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खजुराहो में जनजातीय संस्कृति का खजाना, दीदार के लिए खर्च होंगे मात्र 20 रुपये - Khajuraho Adivarta Museum - KHAJURAHO ADIVARTA MUSEUM

जनजातीय संस्कृति और कलाओं को सहेजने के लिए एमपी का तीसरा बड़ा संग्रहालय खजुराहो में बनाया गया है. साढ़े 7 करोड़ की लागत से इसे 2 एकड़ में तैयार किया गया है. विश्व संग्रहालय दिवस पर जानिए आदिवर्त संग्रहालय की खासियत.

KHAJURAHO ADIVARTA MUSEUM
खजुराहो का आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 9:14 PM IST

Updated : May 17, 2024, 9:22 PM IST

खजुराहो। मध्यप्रदेश के खजुराहो के आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय में जनजातीय समाज की संस्कृति और जीनवशैली को जान सकते हैं. यहां इसे बेहद ही रोचक तरीके से प्रदर्शित किया गया है. खजुराहो में स्थित यह संग्रहालय सांस्कृतिक समृद्धि का खजाना है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है. विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर जानते हैं यहां क्या खास है.

Khujraho Adivarta Museum
आदिवर्त संग्रहालय बना पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र (ETV Bharat)

जनजातीय और लोककला का है अद्भुत संगम

खजुराहो पूरी दुनिया में प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है. यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है. अब खजुराहो को एक नई पहचान मिली है. जनजातीय संस्कृति और कलाओं को सहेजने के लिए यहां आदिवर्त संग्रहालय का निर्माण किया गया है. आदिवर्त संग्रहालय प्रदेश की जनजातीय और लोक कला का अद्भुत संगम है. पर्यटकों को मध्यप्रदेश के अंचलों, जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति से परिचित कराने के लिए इसका निर्माण करवाया गया है. मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड संग्रहालय को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित कर रहा है. दो भागों में विभाजित, इसमें मध्य प्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों के आवासों को प्रदर्शित किया गया है, जहां इन समुदायों के जीवन, कला और संस्कृति को जानने का मौका मिलता है.

tourists attract Glimpse of 7 tribe
एमपी का तीसरा बड़ा संग्रहालय (ETV Bharat)

7 प्रमुख जनजातियों को समझने का मौका

आदिवर्त संग्रहालय में गौंड, भील, भारिया, कोल, सहरिया, बैगा और कोरकू जातियों का एक जगह संगम कर इनका रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा को दिखाया गया है. यह संग्रहालय लगभग 2 एकड़ जमीन पर बनाया गया है और इसको बनाने के लिए लगभग साढ़े 7 करोड़ रुपए का खर्च आया है. इसे घूमने के लिए देशी पर्यटकों को 20 रुपये तो विदेशी पर्यटकों को 400 रुपये देने पड़ते हैं. इसके अलावा यहां पर कैमरे का 100 रुपए चार्ज लिया जाता है.

WORLD MUSEUM DAY
एमपी की जनजातियों की संस्कृति की झलक (ETV Bharat)

प्रदेश का तीसरा बड़ा संग्रहालय

मध्यप्रदेश में भोपाल और उज्जैन के बाद यह तीसरा जनजाति संग्रहालय है ,जिसकी शुरुआत छतरपुर जिले के खजुराहो में की गई है. संग्रहालय में 7 जनजातियों की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. सभ्यता और संस्कृति से परिचित होने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर पहुंच रहे हैं, जिससे क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है.

life art culture of major tribes
जनजातीय और लोककला का देख सकते हैं अद्भुत संगम (ETV Bharat)
Adivarta Museum tribal culture arts
साढ़े 7 करोड़ की लागत से 2 एकड़ में किया गया तैयार (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें:

बुंदेली संग्रहालय में 'बिजना' का संग्रह, रंग बिरंगे हाथ के पंखे गर्मी में कराते हैं ठंडक का एहसास

भिंड में आज भी जिंदा है परंपरा जिसमें हाथों से बनाए जाते हैं मिट्टी के मटके, जानिए देसी मटका का फायदा

5 अंचलों की संस्कृति की भी देख सकते हैं झलक

आदिवर्त संग्रहालय खजुराहो के प्रभारी अशोक मिश्रा ने बताया कि "खजुराहो आने वाले पर्यटक एक ही स्थान पर मध्य प्रदेश की विभिन्न जनजातियों की संस्कृति एवं उनके रहन सहन से परिचित हो रहे हैं. मध्य प्रदेश की 7 लोक जनजातियों के अलावा राज्य के 5 अंचल बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा, निमाड़ और चंबल के लोक समुदायों की संस्कृति एवं विशिष्टता को भी यहां प्रदर्शित किया गया है".

