नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने तंजावुर की 17 वर्षीय किशोरी की मौत मामले की जांच के लिए अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की याचिका पर नोटिस जारी किया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले के दो पहलू हैं. पहला पहलू उस फैसले के तहत दर्ज की गई कुछ टिप्पणियों से संबंधित है, जिसे चुनौती दी गई है. दूसरा पहलू सीबीआई द्वारा जांच कराए जाने का निर्देश देने के अंतिम आदेश से जुड़ा है. न्यायालय ने कहा कि सीबीआई की जांच में उसका हस्तक्षेप करना सभवत: उचित नहीं होगा लेकिन वह प्रथम पहलू पर नोटिस जारी करेगा.
पीठ ने कहा कि नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब तीन सप्ताह में दिया जाए. इस बीच जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उसके संदर्भ में जांच जारी रहेगी. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी तमिलनाडु की ओर से पेश हुए. उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि छात्रा को मरणोपरांत न्याय दिलाना अदालत का कर्तव्य है लेकिन पूर्ववर्ती परिस्थितियों को एक साथ देखने पर निश्चित रूप से यह धारणा बनेगी कि जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है.
आदेश में कहा गया था कि माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं एक रुख अपनाया है. इसलिए राज्य पुलिस इस मामले की जांच जारी नहीं रख सकती. मैं सीबीआई निदेशक नई दिल्ली को निर्देश देता हूं कि वह राज्य पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें. सीबीआई स्वतंत्र जांच करेगी और इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी को ध्यान में नहीं रखेगी. अरियालुर जिले की रहने वाली तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा ने कुछ दिन पहले कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी.
छात्रावास में रह रही इस छात्रा को धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए कथित रूप से बाध्य किया गया था. इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल हुआ था. बहरहाल, स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज करते हुए इस मामले में निहित स्वार्थ वाले तत्वों को दोषी ठहराया है. इस मामले में पीड़िता के पिता ने पहले सीबी-सीआईडी (अपराध शाखा- अपराध जांच विभाग) से जांच कराए जाने की मांग की थी लेकिन अंतिम सुनवाई के दौरान उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की.
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पुलिस और न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में छात्रा ने सीधे और स्पष्ट रूप से छात्रावास के वार्डन पर आरोप लगाया था कि वह उसे गैर शैक्षणिक काम देती थी. छात्रा ने जहरीला कीटनाशक पदार्थ पी लिया था. इसके बाद आरोपी वार्डन सिस्टर साघयामेरी को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.