ETV Bharat / bharat

मैं बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा हूं लेकिन कांग्रेस छोड़ रहा हूं : अमरिंदर सिंह

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वे भाजपा का दमन नहीं थाम रहें है, सिर्फ कांग्रेस छोड़ रहे हैं.

Amarinder
Amarinder
author img

By

Published : Sep 30, 2021, 1:20 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 3:47 PM IST

ऩई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वे भाजपा का दमन नहीं थाम रहें है. उन्होंने कहा, मैं बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा हूं लेकिन कांग्रेस छोड़ रहा हूं, अपमान नहीं संभाल सकता.

उन्होंने कहा, मैं इस्तीफा दूंगा ... पार्टी में नहीं रहूंगा. उन्होंने कहा कि वह अभी भी पंजाब के हित में अपने विकल्पों के बारे में सोच रहे थे, जिनकी सुरक्षा उनके लिए प्रमुख प्राथमिकता थी.

अमरिंदर सिंह ने कहा, मेरे साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जाएगा..मैं इस तरह का अपमान नहीं सहुंगा. उन्होंने कहा कि उनके सिद्धांत और विश्वास उन्हें कांग्रेस में बने रहने की अनुमति नहीं देते हैं.

वरिष्ठ कांग्रेसियों को विचारक बताते हुए, जो पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण थे, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा नेतृत्व को उन योजनाओं को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिन्हें तैयार करने के लिए वरिष्ठ नेता तैयार हैं. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से वरिष्ठों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा था, यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं था.

उम्मीद जताते हुए कि पंजाब के लोग राज्य के भविष्य के लिए वोट करेंगे, उन्होंने कहा कि उनके अनुभव से पता चलता है कि पंजाब के लोग एक ही पार्टी/बल को वोट देते हैं, चाहे जितने भी दल मैदान में हों. उन्होंने कहा कि पंजाब में कुशासन, पाकिस्तान को राज्य और देश में परेशानी पैदा करने का मौका देगा. उन्होंने कहा कि आज सुबह एनएसए अजीत डोभाल के साथ उनकी बैठक इसी मुद्दे पर केंद्रित रही.

बता दें कि हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. शाह से मिलने के बाद अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए गतिरोध को लेकर बात की.

18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अमरिंदर सिंह ने विशेष रूप से आक्रामक तेवर अपनाए हैं. इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने कहा कि उनका अपमान हुआ है.

2017 में ही शुरू हुई थी सिद्धू और कैप्टन में खटपट
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, मगर बीजेपी ने अरुण जेटली को उम्मीदवार बना दिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू राहुल और प्रियंका के करीबियों में शुमार हो गए. वह अमरिंदर की सरकार में पर्यटन और नगर निकाय के मंत्री बने. यही से अमरिंदर और सिद्धू में खटपट शुरू हुई.

बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कामकाज के तरीके से नाखुश थे. उधर, सिद्धू भी वादे के मुताबिक डिप्टी सीएम नहीं बनाने से नाराज हो गए. टीवी शोज में सिद्धू की खिंचाई शुरू हुई तो कैप्टन ने उनका विभाग बदल दिया. इसके बाद तो सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को चुनौती देना शुरू कर दिया. जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात के बाद सिद्धू की आलोचना शुरू हुई तो अमरिंदर समर्थकों ने भी सिद्धू की घेराबंदी कर दी. 20 जुलाई 2019 को सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तो हमेशा वह अपनी ही सरकार की आलोचना करते रहे.

पढ़ें :- कैप्टन से मुलाकात के बाद डोभाल पहुंचे शाह के आवास

कैप्टन आए तो भाजपा को भी होगा फायदा
दरअसल पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि विकल्प खुला है. पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेता भी कैप्टन की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं जो अकाली दल से नाता टूटने के बाद काफी पीछे जा चुकी थी. कैप्टन की भाजपा से नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. कैप्टन की किसानों में पैठ है और दोनों का कॉम्बिनेशन कैप्टन और भाजपा दोनों के लिए वरदान साबित हो सकता है.

