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Health Insurance: हेल्थ बीमा पॉलिसी में 26 फीसदी का उछाल, महिलाओं की हिस्सेदारी एक-तिहाई - कोविड महामारी व जीवन बीमा उद्योग

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने आम लोगों के बीच हेल्थ को लेकर सतर्कता व जागरूकता बढ़ाने का काम भी किया है. इसी का नतीजा है, कि इस वर्ष स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 26 फीसदी का उछाल (26% jump in health insurance policies) दर्ज किया गया. इतना ही नहीं, जहां तक जीवन बीमा पॉलिसी (life insurance policy) का सवाल है, तो यह प्लान्स करीब एक-तिहाई महिलाओं को बेचे गये.

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Published : Mar 22, 2022, 3:12 PM IST

नई दिल्ली: आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में करीब 60 लाख और भारत में 05 लाख से ज्यादा लोगों की जान कोरोना महामारी की वजह से चली गई. इसके बाद इस घातक वायरस के प्रकोप की वजह से ही हेल्थ बीमा पॉलिसियों (health insurance policies) में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. लोग अपनी रक्षा के लिए हेल्थ बीमा को प्राथमिकता दे रहे हैं. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट (A report by SBI Research) में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, खुद को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने लिए, हेल्थ बीमा पॉलिसी लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है.

एक रिपोर्ट में भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि महामारी ने लोगों को न केवल स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की अनिवार्यता के बारे जागरूक किया है बल्कि इसे अपनाने के लिए प्रेरित भी किया है. आम लोग भी बीमा की पर्याप्त कवरेज, बेहतर सुविधाओं, निर्बाध सेवाओं की जरूरतों के बारे में जागरूक हुए हैं. घोष ने कहा कि इस अहसास ने अधिक लोगों को बीमा खरीदने के लिए प्रेरित किया, जो बेहतर पॉलिसियां कवरेज के साथ ही क्लेम देने में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं.

कोरोना बना बड़ा कारण
पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2021 की अवधि) में खुदरा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 28.5% की भारी उछाल दिखी और यह 26301 करोड़ रु तक पहुंच गया. यह वही समय था, जब डेल्टा वायरस देश में पहुंच चुका था. उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान बीमा कंपनियों के स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो में 25.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह दर्शाता है, कि इस अवधि के दौरान खुदरा स्वास्थ्य नीतियों में 17.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 30.1% की वृद्धि दर्ज की गई है.

डेथ क्लेम में हुई बढ़ोतरी
पहली कोविड लहर के दौरान जीवन बीमा उद्योग द्वारा भुगतान किए गए मृत्यु दावों की राशि लगभग 41% तक बढ़ गई. वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा कंपनियों ने 41958 करोड़ रुपये का भुगतान किया. पिछले वित्त वर्ष के दौरान व्यक्तिगत जीवन बीमा कारोबार के मामले में जीवन बीमा कंपनियों ने कुल लाभ राशि 26422 करोड़ रुपये (46.4 फीसदी की वृद्धि) के साथ 10.84 लाख दावों का भुगतान किया. इसके अलावा मृत्यु दावों का आकार, भुगतान किए गए प्रति व्यक्ति मुआवजे, वित्त वर्ष 2019-20 में 2.13 लाख रुपये की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 2.44 लाख रुपये हो गया.

यह भी पढ़ें-10 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले उत्पादों के दाम

एक-तिहाई जीवन बीमा पॉलिसियां महिलाओं के नाम
कोविड महामारी ने जीवन बीमा उद्योग में एक और सकारात्मक बदलाव किया है. पिछले साल बेची गई जीवन बीमा पॉलिसियों में महिलाओं की हिस्सेदारी एक-तिहाई है. वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 93 लाख जीवन बीमा पॉलिसी महिलाओं को बेची गईं, जो वर्ष में बेची गई सभी जीवन बीमा पॉलिसियों में 33% हिस्सा है. निजी जीवन बीमाकर्ताओं के मामले में महिलाओं पर पॉलिसियों का अनुपात 27% और एलआईसी का 35% है. इस डेटा से एक और तथ्य सामने आता है कि कम से कम 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेची गई कुल पॉलिसियों में महिलाओं द्वारा खरीदी गई पॉलिसियों की संख्या का हिस्सा अखिल भारतीय औसत 33% से अधिक है.

