छतरपुर: विश्व एड्स दिवस के अवसर पर छतरपुर के जिला जेल में जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया. इसमें कैदियों को एड्स से बचाव और उसके लक्षण के बारे में जानकारी दी गई. दरअसल, छतरपुर में एड्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार, जिले में अभी तक 446 एचआईवी एड्स पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. इसमें महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या ज्यादा है. वहीं, अभी तक इसमें से 60 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं.
हर साल सामने आ रहे 60 मामले
छतरपुर में एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिले में हर साल 60 मामले सामने आ रहे हैं. इसमें ज्यादातर मामले खजुराहो, लवकुश नगर, ट्रांसपोर्ट नगर और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में आ रहे हैं. जिले में एड्स के कुल संक्रमित मरीजों में पुरुषों की संख्या 226 और महिलाओं की संख्या 220 है. अभी तक 60 पीड़ितों की मौत भी हो चुकी है.
लेकिन राहत की बात यह है कि इस अवधि में अस्पताल की गुप्त रोगों से जुड़ी टीम ने 25 ऐसे बच्चों को बूस्टर डोज देकर जान बचाई है, जिनकी मां गर्भावस्था में संक्रमित थीं. यह आकंड़ा मई 2006 से नवंबर 2024 तक का है.
जांच के लिए बनाए गए 55 केंद्र
एचआईवी की जांच के लिए जिले में 55 जांच केंद्र बनाए गए हैं. इसमें 36 केंद्र पीएचसी, 10 सीएचसी, 2 डीएसआरसी, 1 ओएसटी, जिला जेल और टीबी अस्पताल में बनाए गए हैं. इसके अलावा 16 प्राइवेट हॉस्पिटल में भी एचआईवी की जांच की जाती है. काउंसलर की माने तो जांच के लिए आने वाले प्रत्येक 100 में से 90 लोग ऐसे होते हैं जिनमें एचआईवी की संभावना ज्यादा पाई जाती है. छतरपुर में समय-समय पर एचआईवी एड्स के प्रति जागरुक करने के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं.
गर्भवती महिलाओं में बच्चों को भी संक्रमित होने का खतरा
जिला अस्पताल में पदस्थ आईसीटीसी (Integrated Counselling and Testing Centre) काउंसलर संगीता तिवारी ने बताया, "हमारे यहां आने वालों का सबसे पहले हम प्री टेस्ट काउंसलिंग करते हैं, इसके बाद पोस्ट टेस्ट काउंसलिंग की जाती है. एचआईवी पॉजिटिव मरीज को एआरटी मेडिकल कॉलेज में एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) के लिए रेफर किया जाता है, जो मरीज को जीवन भर लेना पड़ती है. वहीं, अगर कोई गर्भवती महिला एचआईवी पॉजिटिव पाई जाती है तो उसके बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए डिलीवरी के 72 घंटों के अंदर नेब्रापिन सिरप दिया जाता है."