लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम व राजस्थान, हिमाचल प्रदेश के गवर्नर रहे भाजपा के कद्दावर नेता कल्याण सिंह (Kalyan Singh) अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़ी यादें लोगों की जुबान पर है. कल्याण सिंह का संभल से गहरा नाता रहा है, क्योंकि उनकी ससुराल जिले के चंदौसी में है.
चंदौसी में कल्याण सिंह के साले विजय पाल सिंह और गजराज सिंह परिवार सहित रहते हैं. जैसे ही कल्याण सिंह की निधन की खबर ससुराल में पहुंची हर कोई सुनकर स्तब्ध रह गया. ससुराल में हर कोई गहरे शोक में है. ईटीवी भारत ने कल्याण सिंह के ससुरालजन से इस मौके पर विशेष बातचीत की.
विजय पाल सिंह ने बताया कि कल्याण सिंह ससुरालजनों को भी अपने परिवार की तरह ही मानते थे. उन्होंने नेताओं वाला रवैया नहीं रखा, जब भी वह चंदौसी आते थे, तो हम लोगों से एक आम व्यक्ति की तरह ही मिलते थे.
उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह सरल स्वभाव के मृदुभाषी एक बहुत अच्छे व्यक्ति थे. वह अक्सर परिवार के कार्यक्रमों में अक्सर चंदौसी आते रहते थे. उन्होंने बताया कि आखरी बार कल्याण सिंह करीब 13 साल पहले 2008 में चंदौसी आए थे और 3 दिन रुके भी थे.
कल्याण सिंह के साले विजय पाल सिंह ने बताया कि बताया कि उनकी बहन रामवती के साथ कल्याण सिंह की शादी हुई थी. कल्याण सिंह की बारात अलीगढ़ के गांव मंड़ौली से संभल के बहजोई तक ट्रेन से आई थी. बहजोई स्टेशन पर ट्रेन से उतरे बारातियों को तांगे द्वारा पैतृक गांव देवापुर पहुंचाया गया था, क्योंकि उस समय यातायात के साधन बहुत कम थे.
उन्होंने कहा कि इतने वर्ष पुरानी शादी का साल अब मुझे ध्यान नहीं है, लेकिन उस वक्त शादी की व्यवस्थाएं देखने वाले परिजनों और रिश्तेदारों और बुजुर्गों से सुने अनुभवों से बारात का सफर ट्रेन से होने की जानकारी मुझे है.
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विजय पाल सिंह ने हमें बताया कि बाद में हमारा पूरा परिवार गांव से चंदौसी में शिफ्ट हो गया था. तब से ही कल्याण सिंह की ससुराल चंदौसी शहर की कहलाने लगी. यहां अक्सर खास अफसरों पर कल्याण सिंह चंदौसी आते जाते रहते थे.
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विजय पाल सिंह ने बताया कि बनावट पसंद नहीं थी, वह बहुत सादा स्वभाव के थे. अपना काम खुद करना पसंद करते थे. ससुराल आने के बाद भी अपना धोती-कुर्ता खुद ही धोते थे. खाने में उड़द की धूली दाल बहुत पसंद करते थे. पूछने पर अक्सर उड़द की धुली दाल ही बनवाया करते थे.