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राजस्थान की मतदाता सूचियों में महिला सशक्तिकरण, पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात में 7 अंक की वृद्धि - MALE FEMALE VOTER SEX RATIO

राजस्थान की मतदाता सूचियों में महिला सशक्तिकरण दिखा है. एसएसआर कार्यक्रम के दौरान पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात में वृद्धि हुई है.

Women empowerment in voter lists
मतदाता सूचियों में महिला सशक्तिकरण (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुर: राजस्थान ने लोकतंत्र की मजबूती में महिलाओं की भागीदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह उपलब्धि है प्रदेश की मतदाता सूचियों में पुरुष-महिला अनुपात में कुछ ही माह में 7 अंकों की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है. राज्य में पुरुष-महिला मतदाताओं का लिंगानुपात फरवरी 2024 के 923 के मुकाबले दिसम्बर 2024 में 930 हो गया है. निर्वाचन विभाग की ओर से लिंगानुपात में अंतर के कारणों का अध्ययन कर उनके निवारण के अनुकूल कार्ययोजना को लागू करने से यह संभव हो पाया है.

एक हजार पर 930 का आंकड़ा: राजस्थान में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) कार्यक्रम-2025 के दौरान मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने एवं संशोधन का कार्य चल रहा है. इस क्रम में 12 दिसम्बर तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 930 महिला मतदाता हैं. उल्लेखनीय है कि यह आंकड़ा राज्य में एसएसआर-2025 के लिए लक्षित मतदाता लिंगानुपात 926 से 4 अंक अधिक है. इस प्रकार राजस्थान में मतदाता सूची के लिंगानुपात के लक्ष्य को पार कर लिया गया है.

पढ़ें: Rajasthan: सात सीटों पर उपचुनाव : 3,193 बुजुर्ग मतदाता घर से दे सकेंगे वोट, होम वोटिंग 4 से 10 नवंबर तक - ECI

एसएसआर कार्यक्रम-2021 से 2024 के बीच के 4 वर्षों के दौरान मतदाता लिंगानुपात में 918 से बढ़कर 923 तक 5 अंक का सुधार हुआ. इस वर्ष कुछ ही महीनों में इस आंकड़े में 7 अंक की बढ़ोतरी हुई है. इसमें खास कर करौली जिले में मतदाता लिंगानुपात में अब तक 20 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. यहां पुरुष और महिला मतदाताओं का अनुपात 20 अगस्त, 2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के समय के मुकाबले 1 दिसंबर, 2024 तक 20 अंक बढ़ गया है. इसी प्रकार, बाड़मेर जिले में मतदाता लिंगानुपात में 18 अंक और बीकानेर में 14 अंक का सुधार हुआ है.

पढ़ें: दूसरे चरण के मतदान में शहरी क्षेत्र के मतदाता आगे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं ज्यादा जागरूक

26 जिलों में लिंगानुपात 900 के पार: एसएसआर-2025 की अवधि में चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों में मतदाता लिंगानुपात 4-4 अंक बढ़कर क्रमश: 994 और 993 हो गया है, जो राज्य में सबसे अधिक है. प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 26 में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात 900 से अधिक है, इनमें से 9 जिलों में यह आंकड़ा 950 से भी अधिक है.

पढ़ें: प्रदेश के दिव्यांग मतदाताओं ने निभाई अपनी जिम्मेदारी, 25 लोकसभा सीटों पर 68.63% ने किया मतदान

महिला मतदाताओं की कुल वृद्धि पुरुषों से अधिक: मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के क्रम में 20 अगस्त 2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के बाद से अब तक मतदाताओं की कुल संख्या में 7,65,624 की वृद्धि हुई है. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 4,52,230 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 3,13,378 है, जबकि इस अवधि में 16 थर्ड जेंडर मतदाताओं के नाम भी सूचियों में जोड़े गए हैं.

पुरुष-महिला मतदाताओं के अनुपात में अंतर के कारण:

  1. साधारणतया परिवार की विवाह-योग्य पुत्रियों का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़वाया जाता है.
  2. नव-विवाहिताओं के नाम जुड़वाने के लिए उनके स्थायी पते से सम्बंधित दस्तावेज आसानी से उपलब्ध नहीं रहते हैं.

