छपराः बिहार के छपरा में प्रवचन देने के दौरान ही मारुति मानस मंदिर के महासचिव को दिल का दौरा (Secretary of Maruti Manas Mandir got heart attack) पड़ा. इस कारण मंच पर ही रणंजय सिंह का निधन हो गया. वह छपरा के जगदम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य रह चुके थे. हनुमान जयंती समारोह के अवसर पर वह मंच पर प्रवचन दे रहे थे. इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आ गया और वह प्रवचन देते हुए मंच पर ही गिर पड़े. उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस घटना से छपरा के मानस प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई क्योंकि प्रो. रणंजय सिंह ऐसे व्यक्ति थे, जो मारुति मानस हनुमान मंदिर के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर चुके थे.
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मारुति मानस मंदिर के प्रधान सचिव को आया हार्ट अटैक: प्रवचन के दौरान मौजूद लोगों के मुताबिक रणंजय सिंह पूरी तरह स्वस्थ थे और अचानक मंच पर श्रोताओं को संबोधित करते वक्त उनकी सांसें रुक गई. इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया है. जिसमें साफ नजर आ रहा कि कैसे रणंजय सिंह प्रवचन देने के दौरान बेहद सामान्य नजर आ रहे. इसी बीच कुछ मिनट बाद ही अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वो अटके और फिर नीचे गिरते दिखाई दिए. किसी को तुरंत कुछ समझ नहीं आया. हालांकि, आनन-फानन में उन्हें अस्पताल लाया गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी.
पूरे शहर में शोक की लहरः छपरा के जगदम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर रणजंय सिंह जी मारुति मानस मंदिर छपरा के प्रधान सचिव थे. कई सालों से उन्होंने मंदिर के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था. छपरा में हनुमान जयंती के अवसर पर होने वाले प्रवचन कार्यक्रमों का वर्षों से आयोजन करते थे और इस बार भी उन्होंने आयोजन किया था. मंच पर प्रवचन दे रहे थे, तभी उनके साथ यह घटना घटी. कहा जाता है कि भगवान की लीला भगवान ही जानें, लेकिन स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसी मौत भला किसको नसीब होती है, जो प्रोफेसर साहब को नसीब हुई. पूरे शहर में उनकी मौत से शोक की लहर दौड़ गई है.
घटना से स्तब्ध हैं लोगः छपरा की घटना से सभी लोग स्तब्ध हैं और इसे प्रभु की लीला मान रहे हैं. वैसे लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है. धर्म और अध्यात्म को मानने वाले लोग यह भी कहते हैं कि इस घटना ने सिद्ध कर दिया कि प्रभु की लीला अपरंपार है और कोई ऐसी अदृश्य शक्ति है, जो हमें अपनी उंगलियों पर नचाती है. वह दिव्य शक्ति है. उसका कभी भी पता नहीं चल पाता है. इस दुनिया में जो भी आया है उसका एक दिन दुनिया से जाना भी तय है, लेकिन यह कब और किस दिन होगा यह तय नहीं है. कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अस्पतालों में घुट-घुट कर सालों मृत्यु का इंतजार करते हैं और उन्हें मृत्यु नसीब नहीं होती. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो आनन-फानन में प्रभु के पास चले जाते हैं और अंत तक चलते फिरते रहते हैं. समाज के लिए कुछ करने वाले एक ऐसे ही व्यक्ति जो छपरा के लिए पूजनीय और आदरणीय व्यक्ति थे आज अचानक परलोक वासी हो गए.