नई दिल्ली : वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana)के तहत केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने का वादा किया था. लेकिन तय समय में यह लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका है. हालांकि वित्तमंत्री ने 2022-23 के लिए वित्तीय आवंटन के दायरे में PMAY-ग्रामीण को भी शामिल किया है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मान्य 1.14 करोड़ घरों की मांग के खिलाफ मंत्रालय द्वारा 1.12 करोड़ मकान PMAY-U के तहत स्वीकृत किए गए हैं. इसमें से 54.4 लाख से अधिक घर बनकर तैयार हो चुके हैं और लाभार्थियों को वितरित किए जा चुके हैं. शेष निर्माण और ग्राउंडिंग के विभिन्न चरणों में हैं. वर्ष 2020-21 में इस वर्ष 24 जनवरी तक स्वीकृत 1907829 घरों की तुलना में कुल 1456492 घरों का निर्माण किया गया है. उत्तर प्रदेश (299776) में सबसे अधिक घरों का निर्माण किया गया है. इसके बाद गुजरात में 163889 घर और महाराष्ट्र में 149187 घरों का निर्माण हुआ है.
गौरतलब है कि पीएमएवाई-यू के तहत अब तक 5439898 घरों में से 576735 घरों पर कब्जा होना बाकी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अंडमान और निकोबार द्वीप उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में सबसे आगे है, जहां सबसे अधिक घरों (204563) पर कब्जा किया जाना बाकी है. अंडमान और निकोबार द्वीप के केंद्र शासित प्रदेश के बाद तेलंगाना (120519) और गुजरात (83176) हैं.
PMAY-U के तहत केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा तैयार की गई परियोजना लागत के साथ विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) के आधार पर प्रस्तावों को मंजूरी दे रहा है. भारत सरकार इसके तहत 1.0 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता के रूप में अपना निश्चित हिस्सा प्रदान कर रही है. आवास और शहरी मंत्री ने कहा कि योजना के विभिन्न शीर्षकों के तहत परियोजनाओं को पूरा करने में आम तौर पर 12-36 महीने लगते हैं. निर्माण में देरी या राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, यूएलबी और लाभार्थियों द्वारा डीपीआर के अनुसार किसी भी लागत में वृद्धि का खर्च वहन किया जाता है.
मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दावा किया कि यह 2015 से लागू किया गया है और PMAY-U एक मांग आधारित योजना है और भारत सरकार ने किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में घरों के निर्माण के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है. पुरी ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने शहरी क्षेत्रों में पात्र लाभार्थियों के लिए आवास की आवश्यकता का आकलन करने के लिए मांग सर्वेक्षण किया है. तदनुसार परियोजना प्रस्ताव तैयार किया है. 2016-17 से 2020-21 तक पिछले पांच वर्षों के दौरान पीएमएवाई-यू के तहत केंद्रीय सहायता के रूप में 92574.68 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए शहरी अध्ययन केंद्र से प्रोफेसर केके पांडे ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पीएमएवाई-यू के तहत घरों के निर्माण को बुरी तरह प्रभावित किया है. प्रोफेसर पांडे ने कहा कि कोरोना ने निर्माण कार्य को रोक दिया. कोरोना ने इसने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को समान रूप से प्रभावित किया है. हालांकि परियोजनाओं में देरी हुई है. उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे कई राज्यों ने बहुत अच्छा किया है.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अधिक दृढ़ संकल्प के साथ परियोजना को पूरा करने का फैसला किया है और इसलिए 80 लाख घरों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. प्रोफेसर पांडे ने कहा कि यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जो निर्माण श्रमिकों के लिए रोजगार भी पैदा करेगी. मध्य प्रदेश जैसे राज्य भी निर्माण श्रमिकों के संकट से बचने के लिए उन्हें बनाए रखने के लिए घर उपलब्ध करा रहे हैं.