पटना: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर सरकार की नीति निर्धारण करने वाले ब्यूरोक्रेट्स को विशेषज्ञों ने फेल बताया है. उन्होनें कहा कि एनजीओ पर टिके रहने का नतीजा मुजफ्फरपुर कांड है.
सरकार के कार्य प्रणाली पर सवाल
बिहार इन दिनों चमकी बुखार और हीट वेव के कारण लोगों की लगातार मौत हो रही है. सरकार बचाव कार्य में तो लगी है लेकिन मौत रुक नहीं पाई. सरकार को विपक्ष के साथ आम लोगों का भी गुस्सा झेलना पड़ रहा है. बच्चों की मौत पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. हर साल मई-जून के महीने में चमकी बुखार के कारण दर्जनों या फिर कहें कि सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है.
ये मामला अब राष्ट्र का मुद्दा
जिले में लगातार हो रही मौत को लेकर अब हर तरफ से सरकार पर सवाल उठने लगे हैं. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के रिसर्च स्कॉलर डीएम दिवाकर ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में हर साल बच्चों की मौत होती है. ऐसे में अब ये सिर्फ बिहार का ही नहीं बल्कि राष्ट्र का मुद्दा बन गया है.
'सरकार के ब्यूरोक्रेट्स सही दिशा में काम नहीं करते'
जब हर साल इतनी तादाद में बच्चों की मौत होती है तो वही भाषा के विशेषज्ञ डॉ. रणधीर बच्चों की मौत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मई-जून के महीनों में मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत सरकार का सिस्टम फेल होने के कारण हो रहा है. सरकार की पॉलिसी ही सही दिशा में काम नहीं कर रही है. सरकार के ब्यूरोक्रेट्स ही सही दिशा में काम नहीं करते. सरकार सिर्फ प्राइवेट एनजीओ पर टिक जाती है.
लोगों के बीच जागरूकता नहीं होने के कारण फैली महामारी
सामाजिक विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत 1994-95 से लगातार होते आ रही है. ये सरकार की जिम्मेदारी थी कि वो जोर-शोर से प्रचार-प्रसार करें और लोगों को सूचित करें. लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पाई जिसकी वजह से यह महामारी फैलती गई और मौत का तादाद बढ़ते चला गया.