खजुराहो। मध्यप्रदेश के खजुराहो के आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय में जनजातीय समाज की संस्कृति और जीनवशैली को जान सकते हैं. यहां इसे बेहद ही रोचक तरीके से प्रदर्शित किया गया है. खजुराहो में स्थित यह संग्रहालय सांस्कृतिक समृद्धि का खजाना है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है. विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर जानते हैं यहां क्या खास है.

Khujraho Adivarta Museum
आदिवर्त संग्रहालय बना पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र (ETV Bharat)

जनजातीय और लोककला का है अद्भुत संगम

खजुराहो पूरी दुनिया में प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है. यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है. अब खजुराहो को एक नई पहचान मिली है. जनजातीय संस्कृति और कलाओं को सहेजने के लिए यहां आदिवर्त संग्रहालय का निर्माण किया गया है. आदिवर्त संग्रहालय प्रदेश की जनजातीय और लोक कला का अद्भुत संगम है. पर्यटकों को मध्यप्रदेश के अंचलों, जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति से परिचित कराने के लिए इसका निर्माण करवाया गया है. मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड संग्रहालय को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित कर रहा है. दो भागों में विभाजित, इसमें मध्य प्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों के आवासों को प्रदर्शित किया गया है, जहां इन समुदायों के जीवन, कला और संस्कृति को जानने का मौका मिलता है.

tourists attract Glimpse of 7 tribe
एमपी का तीसरा बड़ा संग्रहालय (ETV Bharat)

7 प्रमुख जनजातियों को समझने का मौका

आदिवर्त संग्रहालय में गौंड, भील, भारिया, कोल, सहरिया, बैगा और कोरकू जातियों का एक जगह संगम कर इनका रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा को दिखाया गया है. यह संग्रहालय लगभग 2 एकड़ जमीन पर बनाया गया है और इसको बनाने के लिए लगभग साढ़े 7 करोड़ रुपए का खर्च आया है. इसे घूमने के लिए देशी पर्यटकों को 20 रुपये तो विदेशी पर्यटकों को 400 रुपये देने पड़ते हैं. इसके अलावा यहां पर कैमरे का 100 रुपए चार्ज लिया जाता है.

WORLD MUSEUM DAY
एमपी की जनजातियों की संस्कृति की झलक (ETV Bharat)

प्रदेश का तीसरा बड़ा संग्रहालय

मध्यप्रदेश में भोपाल और उज्जैन के बाद यह तीसरा जनजाति संग्रहालय है ,जिसकी शुरुआत छतरपुर जिले के खजुराहो में की गई है. संग्रहालय में 7 जनजातियों की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. सभ्यता और संस्कृति से परिचित होने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर पहुंच रहे हैं, जिससे क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है.

life art culture of major tribes
जनजातीय और लोककला का देख सकते हैं अद्भुत संगम (ETV Bharat)
Adivarta Museum tribal culture arts
साढ़े 7 करोड़ की लागत से 2 एकड़ में किया गया तैयार (ETV Bharat)

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5 अंचलों की संस्कृति की भी देख सकते हैं झलक

आदिवर्त संग्रहालय खजुराहो के प्रभारी अशोक मिश्रा ने बताया कि "खजुराहो आने वाले पर्यटक एक ही स्थान पर मध्य प्रदेश की विभिन्न जनजातियों की संस्कृति एवं उनके रहन सहन से परिचित हो रहे हैं. मध्य प्रदेश की 7 लोक जनजातियों के अलावा राज्य के 5 अंचल बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा, निमाड़ और चंबल के लोक समुदायों की संस्कृति एवं विशिष्टता को भी यहां प्रदर्शित किया गया है".

Last Updated : May 17, 2024, 9:22 PM IST
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