शिमला: कोलकाता में रेजिडेंस डॉक्टर के साथ हुए रेप एंड मर्डर और देशभर से सामने आ रहे बलात्कार और हत्याओं के मामलों के बाद महिलाओं की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. देशभर में वूमेन सेफ्टी को लेकर लोगों में रोष है. सरकारें महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या कर रही हैं, इसको लेकर जनता सवाल उठा रही है. ऐसे में देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा क्या-क्या इंतजाम किए गए हैं और कौन-कौन सी योजनाएं बनाई गई हैं, आइए जानते हैं...
2017 के बाद हिमाचल में उठा था वूमेन सेफ्टी का मुद्दा
हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं, जो महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी करती हैं. देवभूमि में भी दुष्कर्म और हत्या के कई बड़े मामले सामने आ चुके हैं, जिससे महिलाओं में सुरक्षा को लेकर डर बना रहता है. सबसे बड़ा मामला 2017 में कोटखाई में गुड़िया रेप एंड मर्डर का सामने आया था, जिसने पूरे प्रदेश की जनता के दिल को दहला कर रख दिया था. इस मामले के बाद से जोर-शोर से महिलाओं कि सुरक्षा को लेकर अवाज उठने लगी थी. सरकार द्वारा भी मामले का संज्ञान लेते हुए महिलाों की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं बनाई गई थी.
- शक्ति बटन
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र हिमाचल प्रदेश के सहयोग से हिमाचल प्रदेश पुलिस ने शक्ति बटन की पहल की. इस पहल का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में संकट में फंसे नागरिकों (खासकर महिलाओं) की मदद करना है. ऐप उपयोगकर्ता के फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट से ऐप यूजर के लिए 3 इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर स्थापित करने की व्यवसथा प्रदान करता है. यूजर को ऐप में अपना गृह जिला सेट, जहां वो आमतौर पर रहता है. 110 अक्षरों तक इमरजेंसी मेसैज ड्राफ्ट भरना होता है और फोन में इमरजेंसी कॉन्टैक्ट को चूज करना होता है. इसके बाद जब भी यूजर संकट में हो तो वो फोन को हिला सकता है, फेंक सकता है या अलर्ट भेजने के लिए मेन स्क्रीन पर मौजूद लाल शक्ति बटन का भी उपयोग कर सकता है. ऐप जिला पुलिस के कंट्रोल रूम के साथा-साथ फोन पर चूज किए गए इमरजेंसी कॉन्टैक्ट को यूजर के जीपीएस कोऑर्डिनेटर का एसएमएस भेजता है. ऐप डिवाइस पर ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी शुरू करता है.
कहां से कर सकते हैं डाउनलोड?
ये ऐप मदद के लिए राज्य/केंद्र सरकार द्वारा स्थापित हेल्पलाइन नंबर भी प्रदान करता है. ये ऐप अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध है. इसे आप अपने फोन में इंस्टाल कर सकते हैं. ऐप के जरिए आप 24 घंटे प्रदेश में स्थापित 13 कंट्रोल रूम्स से कनेक्टेड रहेंगे. प्रदेश में जिला स्तर पर कंट्रोल रूम्स का निर्माण किया गया है. जो विपरीत हालातों में सहायता करेंगे. ऐप को प्लेस्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.
बिना इंटरनेट के भी चलेगी ऐप
ये ऐप बिना इंटरनेट के भी चला सकते हैं. इस ऐप को ओपन करने पर उसमें लोकेशन का ऑपशन आता है, जिसमें आप जिस जिले में रह रहे हैं, वो ऐड कर सकते हैं. उसके बाद आप को ऐप में अपना नाम ऐड करने का ऑपशन आता है. जिसमें आप अपना नाम ऐड कर सकते हैं. अगले ऑपशन में तीन करीबी और विश्वासपात्र लोगों के नंबर उसमें ऐड करने होते हैं. आप चाहें तो इसमें एक नंबर पुलिस स्टेशन का भी ऐड कर सकते हैं. जब भी आप किसी विपरीत या संकट की परिस्थितियों में बटन दबाते हैं तो सबसे पहले पुलिस कंट्रोल रूम और जिन तीन व्यक्तियों के नंबर ऐप में ऐड हैं, उनपर तुरंत मैसेज सैंड हो जाएगा. उसके बाद कंट्रोल रूम में आपकी लोकेशन का पता चलने पर आप के सबसे नजदीक के पुलिस स्टेशन को तुंरत आपकी लोकेशन पर आपकी सहायता के लिए भेजा जाएगा.
- गुड़िया हेल्पलाइन नंबर
वहीं हिमाचल में साल 2017 में हुए गुड़िया रेप व मर्डर के बाद पूर्व जयराम सरकार द्वारा महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा के लिए गुड़िया हेल्पलाइन 1515 शुरू किया गया. जिसमें कोई भी पीड़ित महिला अगर ये नंबर डायल करती है तो उसे पुलिस 24 घंटे के अंदर न्याय प्रदान करती है.
- पुलिस हेल्पलाइन नंबर
वहीं, पुलिस हेल्पलाइन नंबर 945910100 पर कोई भी महिला पुलिस से संकट की घड़ी में सहयोग मांग सकती है. पुलिस उसकी सुरक्षा के लिए तैयार रहती है.
- सीएमहेल्प लाइन नंबर
इसके अलावा साल 2018 में पूर्व जयराम सरकार ने सीएम हेल्पलाइन नंबर 1100 जारी किया था. इस नंबर के जरिए भी कोई भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. जिसके बाद सरकार द्वारा उसे न्याय दिलवाया जाएगा.
इस संदर्भ में एसपी शिमला संजीव गांधी ने बताया, "पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती है. पुलिस सूचना मिलते ही पीड़ित से संपर्क कर उसे सहायाता प्रदान करती है. पुलिस द्वारा स्कूलों में, गांव में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं."