ETV Bharat / bharat

21 जून को ही क्यों मनाते हैं विश्व योग दिवस, जानें इतिहास - ayush mantralaya

प्राचीन काल से ही योग को शरीर के रोक-विकार ठीक करने की औषधि माना जाता रहा है. योग जहां एक ओर शारीरिक रूप से व्यक्ति को स्वस्थ रखने में लाभकारी है, वहीं दूसरी ओर मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है. योग को देवताओं के समय का विज्ञान भी माना जाता रहा है. जानें आखिर कहां से हुई योग की शुरुआत और 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस....

विश्व योग दिवस
author img

By

Published : Jun 21, 2019, 12:07 AM IST

नई दिल्लीः योग को दुनिया का सबसे प्राचीन विज्ञान माना गया है. भगवान शिव को योग का सबसे पहला गुरु माना जाता है इसलिए उन्हें आदियोगी भी कहते हैं. वहीं महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है.

वहीं अगर दूसरी ओर विश्व मंच पर योग की बात की जाए तो पीएम मोदी ने विश्व भर में योगा को विख्यात करने में अहम भूमिका निभाई है.

माना जाता है कि महर्षि पतंजलि ने 200 ईसा पूर्व योगसूत्र की रचना की थी. हिंदू धर्म में योग को ईश्वर से जुड़ने का माध्यम माना गया है. महावीर और बुद्ध के काल में भी योग का अहम स्थान रहा. हालांकि योग किसी खास धर्म या आस्था का विषय नहीं है. आम तौर पर लोग योग को शारीरिक फिटनेस के लिए अपनाते हैं लेकिन ये शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखता है. योग के जरिए मन और शरीर के बीच तालमेल स्थापित किया जाता है. योग को विदेशों तक पहुंचाने में स्वामी विवेकानंद सहित कई योगाचार्यों की भूमिका रही है. योग के फायदों को समझने के बाद धीरे-धीरे दुनिया भर के देशों ने भारत के इस विज्ञान का लोहा मान लिया.

देखें योग दिवस वीडियो

ये भी पढ़ें-भगवान बिरसा मुंडा की धरती से शुक्रवार को विश्व को योग का महत्व बताएंगे पीएम मोदी, तैयारियां पूरी

21 जून को क्यों मनाते हैं योग दिवस

27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी ने योग दिवस को लेकर प्रस्ताव रखा था. यूएन के193 सदस्य देशों में 177 ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 11 दिसंबर 2014 को इसे मंजूर कर लिया गया. 21 जून 2015 को पहला विश्व योग दिवस मनाया गया. 21 जून धरती के उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाता है. मान्यता है कि इस अवस्था में योग करने से जल्दी लाभ मिलना शुरू होता है. दुनिया के कई देशों में भी इस दिन का बड़ा महत्व है.

देश में योग दिवस का पहला मुख्य समारोह 2015 में नई दिल्ली में और दूसरा समारोह 2016 में चंडीगढ़ में हुआ. 2017 में तीसरा समारोह लखनऊ में और पिछले साल इसका आयोजन देहरादून में किया गया. अब विश्व योग दिवस पांचवां मुख्य आयोजन रांची में किया जा रहा है.

नई दिल्लीः योग को दुनिया का सबसे प्राचीन विज्ञान माना गया है. भगवान शिव को योग का सबसे पहला गुरु माना जाता है इसलिए उन्हें आदियोगी भी कहते हैं. वहीं महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है.

वहीं अगर दूसरी ओर विश्व मंच पर योग की बात की जाए तो पीएम मोदी ने विश्व भर में योगा को विख्यात करने में अहम भूमिका निभाई है.

