गया: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार में चारों ओर उत्साह का माहौल है. हालांकि छठ की छठा बिहार और भारत की सीमा से बाहर विदेशों में भी देखने को मिलती है. यही वजह है कि बोधगया में जापान और नीदरलैंड की युवतियां भी छठी मइया की महिमा को जानने आई हैं. सात समंदर पार से आई जापान और नीदरलैंड की युवतियां भी छठ पर्व की महिमा जानकर नतमस्तक हो गई हैं. उन्होंने भगवान सूर्य और छठ मइया के बारे में काफी कुछ जाना और छठ की महिमा को जानकर इतनी प्रभावित हुई कि व्रतियों के साथ मिलकर छठ का प्रसाद बनाने में जुट गई. यह विदेशी युवतियां छठ घाटों पर भी जाएगी और अस्तचलगामी और उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी.
छठ की महिमा जान हुईं प्रभावित: स्थानीय नीतीश कुमार ने बताया कि विदेशी महिलाओं ने छठ की महिमा को जाना है और उससे काफी प्रभावित हुई है. छठ पर्व की महत्ता को जानकर यह इतनी प्रभावित हुई हैं कि व्रतियों के साथ मिलकर छठ का प्रसाद भी तैयार कर रही है. यह विदेशी युवतियां भगवान सूर्य की उपासना वाली महता को जानकर काफी उत्सुक हैं. आज वो अस्तचलगामी सूर्य और सोमवार की सुबह को उदयीमान सूर्य को भी अर्घ्य देंगी.
"चार दिवसीय छठ पूजा में इस वर्ष ये विदेशी युवतियां साथियों के साथ नहाकर प्रसाद बनाने के लिए चावल, गेहूं और अन्य पकवान बनाने में मदद कर रही हैं. उन्होंने खरना का प्रसाद भी अपने हाथों से बनाया है."-नीतीश,स्थानीय
भगवान बुद्ध के दर्शन करने आईं थीं विदेशी युवतियां: बोधगया में भगवान बुद्ध को नमन करने जापान और नीदरलैंड से मेहमान पहुंचे हैं. बकरौर गांव निवासी अनूप कुमार टूरिस्ट गाइड का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि बोधगया में काफी संख्या में विदेशी मेहमान आए हुए हैं. इसमें महिला-पुरुष दोनों शामिल है. ये कई दिन तक बोधगया में पूजा अर्चना करती हैं और वो बुद्ध मंदिर में ही रूकती हैं.
विदेश तक पहुंचा लोक आस्था का महापर्व: दरअअल लोक आस्था का महापर्व विदेश तक पहुंच चुका है. यहां आने वाले विदेशी पूरे श्रद्धा के साथ छठ पर्व को मानते है. सात समंदर पार से आकर विदेशी श्रद्धालु बोधगया में छठ पर्व में शामिल हो कर शांति की कामना करते हैं. जापान और नीदरलैंड की महिला श्रद्धालु प्रसाद बना रही हैं. इस दौरान नीदरलैंड से आए जोशिम ने बताया कि छठ पर्व के बारे में केवल सुना था लेकिन आज बहुत ही सुनहरा मौका है कि वो इस महान पर्व में शामिल हुई है.
"ये एक ऐसा पर्व है जिसमें सूर्य की पूजा की जाती है और यहां के लोग सूर्य को भगवान का दर्जा देते है. ये बहुत ही बड़ी बात है. हम लोग आज चावल साफ कर रहे हैं उससे प्रसाद बनाएंगे और अस्तचलगामी और उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे."-जोशिम, विदेशी महिला
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