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OMG! खतरनाक समस्या बनती जा रही स्मार्टफोन पर निर्भरता, डिप्रेशन भी हुआ पीछे - Dependency On Smartphones Dangerous

Dependency On Smartphones Is Dangerous : आज के समय में मोबाइल फोन पर बढ़ती निर्भरता एक खतरनाक रूप ले चुकी है. एक रिसर्च के अनुसार स्मार्टफोन पर निर्भरता इतनी बढ़ चुकी है कि अब डिप्रेशन भी उसके बाद आता है. खास बात है कि दोनों के बीच लक्षणों नजर आ रहे हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 4, 2024, 4:19 PM IST

हैदराबाद: आज के समय में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसके पास स्मार्टफोन ना हो. जी हां! यह कड़वा सच है कि आज के समय में मोबाइल ने लोगों को ऐसे अपनी जकड़ में कैद कर रखा है कि उससे कोई आजाद नहीं हो सकता. लत में पड़े यूजर्स बैठे-बैठे घंटों अपना समय मोबाइल फोन चलाकर निकाल देते हैं. एंटरटेनमेंट की तलाश में मोबाइल पकड़े यूजर्स डिप्रेशन की गर्त में गिरते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अवसाद पहले आता है या स्मार्टफोन की लत. एक रिसर्च के अनुसार यूजर्स स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं, ऐसे में वह अवसाद और अकेलेपन की समस्या में फंस सकते हैं.

dependency on smartphones
स्मार्टफोन पर निर्भरता

बता दें कि रिसर्च के अनुसार स्मार्टफोन पर निर्भरता, डिप्रेशन के लक्षणों के बीच काफी समानता देखी गई है. जानकारी के अनुसार डिप्रेशन या अकेले लोगों के अपने फोन पर निर्भर होने की संभावना अधिक होती है. एरिजोना विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर मैथ्यू लापिएरे और उनके सहयोगियों ने 18 से 20 वर्ष की आयु के 346 लोगों के बीच काम किया और पाया कि स्मार्टफोन पर उन लोगों की निर्भरता बढ़ गई है, जो कि डिप्रेशन में हैं. रिपोर्ट के अनुसार अन्य की तुलना में डिप्रेशन और अकेलेपन के लक्षण यहां ज्यादा पाए जाते हैं.

कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर लापिएरे ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि स्मार्टफोन पर निर्भरता सीधे तौर पर बाद में अवसादग्रस्त लक्षणों को सामने लेकर आती है, जो कि अकेलेपन की उपज हो सकती है. यह एक समस्या है जहां लोग डिवाइस पर पूरी तरह से निर्भर हैं, अगर उनके पास यह ना हो या थोड़ी देर दूर रहना हो तो वे टेंशन में आ जाते हैं. वहीं, रिसर्च के को-राइटर पेंगफेई झाओ ने कहा कि 'स्मार्टफोन पर निर्भरता और खराब साइकोलॉजी रिजल्ट के बीच संबंधों को पहचानकर यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए.

dependency on smartphones
स्मार्टफोन पर निर्भरता

मैं घबरा जाता हूं...
झाओ ने कहा कि अगर अवसाद और अकेलापन स्मार्टफोन पर निर्भरता का कारण बनता है, तो हम लोगों के मेंटल हेल्थ को समायोजित करके निर्भरता को कम कर सकते हैं. लेकिन अगर स्मार्टफोन पर निर्भरता अवसाद और अकेलेपन से पहले है तो भी हम स्मार्टफोन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं. रिसर्च स्कॉलर्स ने स्मार्टफोन पर निर्भरता को मापने के लिए चार-बिंदु पैमाने पर बात की जैसे कि जब मैं अपने स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाता तो मैं घबरा जाता हूं.

इन बातों पर दें ध्यान
इस बीच समस्या से निपटने के लिए रिसर्च स्कॉलर्स ने सुझाव भी दिया, जिसके अनुसार जब लोग तनाव महसूस करते हैं तो उन्हें इससे निपटने के लिए अन्य स्वस्थ तरीकों का उपयोग करना चाहिए, जैसे सपोर्ट के लिए फैमिली मेंबर या किसी दोस्त से बात करना. कुछ व्यायाम या मेडिटेशन करना.

यह भी पढ़ें: आ गया Indeed का नया AI-पावर्ड टूल, कर्मचारियों की हायरिंग में आएगी तेजी

हैदराबाद: आज के समय में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसके पास स्मार्टफोन ना हो. जी हां! यह कड़वा सच है कि आज के समय में मोबाइल ने लोगों को ऐसे अपनी जकड़ में कैद कर रखा है कि उससे कोई आजाद नहीं हो सकता. लत में पड़े यूजर्स बैठे-बैठे घंटों अपना समय मोबाइल फोन चलाकर निकाल देते हैं. एंटरटेनमेंट की तलाश में मोबाइल पकड़े यूजर्स डिप्रेशन की गर्त में गिरते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अवसाद पहले आता है या स्मार्टफोन की लत. एक रिसर्च के अनुसार यूजर्स स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं, ऐसे में वह अवसाद और अकेलेपन की समस्या में फंस सकते हैं.

dependency on smartphones
स्मार्टफोन पर निर्भरता

बता दें कि रिसर्च के अनुसार स्मार्टफोन पर निर्भरता, डिप्रेशन के लक्षणों के बीच काफी समानता देखी गई है. जानकारी के अनुसार डिप्रेशन या अकेले लोगों के अपने फोन पर निर्भर होने की संभावना अधिक होती है. एरिजोना विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर मैथ्यू लापिएरे और उनके सहयोगियों ने 18 से 20 वर्ष की आयु के 346 लोगों के बीच काम किया और पाया कि स्मार्टफोन पर उन लोगों की निर्भरता बढ़ गई है, जो कि डिप्रेशन में हैं. रिपोर्ट के अनुसार अन्य की तुलना में डिप्रेशन और अकेलेपन के लक्षण यहां ज्यादा पाए जाते हैं.

कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर लापिएरे ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि स्मार्टफोन पर निर्भरता सीधे तौर पर बाद में अवसादग्रस्त लक्षणों को सामने लेकर आती है, जो कि अकेलेपन की उपज हो सकती है. यह एक समस्या है जहां लोग डिवाइस पर पूरी तरह से निर्भर हैं, अगर उनके पास यह ना हो या थोड़ी देर दूर रहना हो तो वे टेंशन में आ जाते हैं. वहीं, रिसर्च के को-राइटर पेंगफेई झाओ ने कहा कि 'स्मार्टफोन पर निर्भरता और खराब साइकोलॉजी रिजल्ट के बीच संबंधों को पहचानकर यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए.

dependency on smartphones
स्मार्टफोन पर निर्भरता

मैं घबरा जाता हूं...
झाओ ने कहा कि अगर अवसाद और अकेलापन स्मार्टफोन पर निर्भरता का कारण बनता है, तो हम लोगों के मेंटल हेल्थ को समायोजित करके निर्भरता को कम कर सकते हैं. लेकिन अगर स्मार्टफोन पर निर्भरता अवसाद और अकेलेपन से पहले है तो भी हम स्मार्टफोन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं. रिसर्च स्कॉलर्स ने स्मार्टफोन पर निर्भरता को मापने के लिए चार-बिंदु पैमाने पर बात की जैसे कि जब मैं अपने स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाता तो मैं घबरा जाता हूं.

इन बातों पर दें ध्यान
इस बीच समस्या से निपटने के लिए रिसर्च स्कॉलर्स ने सुझाव भी दिया, जिसके अनुसार जब लोग तनाव महसूस करते हैं तो उन्हें इससे निपटने के लिए अन्य स्वस्थ तरीकों का उपयोग करना चाहिए, जैसे सपोर्ट के लिए फैमिली मेंबर या किसी दोस्त से बात करना. कुछ व्यायाम या मेडिटेशन करना.

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