नई दिल्ली: आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में करीब 60 लाख और भारत में 05 लाख से ज्यादा लोगों की जान कोरोना महामारी की वजह से चली गई. इसके बाद इस घातक वायरस के प्रकोप की वजह से ही हेल्थ बीमा पॉलिसियों (health insurance policies) में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. लोग अपनी रक्षा के लिए हेल्थ बीमा को प्राथमिकता दे रहे हैं. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट (A report by SBI Research) में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, खुद को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने लिए, हेल्थ बीमा पॉलिसी लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है.

एक रिपोर्ट में भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि महामारी ने लोगों को न केवल स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की अनिवार्यता के बारे जागरूक किया है बल्कि इसे अपनाने के लिए प्रेरित भी किया है. आम लोग भी बीमा की पर्याप्त कवरेज, बेहतर सुविधाओं, निर्बाध सेवाओं की जरूरतों के बारे में जागरूक हुए हैं. घोष ने कहा कि इस अहसास ने अधिक लोगों को बीमा खरीदने के लिए प्रेरित किया, जो बेहतर पॉलिसियां कवरेज के साथ ही क्लेम देने में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं.

कोरोना बना बड़ा कारण
पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2021 की अवधि) में खुदरा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 28.5% की भारी उछाल दिखी और यह 26301 करोड़ रु तक पहुंच गया. यह वही समय था, जब डेल्टा वायरस देश में पहुंच चुका था. उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान बीमा कंपनियों के स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो में 25.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह दर्शाता है, कि इस अवधि के दौरान खुदरा स्वास्थ्य नीतियों में 17.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 30.1% की वृद्धि दर्ज की गई है.

डेथ क्लेम में हुई बढ़ोतरी
पहली कोविड लहर के दौरान जीवन बीमा उद्योग द्वारा भुगतान किए गए मृत्यु दावों की राशि लगभग 41% तक बढ़ गई. वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा कंपनियों ने 41958 करोड़ रुपये का भुगतान किया. पिछले वित्त वर्ष के दौरान व्यक्तिगत जीवन बीमा कारोबार के मामले में जीवन बीमा कंपनियों ने कुल लाभ राशि 26422 करोड़ रुपये (46.4 फीसदी की वृद्धि) के साथ 10.84 लाख दावों का भुगतान किया. इसके अलावा मृत्यु दावों का आकार, भुगतान किए गए प्रति व्यक्ति मुआवजे, वित्त वर्ष 2019-20 में 2.13 लाख रुपये की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 2.44 लाख रुपये हो गया.

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एक-तिहाई जीवन बीमा पॉलिसियां महिलाओं के नाम
कोविड महामारी ने जीवन बीमा उद्योग में एक और सकारात्मक बदलाव किया है. पिछले साल बेची गई जीवन बीमा पॉलिसियों में महिलाओं की हिस्सेदारी एक-तिहाई है. वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 93 लाख जीवन बीमा पॉलिसी महिलाओं को बेची गईं, जो वर्ष में बेची गई सभी जीवन बीमा पॉलिसियों में 33% हिस्सा है. निजी जीवन बीमाकर्ताओं के मामले में महिलाओं पर पॉलिसियों का अनुपात 27% और एलआईसी का 35% है. इस डेटा से एक और तथ्य सामने आता है कि कम से कम 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेची गई कुल पॉलिसियों में महिलाओं द्वारा खरीदी गई पॉलिसियों की संख्या का हिस्सा अखिल भारतीय औसत 33% से अधिक है.

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