मधेपुरा: जिले का बीएन मंडल यूनिवर्सिटी देश का पहला यूनिवर्सिटी था जहां सभी संकाय का सत्र तीन साल पीछे चल रहा था. यानी तीन साल की डिग्री छह साल में छात्रों को मिलती थी. यूनिवर्सिटी स्थापना के 27 साल अब ये परेशानी खत्म हो रही है. वर्तमान वाइस चांसलर इस मामले में सफल सिद्ध हो रहे हैं. जिससे अभिभावक और छात्रों में हर्ष देखा जा रहा है.
अनियमित सत्र होने से छात्रों को परेशानी
मधेपुरा जैसे पिछड़े क्षेत्रों में साल 1992 में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद द्वारा बीएन मंडल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी. स्थापना काल से अभी तक सत्र नियमित नहीं होने के कारण छात्रों को तीन साल की डिग्री छह में मिलती थी. इस कारण यहां पढ़ने वाले छात्रों को काफी परेशानी होती थी. स्थापना काल से लेकर अब तक, यानी 27 साल में 30 वाइस चांसलर आये और चले गये लोकिन सत्र नियमित करने की दिशा में कोई ठोस नीति नहीं बन पाई.
नये वाइस चांसलर के आने से स्थिति में सुधार
इसे लेकर छात्रों ने यूनिवर्सिटी में ताला बंदी और उग्र आंदोलन भी चरणबद्ध तरीके से किया लेकिन कोई असर नहीं हुआ. वर्तमान वाइस चांसलर डॉ. अवधकिशोर राय ने 2017 में पदभार ग्रहण किया. उसी दिन से अनियमित सत्र को नियमित करने की दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम किया गया. इसी का परिणाम है कि सत्र नियमित होने के अंतिम चरण में है.
सभी संकाय का सत्र होगा नियमित
यूनिवर्सिटी मूल्यांकन कॉडीनेटर प्रो. जगदेव यादव ने बताया कि महामहिम राज्यपाल के सख्त निर्देश पर वाइस चांसलर डॉ. अवधकिशोर राय के अथक प्रयास से सभी संकाय का सत्र नियमित हो रहा है. अभी स्नातक पार्ट थर्ड 2018 का मूल्यांकन कार्य चल रहा है. यूनिवर्सिटी से सत्र अनियमित का कलंक मिटने जा रहा है जो गौरव की बात है. इससे छात्रों और अभिभावकों में भी खुशी देखी जा रही है.