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पटना: बिहार म्यूजियम में क्ले आर्ट के जरिए पोर्टेट बनाने का सिखाया जा रहा गुर

दो दिवसीय टेराकोटा क्ले आर्ट वर्कशॉप दिल्ली के किरण नादर म्यूजियम ऑफ आर्ट के सहयोग से पटना के बिहार म्यूजियम में कराया जा रहा है. वर्कशॉप के पहले दिन लगभग 70 बच्चों ने क्ले आर्ट के गुर सीखा.

दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन
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Published : Jun 15, 2019, 3:07 PM IST

पटना: राजधानी पटना के बिहार म्यूजियम में दो दिवसीय टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. इस वर्कशॉप में राजस्थान से आए मशहूर आर्टिस्ट ओम प्रकाश गालव ने बच्चों को क्ले आर्ट के जरिए पोर्ट्रेट का गुर सिखाया. वर्कशॉप में बच्चों ने मिट्टी से छोटी-छोटी चिड़िया, पॉट और अन्य चीजों को बनाना सिखा.

दो दिवसीय टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन
बता दें कि हिम्मत शाह जी के काम से प्रेरित होकर पटना के लोगों के लिए एक टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. हिम्मत शाह जी ने 60 सालों में मिट्टी के आर्ट को एक ऊंची मुकाम पर पहुंचाया है. इस वर्कशॉप का मकसद यहां के लोगों के टेराकोटा आर्ट की बारिकियां सीखना है.

क्ले आर्ट पर दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन

पोर्ट्रेट आर्ट के बारे में दी जा रही जानकारी

बिहार म्यूजियम में हिम्मत शाह जी की प्रदर्शनिया लगी हुई है. उनके कलाकारी को यहां के कलाकार और बच्चे बेहतर ढंग से समझ सके इसके लिए भी यह कार्यशाला आयोजित की गई है. पोर्ट्रेट आर्टिस्ट ओम प्रकाश ने बताया कि वह यहां बच्चों को मिट्टी से कलाकृतियां बनाना सिखा रहे हैं. उनकी कोशिश यही है कि बच्चे पोर्ट्रेट आर्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सके.

15 वर्ष की उम्र से बड़े बच्चे ले रहे हिस्सा

उन्होंने बताया कि उनका सबसे छोटा पोर्ट्रेट वर्क और सबसे बड़ा पोर्ट्रेट वर्क का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. भारत सरकार की तरफ से साल 2010 में उन्हें पोर्ट्रेट आर्ट के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. मिट्टी से कलाकारी सीखते वक्त बच्चे काफी खुश नजर आए. इस कार्यशाला में 15 वर्ष की उम्र से बड़े आयु के बच्चे भाग ले रहे हैं.

पटना: राजधानी पटना के बिहार म्यूजियम में दो दिवसीय टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. इस वर्कशॉप में राजस्थान से आए मशहूर आर्टिस्ट ओम प्रकाश गालव ने बच्चों को क्ले आर्ट के जरिए पोर्ट्रेट का गुर सिखाया. वर्कशॉप में बच्चों ने मिट्टी से छोटी-छोटी चिड़िया, पॉट और अन्य चीजों को बनाना सिखा.

दो दिवसीय टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन
बता दें कि हिम्मत शाह जी के काम से प्रेरित होकर पटना के लोगों के लिए एक टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. हिम्मत शाह जी ने 60 सालों में मिट्टी के आर्ट को एक ऊंची मुकाम पर पहुंचाया है. इस वर्कशॉप का मकसद यहां के लोगों के टेराकोटा आर्ट की बारिकियां सीखना है.

क्ले आर्ट पर दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन

पोर्ट्रेट आर्ट के बारे में दी जा रही जानकारी

बिहार म्यूजियम में हिम्मत शाह जी की प्रदर्शनिया लगी हुई है. उनके कलाकारी को यहां के कलाकार और बच्चे बेहतर ढंग से समझ सके इसके लिए भी यह कार्यशाला आयोजित की गई है. पोर्ट्रेट आर्टिस्ट ओम प्रकाश ने बताया कि वह यहां बच्चों को मिट्टी से कलाकृतियां बनाना सिखा रहे हैं. उनकी कोशिश यही है कि बच्चे पोर्ट्रेट आर्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सके.

15 वर्ष की उम्र से बड़े बच्चे ले रहे हिस्सा

उन्होंने बताया कि उनका सबसे छोटा पोर्ट्रेट वर्क और सबसे बड़ा पोर्ट्रेट वर्क का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. भारत सरकार की तरफ से साल 2010 में उन्हें पोर्ट्रेट आर्ट के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. मिट्टी से कलाकारी सीखते वक्त बच्चे काफी खुश नजर आए. इस कार्यशाला में 15 वर्ष की उम्र से बड़े आयु के बच्चे भाग ले रहे हैं.

Intro:राजधानी पटना के बिहार म्यूजियम में दो दिवसीय टेराकोटा वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ. इस वर्कशॉप में राजस्थान से आए मशहूर पोएट्री आर्टिस्ट ओम प्रकाश गालव ने बच्चों को क्ले आर्ट के जरिए पोट्रेट के गुर सिखाए. वर्कशॉप में बच्चों ने मिट्टी से छोटी छोटी चिड़िया, पॉट और अन्य चीजों को बनाना सिखा. यह दो दिवसीय टेराकोटा क्ले आर्ट वर्कशॉप दिल्ली के किरण नादर म्यूजियम ऑफ आर्ट के सहयोग से बिहार म्यूजियम में कराया जा रहा है. वर्कशॉप के पहले दिन लगभग 70 की संख्या में बच्चों ने क्ले आर्ट के गुर सीखे.


Body:किरण नादर म्यूजियम के शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई सदस्य सौम्या साहनी ने बताया कि हिम्मत शाह जी के काम से इंस्पायर्ड हो कर पटना के लोगों के लिए एक पोएट्री वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. हिम्मत शाह ज़ी ने जो 60 सालों में मिट्टी के आर्ट को जिस मुकाम पर पहुंचाया है और जो मुकाम हासिल किया है उससे यहां के कलाकार बच्चे सीख सकें और टेराकोटा आर्ट की बाड़ी की हो के बारे में जान सके. बिहार म्यूजियम में हिम्मत शाह जी की प्रदर्शनिया लगी हुई है. उनके कलाकारी को यह केक कलाकार और बच्चे बेहतर ढंग से समझ सके इसके लिए भी यह कार्यशाला आयोजित की गई है.


Conclusion:पोट्रेट आर्टिस्ट ओम प्रकाश ने बताया कि वह यहां बच्चों को मिट्टी से कलाकृतियां बनाना सिखा रहे हैं. हमारी कोशिश यह है कि बच्चे पोएट्री आर्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सके. उन्होंने बताया कि उनका सबसे छोटा पोएट्री वर्क और सबसे बड़ा पोएट्री वर्क का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. भारत सरकार की तरफ से साल 2010 में उन्हें पोएट्री आर्ट के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है.

मिट्टी से कलाकारी सीखते वक्त बच्चे काफी खुश नजर आए और इस कार्यशाला में 15 वर्ष की उम्र से बड़े आयु के बच्चे भाग ले रहे हैं.
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