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नीली रोशनी से जगमग होगी अस्पताल की सभी इमारतें, चर्चा में भोपाल AIIMS गो ब्लू अभियान

वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक पर एम्स भोपाल का गो ब्लू अभियान, आज नीली रोशनी से जगमगाएंगी अस्पताल की सभी इमारतें

BHOPAL AIIMS GO BLUE CAMPAIGN
नीली रोशनी से जगमग होगी अस्पताल की सभी इमारतें (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

भोपाल: एम्स भोपाल में 18 से 24 नवंबर 2024 के बीच वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक का आयोजन किया रहा है. इस अभियान का उद्देश्य एंटीबायोटिक के सही उपयोग और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. इसके अंतर्गत 22 नवंबर 2024 को गो ब्लू अभियान के तहत एम्स भोपाल के अस्पताल और प्रशासनिक भवनों को नीली रोशनी से रोशन किया जाएगा. जिससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके. गो ब्लू, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अभियान शुरू किया गया है.

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या

एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और इसे सामूहिक प्रयासों से ही कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि एम्स भोपाल जागरूकता बढ़ाने, स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने और एंटीबायोटिक के सही उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है. इस सप्ताह एम्स भोपाल स्वास्थ्य कर्मियों और आम जनता को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.

Bhopal AIIMS Go Blue Campaign
भोपाल एम्स का गो ब्लू अभियान (ETV Bharat)

छात्रों, शोधकर्ताओं, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और इसके समाधान को बेहतर तरीके से समझ सकें. मरीजों, उनके परिजनों और आम जनता के लिए अस्पताल के विभिन्न क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक, स्किट और शार्ट वीडियो संदेशों के जरिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है.'

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से निपटने में एम्स का योगदान

बता दें कि एम्स भोपाल मध्य भारत का एकमात्र संस्थान है, जो नियमित रूप से अपनी वेबसाइट पर एंटीबायोग्राम्स को अपडेट करता है. ये एंटीबायोग्राम्स छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को सही एंटीबायोटिक का चयन करने में मदद करते हैं. एम्स भोपाल ने एमपी स्टेट एक्शन प्लान और वन स्टेट- वन हेल्थ पॉलिसी तैयार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. डॉ. अजय सिंह ने बताया कि 'एम्स भोपाल का यह अभियान जनता को जागरूक करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

भोपाल: एम्स भोपाल में 18 से 24 नवंबर 2024 के बीच वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक का आयोजन किया रहा है. इस अभियान का उद्देश्य एंटीबायोटिक के सही उपयोग और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. इसके अंतर्गत 22 नवंबर 2024 को गो ब्लू अभियान के तहत एम्स भोपाल के अस्पताल और प्रशासनिक भवनों को नीली रोशनी से रोशन किया जाएगा. जिससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके. गो ब्लू, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अभियान शुरू किया गया है.

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या

एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और इसे सामूहिक प्रयासों से ही कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि एम्स भोपाल जागरूकता बढ़ाने, स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने और एंटीबायोटिक के सही उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है. इस सप्ताह एम्स भोपाल स्वास्थ्य कर्मियों और आम जनता को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.

Bhopal AIIMS Go Blue Campaign
भोपाल एम्स का गो ब्लू अभियान (ETV Bharat)

छात्रों, शोधकर्ताओं, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और इसके समाधान को बेहतर तरीके से समझ सकें. मरीजों, उनके परिजनों और आम जनता के लिए अस्पताल के विभिन्न क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक, स्किट और शार्ट वीडियो संदेशों के जरिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है.'

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से निपटने में एम्स का योगदान

बता दें कि एम्स भोपाल मध्य भारत का एकमात्र संस्थान है, जो नियमित रूप से अपनी वेबसाइट पर एंटीबायोग्राम्स को अपडेट करता है. ये एंटीबायोग्राम्स छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को सही एंटीबायोटिक का चयन करने में मदद करते हैं. एम्स भोपाल ने एमपी स्टेट एक्शन प्लान और वन स्टेट- वन हेल्थ पॉलिसी तैयार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. डॉ. अजय सिंह ने बताया कि 'एम्स भोपाल का यह अभियान जनता को जागरूक करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

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