समाधान के लिए अभियान: मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन की ओर से निर्देशित किया गया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए घर-घर सम्पर्क कर महिलाओं के नाम जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए. साथ ही, पते संबंधी दस्तावेज के लिए फील्ड मशीनरी द्वारा सत्यापन की उचित प्रक्रिया अपनाकर शपथ-पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं. विशेष कार्य योजना के चलते करौली जिले में लिंगानुपात में 20 अंक, बाड़मेर में 18, बीकानेर में 14 और बारां जिले में लिंगानुपात में 11 अंकों का सुधार हुआ. खास बात है कि दो जिलों, प्रतापगढ़ और चितौड़गढ़ में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात क्रमश: 993 और 994 हो गया है.

जयपुर: राजस्थान ने लोकतंत्र की मजबूती में महिलाओं की भागीदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह उपलब्धि है प्रदेश की मतदाता सूचियों में पुरुष-महिला अनुपात में कुछ ही माह में 7 अंकों की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है. राज्य में पुरुष-महिला मतदाताओं का लिंगानुपात फरवरी 2024 के 923 के मुकाबले दिसम्बर 2024 में 930 हो गया है. निर्वाचन विभाग की ओर से लिंगानुपात में अंतर के कारणों का अध्ययन कर उनके निवारण के अनुकूल कार्ययोजना को लागू करने से यह संभव हो पाया है.

एक हजार पर 930 का आंकड़ा: राजस्थान में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) कार्यक्रम-2025 के दौरान मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने एवं संशोधन का कार्य चल रहा है. इस क्रम में 12 दिसम्बर तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 930 महिला मतदाता हैं. उल्लेखनीय है कि यह आंकड़ा राज्य में एसएसआर-2025 के लिए लक्षित मतदाता लिंगानुपात 926 से 4 अंक अधिक है. इस प्रकार राजस्थान में मतदाता सूची के लिंगानुपात के लक्ष्य को पार कर लिया गया है.

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एसएसआर कार्यक्रम-2021 से 2024 के बीच के 4 वर्षों के दौरान मतदाता लिंगानुपात में 918 से बढ़कर 923 तक 5 अंक का सुधार हुआ. इस वर्ष कुछ ही महीनों में इस आंकड़े में 7 अंक की बढ़ोतरी हुई है. इसमें खास कर करौली जिले में मतदाता लिंगानुपात में अब तक 20 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. यहां पुरुष और महिला मतदाताओं का अनुपात 20 अगस्त, 2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के समय के मुकाबले 1 दिसंबर, 2024 तक 20 अंक बढ़ गया है. इसी प्रकार, बाड़मेर जिले में मतदाता लिंगानुपात में 18 अंक और बीकानेर में 14 अंक का सुधार हुआ है.

पढ़ें: दूसरे चरण के मतदान में शहरी क्षेत्र के मतदाता आगे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं ज्यादा जागरूक

26 जिलों में लिंगानुपात 900 के पार: एसएसआर-2025 की अवधि में चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों में मतदाता लिंगानुपात 4-4 अंक बढ़कर क्रमश: 994 और 993 हो गया है, जो राज्य में सबसे अधिक है. प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 26 में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात 900 से अधिक है, इनमें से 9 जिलों में यह आंकड़ा 950 से भी अधिक है.

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महिला मतदाताओं की कुल वृद्धि पुरुषों से अधिक: मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के क्रम में 20 अगस्त 2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के बाद से अब तक मतदाताओं की कुल संख्या में 7,65,624 की वृद्धि हुई है. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 4,52,230 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 3,13,378 है, जबकि इस अवधि में 16 थर्ड जेंडर मतदाताओं के नाम भी सूचियों में जोड़े गए हैं.

पुरुष-महिला मतदाताओं के अनुपात में अंतर के कारण:

  1. साधारणतया परिवार की विवाह-योग्य पुत्रियों का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़वाया जाता है.
  2. नव-विवाहिताओं के नाम जुड़वाने के लिए उनके स्थायी पते से सम्बंधित दस्तावेज आसानी से उपलब्ध नहीं रहते हैं.

समाधान के लिए अभियान: मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन की ओर से निर्देशित किया गया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए घर-घर सम्पर्क कर महिलाओं के नाम जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए. साथ ही, पते संबंधी दस्तावेज के लिए फील्ड मशीनरी द्वारा सत्यापन की उचित प्रक्रिया अपनाकर शपथ-पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं. विशेष कार्य योजना के चलते करौली जिले में लिंगानुपात में 20 अंक, बाड़मेर में 18, बीकानेर में 14 और बारां जिले में लिंगानुपात में 11 अंकों का सुधार हुआ. खास बात है कि दो जिलों, प्रतापगढ़ और चितौड़गढ़ में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात क्रमश: 993 और 994 हो गया है.

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