प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 वर्ष की नाबालिग की शादी करवाने वाले पुरोहित और विवाह का प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्था आर्य सनातन धर्म सेवा समिति आगरा के सचिव पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर शादी करने वाले लड़के को अदालत से ही गिरफ्तार करवा कर संबंधित थाना अध्यक्ष को सौंपने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस बात की भी जांच की जाए कि फर्जी आधार कार्ड कहां से बनवाया. इसके साथ ही अदालत ने नाबालिग लड़की को बाल कल्याण समिति इटावा को सौंपने का निर्देश दिया है. बाल कल्याण समिति को लड़की की काउंसलिंग करने, उसे सुरक्षित स्थान पर रखने और पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए कहा है. कोर्ट ने एसएसपी इटावा को इस मामले की स्वयं निगरानी करने का निर्देश दिया है. 12 वर्षीय नाबालिग और उससे विवाह करने वाले युवक श्रवण की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने दिया.
लड़की और लड़के ने कोर्ट से मांगा था संरक्षणः हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई थी कि दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से विवाह किया है. इसलिए उनको पुलिस से संरक्षण दिलाया जाए. आयु प्रमाण के तौर पर लड़की का आधार कार्ड प्रस्तुत कर बताया गया कि लड़की जन्मतिथि 7 अक्टूबर 2023 है और वह 21 वर्ष की है. इसी प्रकार लड़के ने अपनी उम्र 29 वर्ष बताई.
पुलिस की जांच में आधारकार्ड निकला फर्जीः सरकारी अधिवक्ता ने प्रस्तुत आयु प्रमाण पत्र आधार कार्ड पर संदेह जताते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि प्रथम दृष्टया आधार कार्ड फर्जी प्रतीत होता है. इसलिए इसकी जांच कर ली जाए. इस पर कोर्ट ने एसएचओ सैफई को आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया. वहीं, नाबालिग लड़की के पिता को भी कोर्ट ने आयु प्रमाण पत्र के साथ प्रस्तुत होने का निर्देश दिया. एसएचओ सैफई ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि लड़की की जन्म तिथि 8 सितंबर 2011 है और वह लगभग 12 वर्ष की है. पुलिस ने ग्राम प्रधान और प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक का बयान भी दर्ज किया. नाबालिग के पिता ने भी हलफनामा दाखिल कर उसकी आयु 12 वर्ष आठ माह बताई.
12 साल में शादी करने से शरीर पर पड़ेगा बुरा असरः सरकारी वकील का कहना था कि कोर्ट में इस प्रकार के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दर्जनों याचिकाएं प्रतिदिन दाखिल की जाती है, आधार कार्ड आसानी से प्राप्त हो जाता है और पैसे के लालच में ट्रस्ट या समिति के सदस्य और पुरोहित शादी करवा देते हैं. इस मामले में खुली आंख से ही यह देखा जा सकता है कि लड़की नाबालिग है. कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याची 12 साल की है और उसका विवाह करवाना बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है. 12 वर्ष की आयु में शादी करने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं. इससे लड़की के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. क्योंकि शारीरिक और मानसिक तौर से उसकी उम्र विवाह के योग्य नहीं है.
पुरोहित और प्रमाण पत्र जारी करने वाले पर केस दर्ज करेंः कोर्ट ने निर्देश दिया कि शादी करवाने वाले पुरोहित और शादी का प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्था आर्य सनातन धर्म सेवा समिति यमुना विहार फाउंड्री नगर आगरा के सचिव पर इटावा के सैफई थाने में मुकदमा दर्ज कर जांच की जाए. साथ ही याची श्रवण को कोर्ट ने हिरासत में लेकर एसएचओ सैफई के हवाले करने का निर्देश दिया है. यह भी जांच करने के लिए कहा है कि फर्जी आधार कार्ड कहां से बनवाया गया.