जयपुर. हिंदू धर्म को संभालना और उसको आगे बढ़ाना यह एक बात है, लेकिन उसे बढ़ाने के लिए दूसरों पर अत्याचार करना या फिर दूसरों को अलग कर देना दूसरी बात है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी किताब और देश में बदलते माहौल पर बात करते हुए राइटर राजीव भार्गव ने ये बात कहीं. उन्होंने कहा कि वो खुद हिंदू धर्म को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, लेकिन वो नहीं चाहते हैं कि उनका जो रास्ता हो वो दूसरों का शोषण करे, अत्याचार करे और अलग कर दे. हिंदू राष्ट्र यदि दूसरों को अलग करता है तो ऐसा हिंदू राष्ट्र हमें क्यों चाहिए?
दरबार हॉल में 'द न्यू इंडिया' : बिटविन होप एंड डिस्पेर' सेशन में अपनी बात रखते हुए राइटर राजीव भार्गव ने कहा कि उन्होंने अपनी बुक में हमारी नैतिकता से जुड़ी बातों का जिक्र किया है. आज लोग सही-गलत, अच्छा-बुरा का अंतर भूल गए है. ये सब धीरे-धीरे हमारे दिमाग से निकलता जा रहा है. पता होने के बावजूद क्या अच्छा है, क्या बुरा उसे बोल नहीं पाते हैं. ये देश के लिए खतरनाक है. अगर हम ही नहीं बोले तो जो गलतियां कर रहे हैं, उसे कैसे सुधारेंगे और सुधार के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता है.
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वो भी हिन्दुस्तान में ही जन्में हैं : वहीं, हिंदू राष्ट्र बनाने की विचारधारा पर उन्होंने कहा कि वो खुद एक प्राउड हिंदू हैं और हिंदू के कल्चर, हिंदू धर्म की अच्छी बातों को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हैं, लेकिन वो नहीं चाहते हैं कि हिंदू धर्म को आगे बढ़ाने के लिए उनका जो रास्ता है, वो दूसरों पर शोषण करने या अलग करने वाला हो. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसा हिंदू राष्ट्र हमें क्यों चाहिए? यहां सभी के लिए जगह है. हिन्दुस्तानी राष्ट्र बहुत अच्छा है. सभी को उसी तरह आगे बढ़ना चाहिए. पीछे क्यों जाना है. यूरोप में बहुत अच्छाइयां हैं. हम यूरोप की बुराइयों को क्यों अपना रहे हैं. जिन कारणों से यूरोप बर्बाद हुआ है. वो उसे अब छोड़ रहा है. एक दिन ऐसा भी आएगा, जब वो मुस्लिम को भी अपनाएंगे, लेकिन हम लोग उन्हें छोड़ रहे हैं. वो भी हिन्दुस्तान में ही जन्में हैं.
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वहीं, एक-दूसरे सत्र में आइडेंटिटी ट्रैप पर चर्चा में लेखक यस्चा मोंक, बद्री नारायण और पत्रकार श्रीनिवासन जैन शामिल हुए, जिन्होंने आज के राजनीतिक क्षेत्र में पहचान, विचारों और व्यक्तिवाद की प्रकृति पर चर्चा की. इस दौरान मोंक ने जर्मनी में बिताए बचपन, श्वेत विशेषाधिकार, नस्ल अंतर और वेस्ट में नस्ल प्रोत्साहन पर अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. इधर, श्रीनिवासन जैन ने अपने अनुभव और अपनी नई किताब ‘लव जिहाद एंड अदर फिक्शन्स’ पर बात की. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है, जब उसका आधार तथ्यों और सच्चाइयों पर टिका हो. इस सत्र में बद्री नारायण ने कहा कि दलितों की क्षमता को सही तरह से काम में लाया जाना चाहिए.