लखनऊ : लखीमपुर खीरी के तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले में सोमवार तड़के मौके पर जाते वक्त सीतापुर में हिरासत में ली गई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात के बगैर वापस नहीं जाने का एलान किया है.
इस बीच प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी एक बयान में दावा किया गया कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के वकीलों को करीब 17 घंटे बाद भी उनसे मिलने नहीं दिया गया, यही नहीं प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लेने की कोई कानूनी वजह भी अब तक नहीं बतायी है.
सीतापुर के पीएसी द्वितीय वाहिनी परिसर में हिरासत में रखी गईं प्रियंका गांधी को हरगांव में सोमवार सुबह साढ़े चार बजे हिरासत में लिया गया था. कानूनी रूप से किसी को 24 घंटे से ज़्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता, लेकिन प्रशासन आगे की योजना को लेकर कुछ नहीं बता रहा है.
बयान के अनुसार प्रियंका गांधी ने साफ कहा है कि वह हिरासत से छूटते ही लखीमपुर खीरी जाकर शहीद किसानों के परिजनों से मिलेंगी. वाड्रा ने कहा कि प्रशासन ने मुआवजे की मांग तो मान ली है, लेकिन पूरे घटनाक्रम के मूल में मौजूद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को अब तक बर्खास्त नहीं किया गया है, जो किसानों की सबसे बड़ी मांग है.
उन्होंने दोहराया है कि कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी है और उत्तर प्रदेश के तानाशाही निजाम को खत्म करके ही दम लेगी.
वाड्रा ने यह भी कहा कि अगर प्रशासन को किसी तरह की आशंका है, तो अपनी निगरानी में उनके समेत चार लोगों के कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को परिजनों से मिलाने ले जाये, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बार-बार 'ऊपर का आदेश' या 'ऊपर से पूछकर बताते हैं' जैसी बात कहकर टाल रहे हैं.
बयान में आरोप लगाया गया है कि इस बीच प्रियंका गांधी से योगी प्रशासन लगातार अशालीन व्यवहार कर रहा है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुछ मीडिया संस्थानों से बात की जिसे लेकर भी वह भड़का हुआ है. प्रशासन ने प्रियंका गांधी को एक धूल भरे कमरे में रखा था, जिसे उन्होंने खुद झाड़ू लगाकर साफ किया.
यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया तो प्रशासन ने ऐसा रुख अपनाया जैसे कि वीडियो बनाने से कोई अपराध हुआ हो. प्रशासन की ओर से कहा गया कि अब प्रियंका गांधी के कमरे में दो पुलिस वाले बैठकर निगरानी करेंगे. ऐसी आपत्तिजनक बात की तीखी प्रतिक्रिया हुई तो वह बैकफुट पर आया.
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इसके पहले, कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि प्रियंका तथा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत कुछ वरिष्ठ नेता लखीमपुर खीरी जा रहे थे. रास्ते में सीतापुर में तड़के करीब पांच बजे उन्हें हिरासत में ले लिया गया और पीएसी परिसर भेज दिया गया.
उन्होंने पुलिसकर्मियों पर प्रियंका से धक्का-मुक्की का भी आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस महासचिव किसानों का दर्द बांटने जा रही थीं और उन्हें इस तरह से रोका जाना अलोकतांत्रिक है.
इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि प्रियंका ने खुद को रोके जाने के विरोध में पीएसी कैंप कार्यालय कक्ष में धरना शुरू कर दिया है. उन्होंने एलान किया है कि वह पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात किए बगैर किसी भी सूरत में वापस नहीं जाएंगी.
कुमार ने बताया कि पुलिस ने प्रियंका और उनके 15 अन्य साथियों को करीब 17 घंटे से हिरासत में रखा है. इस बीच, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अगुवाई में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सीतापुर स्थित द्वितीय वाहिनी पीएसी परिसर पर एकत्र हो गए और प्रियंका से मुलाकात की मांग की. उन्होंने बताया कि प्रियंका से नहीं मिलने दिए जाने पर पार्टी कार्यकर्ता परिसर के गेट के सामने अनशन पर बैठ गए हैं.
सिद्दीकी ने बताया, ‘जब तक किसानों के परिवारों से प्रियंका को मिलने नहीं दिया जाता, दोषी केंद्रीय मंत्री उनके बेटे को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाता और मृतकों के परिजन को दो-दो करोड़ रुपए और घायलों को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा नहीं दिया जाता, तब तक हम शांति से बैठने वाले नहीं हैं.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव में एक कार्यक्रम के सिलसिले में जाने लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविवार को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई.
(भाषा)