लखनऊ : आज पूरे विश्व में 10% वयस्क अनिद्रा से ग्रसित हैं. यह विश्व की सबसे प्रमुख नींद से जुड़ी बीमारी है. इसमें से तीन से साथ प्रतिशत वयस्क ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) से ग्रसित है जो कि दूसरा मुख्य निद्रा विकार है. ज्यादातर वयस्कों में यह बीमारी पता ही नहीं चल पाती है. जबकि यह हाई बीपी और कुछ दिमाग संबंधी बीमारियों का प्रमुख वजहों में से एक है. ओएसए से पूरे विश्व में लगभग 93 करोड़ वयस्क इस बीमारी से ग्रसित है. इसमें 42 करोड़ लोगों को मॉडरेट टू सीवियर ग्रेड की ओएसए बीमारी है.
यह बात किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर एसके द्विवेदी ने कही है. वह वर्ल्ड स्लीप डे (15 मार्च) के अवसर पर विश्वविद्यालय के पल्मोनरी विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि नींद पूरी न होना और अनिद्रा के कारण ओएसए के मामले काफी बड़े हैं. यह विभिन्न बीमारियों जैसे हार्ट की बीमारी मेटाबॉलिक बीमारी बीपी की बीमारी डिप्रेशन लकवा जैसे अनेक गंभीर बीमारियों के वृक्ष को पैदा करता है. एक अनुमान के मुताबिक ओएसए से सालाना लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का व्यय होता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लक्षण ज्यादातर मरीजों में पता ही नहीं चल पाता है. आज पूरे विश्व में जितने भी मरीज को ओएसए से पीड़ित है उनमें 80% को इस बीमारी का पता काफी लेट से चलता है.
पूरे विश्व में दो से तीन प्रतिशत रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित : एरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि आज पूरे विश्व में करीब 2 से 3% वयस्क रेस्टलेस लेग सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित है. लगभग 4 से 56 प्रतिशत लोग निद्रा के अन्य विकार जैसे नींद में चलना, स्लिप टेरर आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं. पूरे विश्व में लगभग 45% व्यक्ति नींद की कमी से होने वाले असर को महसूस करते हैं और उनके स्वास्थ्य पर इसको प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी की पहचान बहुत आसानी से की जा सकती है. जैसे किसी व्यक्ति में कुछ लक्षण अगर दिखाई देना शुरू हो जाए तो यह समझ लेना चाहिए कि वह इस बीमारी से पीड़ित है. जैसे दिन में अत्यधिक सोना नींद, आने में कठिन नहीं होना, रात में बार-बार जागना, नींद पूरी न होना, खर्राटे आना, नींद के दौरान चोकिंग हो जाना, सिर दर्द होना, थकान या चिड़ियापन होना, याददाश्त में कमी, नींद में चलना बोलना और हाथ पैर चलना यह सब रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण है.
जागरूकता से ही अनिद्रा जैसी बीमारी से पीछा छुड़ा सकते हैं : पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग केजीएमयू के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि नींद विकार को डायग्नोज करना बहुत आसान है. इसके लिए क्लीनिकल हिस्ट्री, स्लिप डायरी, फिजिकल एग्जामिनेशन, स्क्रीनिंग टूल जैसे स्टॉप बैंक एएसएस स्कोर और स्लीप स्टडी जैसे मेथड इलाज में अपने जाते हैं. यह निद्रा विकारों को पता करने का सबसे सटीक टेस्ट है. जिससे दिमाग की हलचल, आंखों की गति शेयर की टोन, हृदय गति, सांस लेने का पैटर्न, हाथ पैर का मूवमेंट आदि देखकर निद्रा विकार का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा व्यक्ति खुद ही इन बीमारियों से बचने के लिए घर पर भी अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस बीमारी से खुद को बचा सकता है जैसे नियमित व्यायाम करना मोटापा कम करना योग करना, ओरल डिवाइस और ऑक्सीजन थेरेपी जैसी चीजों को अपना कर वह अनिद्रा जैसी बीमारियों को दूर कर सकता है.
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