सीकर. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस है. महिला हिंसा के ख़लिाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए ये दिन मनाया जाता है. पर सीकर जिले में हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. यहां साल दर साल महिला हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसकी बानगी महिला एवं बाल विकास विभाग के सखी केंद्र के आंकड़ों में देखी जा सकती है. जहां 2020-21 में खुले केंद्र में उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के पहुंचने की संख्या चार साल में पांच गुना तक बढ़ गई है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीकर में महिला हिंसा किस कदर बढ़ रही है.
सखी केंद्र पर 2020-21 में पहले साल 75 केस आए थे, जो पिछले साल 374 व इस साल अक्टूबर तक 264 दर्ज हुए हैं. महिलाओं के प्रति हिंसा का सबसे प्रमुख कारण नशा है. यहां भी सबसे ज्यादा मामले शराब पीकर मारपीट के ही सामने आ रहे हैं. इसके अलावा दहेज जैसी कुप्रथा, पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता व पारिवारिक विवाद भी हिंसा के प्रमुख कारण बन रहे हैं. - राजेंद्र कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, महिला अधिकारिता विभाग सीकर
75 से 374 तक पहुंचा आंकड़ा : सखी केन्द्र पर पहुंचने वाली उत्पीड़ित महिलाओं की संख्या केंद्र खुलने से लेकर हर साल बढ़ी है. एक मई 2019 को शुरू हुए केंद्र में पहले साल मदद मांगने 75 महिलाएं पहुंची तो 2021-22 में 233, 2022 2023 में 349 व 2023-24 में 374 महिलाओं ने केंद्र की शरण ली. वहीं, अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक सात महीनों में ही ये आंकड़ा 264 पहुंच है.
ये आंकड़ा महिला उत्पीड़न की भयावहता के साथ सखी केंद्र की उपयोगिता भी साबित कर रहा है. जिले में सखी केंद्र पहुंचने वाली महिलाएं बड़ी संख्या में घरेलू हिंसा का शिकार हो रही है. केंद्र प्रभारी विद्या जोशी ने बताया कि केंद्र में पहले साल 75 में से 55 महिलाएं इसका शिकार थी तो दूसरे साल 114, तीसरे साल 119 व चौथे साल 145 महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार पाई गईं. इसी तरह इस साल आए 264 में से भी 89 महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार पाई गईं.