खोखले दिखने लगते हैं. जिले के आलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी आए हुए मरीजों को जूनियर डॉक्टर ही देखते हैं. बिना समुचित इलाज के कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.
मरीजों को नहीं मिलती एंबुलेंस की सुविधा
जो भी मरीज रेफर होकर इस अस्पताल में आते हैं उन्हें एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं दी जाती है. मरीजों को अस्पताल के बरामदे में ही जमीन पर लिटा दिया जाता है. जो गरीब हैं, उनके पास इतने पैसे नहीं की वो किसी प्राइवेट हॉस्पीटल में जाकर अपना इलाज करा सके. लिहाजा वो जमीन पर ही अपना इलाज कराने को मजबूर हैं.
डॉक्टरों की मनमानी
अस्पताल की लचर व्यवस्था को लेकर आए दिन सरकार पर सवाल उठते हैं. हालांकि सरकार ने अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं रखी है. भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के कारण मरीजों को भुगतना पड़ता है.