पढ़ें :- भाजपा का दामन थामेंगे या नई पार्टी बनाएंगे अमरिंदर, जानिए कैप्टन के पास कितने विकल्प

ऩई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वे भाजपा का दमन नहीं थाम रहें है. उन्होंने कहा, मैं बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा हूं लेकिन कांग्रेस छोड़ रहा हूं, अपमान नहीं संभाल सकता.

उन्होंने कहा, मैं इस्तीफा दूंगा ... पार्टी में नहीं रहूंगा. उन्होंने कहा कि वह अभी भी पंजाब के हित में अपने विकल्पों के बारे में सोच रहे थे, जिनकी सुरक्षा उनके लिए प्रमुख प्राथमिकता थी.

अमरिंदर सिंह ने कहा, मेरे साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जाएगा..मैं इस तरह का अपमान नहीं सहुंगा. उन्होंने कहा कि उनके सिद्धांत और विश्वास उन्हें कांग्रेस में बने रहने की अनुमति नहीं देते हैं.

वरिष्ठ कांग्रेसियों को विचारक बताते हुए, जो पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण थे, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा नेतृत्व को उन योजनाओं को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिन्हें तैयार करने के लिए वरिष्ठ नेता तैयार हैं. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से वरिष्ठों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा था, यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं था.

उम्मीद जताते हुए कि पंजाब के लोग राज्य के भविष्य के लिए वोट करेंगे, उन्होंने कहा कि उनके अनुभव से पता चलता है कि पंजाब के लोग एक ही पार्टी/बल को वोट देते हैं, चाहे जितने भी दल मैदान में हों. उन्होंने कहा कि पंजाब में कुशासन, पाकिस्तान को राज्य और देश में परेशानी पैदा करने का मौका देगा. उन्होंने कहा कि आज सुबह एनएसए अजीत डोभाल के साथ उनकी बैठक इसी मुद्दे पर केंद्रित रही.

बता दें कि हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. शाह से मिलने के बाद अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए गतिरोध को लेकर बात की.

18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अमरिंदर सिंह ने विशेष रूप से आक्रामक तेवर अपनाए हैं. इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने कहा कि उनका अपमान हुआ है.

2017 में ही शुरू हुई थी सिद्धू और कैप्टन में खटपट
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, मगर बीजेपी ने अरुण जेटली को उम्मीदवार बना दिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू राहुल और प्रियंका के करीबियों में शुमार हो गए. वह अमरिंदर की सरकार में पर्यटन और नगर निकाय के मंत्री बने. यही से अमरिंदर और सिद्धू में खटपट शुरू हुई.

बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कामकाज के तरीके से नाखुश थे. उधर, सिद्धू भी वादे के मुताबिक डिप्टी सीएम नहीं बनाने से नाराज हो गए. टीवी शोज में सिद्धू की खिंचाई शुरू हुई तो कैप्टन ने उनका विभाग बदल दिया. इसके बाद तो सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को चुनौती देना शुरू कर दिया. जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात के बाद सिद्धू की आलोचना शुरू हुई तो अमरिंदर समर्थकों ने भी सिद्धू की घेराबंदी कर दी. 20 जुलाई 2019 को सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तो हमेशा वह अपनी ही सरकार की आलोचना करते रहे.

पढ़ें :- कैप्टन से मुलाकात के बाद डोभाल पहुंचे शाह के आवास

कैप्टन आए तो भाजपा को भी होगा फायदा
दरअसल पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि विकल्प खुला है. पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेता भी कैप्टन की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं जो अकाली दल से नाता टूटने के बाद काफी पीछे जा चुकी थी. कैप्टन की भाजपा से नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. कैप्टन की किसानों में पैठ है और दोनों का कॉम्बिनेशन कैप्टन और भाजपा दोनों के लिए वरदान साबित हो सकता है.

पढ़ें :- भाजपा का दामन थामेंगे या नई पार्टी बनाएंगे अमरिंदर, जानिए कैप्टन के पास कितने विकल्प

Last Updated : Sep 30, 2021, 3:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.