माना जाता है कि महर्षि पतंजलि ने 200 ईसा पूर्व योगसूत्र की रचना की थी. हिंदू धर्म में योग को ईश्वर से जुड़ने का माध्यम माना गया है. महावीर और बुद्ध के काल में भी योग का अहम स्थान रहा. हालांकि योग किसी खास धर्म या आस्था का विषय नहीं है. आम तौर पर लोग योग को शारीरिक फिटनेस के लिए अपनाते हैं लेकिन ये शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखता है. योग के जरिए मन और शरीर के बीच तालमेल स्थापित किया जाता है. योग को विदेशों तक पहुंचाने में स्वामी विवेकानंद सहित कई योगाचार्यों की भूमिका रही है. योग के फायदों को समझने के बाद धीरे-धीरे दुनिया भर के देशों ने भारत के इस विज्ञान का लोहा मान लिया.

देखें योग दिवस वीडियो

ये भी पढ़ें-भगवान बिरसा मुंडा की धरती से शुक्रवार को विश्व को योग का महत्व बताएंगे पीएम मोदी, तैयारियां पूरी

21 जून को क्यों मनाते हैं योग दिवस

27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी ने योग दिवस को लेकर प्रस्ताव रखा था. यूएन के193 सदस्य देशों में 177 ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 11 दिसंबर 2014 को इसे मंजूर कर लिया गया. 21 जून 2015 को पहला विश्व योग दिवस मनाया गया. 21 जून धरती के उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाता है. मान्यता है कि इस अवस्था में योग करने से जल्दी लाभ मिलना शुरू होता है. दुनिया के कई देशों में भी इस दिन का बड़ा महत्व है.

देश में योग दिवस का पहला मुख्य समारोह 2015 में नई दिल्ली में और दूसरा समारोह 2016 में चंडीगढ़ में हुआ. 2017 में तीसरा समारोह लखनऊ में और पिछले साल इसका आयोजन देहरादून में किया गया. अब विश्व योग दिवस पांचवां मुख्य आयोजन रांची में किया जा रहा है.

Intro:Body:

Yoga Day 2019: 21 जून को क्यों मनाते हैं विश्व योग दिवस, कौन है योग का जनक



योग को दुनिया का सबसे प्राचीन विज्ञान माना गया है. भगवान शिव को योग का सबसे पहला गुरु माना जाता है इसलिए उन्हें आदियोगी  भी कहते हैं. वहीं महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है जबकि विश्व योग दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से हुई.



माना जाता है कि महर्षि पतंजलि ने 200 ईसा पूर्व योगसूत्र की रचना की थी. हिंदू धर्म में योग को ईश्वर से जुड़ने का माध्यम माना गया है. महावीर और बुद्ध के काल में भी योग का अहम स्थान रहा. हालांकि  योग किसी खास धर्म या आस्था का विषय नहीं है. आम तौर पर लोग योग को शारीरिक  फिटनेस के लिए अपनाते हैं लेकिन ये शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखता है. योग के जरिए मन और शरीर के बीच तालमेल स्थापित किया  जाता है. योग को विदेशों तक पहुंचाने में स्वामी विवेकानंद  सहित कई योगाचार्यों  की भूमिका रही है. योग के फायदों  को समझने के बाद धीरे-धीरे दुनिया भर के देशों ने भारत के इस विज्ञान का लोहा मान लिया.



ये भी पढ़ें-



21 जून को क्यों मनाते हैं योग दिवस

27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में  पीएम मोदी ने योग दिवस को लेकर प्रस्ताव रखा था. यूएन के193 सदस्य देशों में 177 ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 11 दिसंबर 2014 को इसे मंजूर कर लिया गया. 21 जून 2015 को पहला विश्व योग दिवस मनाया गया. 21 जून धरती के उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाता है. मान्यता है कि इस अवस्था में योग करने से जल्दी लाभ मिलना शुरू होता है. दुनिया के कई देशों में भी इस दिन का बड़ा महत्व है.



देश में योग दिवस का पहला मुख्य समारोह 2015 में नई दिल्ली में और दूसरा समारोह 2016 में चंडीगढ़ में हुआ. 2017 में तीसरा समारोह लखनऊ में और पिछले साल इसका आयोजन देहरादून में किया गया. अब विश्व योग दिवस पांचवां मुख्य आयोजन रांची में किया जा रहा है.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.