पश्चिम चंपारण : देश और दुनियाभर में अब सारे लोग कैशलेस होने लगे हैं और डिजिटल लेन-देन (Digital Transaction) पर निर्भर करने लगे हैं. हालांकि, डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल केवल पढ़े-लिखे लोगों करते हुए नजर आए हैं, लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जो भीख भी डिजिटल माध्यम से मांगता (digital beggar of bihar) है. ये डिजिटल भिखारी राजू (Digital Beggar Raju) है, जो बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया रेलवे स्टेशन पर अपने गले में QR CODE की तख्ती और TAB लिये भीख मांगता (begging by hanging QR code) है.
जानकारी के मुताबिक, पिछले 30 सालों से ये डिजिटल भिखारी इसी तरह से भिख मांगकर गुजारा कर रहा है. लोग इसे मंद बुद्धि का मानते हैं, लेकिन उसका कहना है कि लोगों के पास हर वक्त छुट्टे पैसे नहीं होते, इसलिए वह डिजिटल तरीके से उनसे भीख मांगता है. राजू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक है और उनके डिजिटल इंडिया के कैंपेन से प्रभावित होकर ही इस तरह से भीख मांगने का तरीका अपनाया. बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले इस शख्स का दावा है कि वह बिहार का ही नहीं, बल्कि भारत का पहला डिजिटल भिखारी है.
डिजिटल भिखारी राजू की कहानी भी रोचक है. राजू के मुताबिक, पहले लोगों से भीख मांगने पर कहते थे कि उनके पास खुल्ले पैसे नहीं हैं और आगे बढ़ जाते थे. इसके बाद उसने इस तरीके से लोगों से भीख मांगने की सोची और बैंक में खाता खुलवाने गया. जहां बैंक कर्मी ने उससे पैन कार्ड और आधार कार्ड दिखाने को कहा. आधार कार्ड तो उसके पास पहले से था, लेकिन पैन कार्ड बनवाना पड़ा. इसके बाद पिछले महीने ही बेतिया के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में उसने खाता खुलवाया और ई-वॉलेट बनवाया. अब बेतिया रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और काली बाग मंदिर के आसपास लोगों से वह डिजिटल तरीके से भीख मांगता है. राजू की इस कहानी की हर तरफ चर्चा हो रही है.
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राजू का कहना है कि मंद बुद्धि होने के कारण कोई उसे नौकरी नहीं देता था. तबसे उसने भीख मांगकर गुजारा करना शुरू किया. लेकिन अब जब से वह डिजिटल भिखारी बना है, उसकी कमाई भी बढ़ गई है. राजू खुद को लालू यादव का भी बहुत बड़ा फैन (Lalu Yadav fan beggar Raju) बताता है. एक वक्त था, जब वह लालू यादव की नकल भी करता था और आसपास जहां भी लालू यादव का कार्यक्रम होता था, राजू वहां पहुंच जाता था. उसने कहा कि लालू यादव ने उसके लिए दो वक्त के खाने का पास बनवाया था, जिससे उसको तब खाने की दिक्कत नहीं होती थी.
2005 में लालू यादव के आदेश पर उसे सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पैंट्री कार से रोज भोजन मिलता था. लेकिन उनके रेल मंत्री पद से हटने के बाद वह पास भी रद्द हो गया और अब लोगों से मांगकर ही गुजारा करना पड़ता है. ऐसे में छुट्टे पैसे नहीं रहने पर लोग QR CODE के जरिए मनी ट्रांसफर कर देते हैं.