गोपालगंज: वैसे तो आपने कई ऐसे रसगुल्ले खाए होंगे, जो चीनी की चाशनी में डूबे होते हैं. हालांकि गोपालगंज में एक ऐसी दुकान है, जहां गुड़ का बना रसगुल्ला मिलता है. ये सिर्फ सर्दियों के मौसम में जिले के एक मात्र दुकान में बनाया जाता है. इस रसगुल्ले के पीछे इस दुकान के संचालक की भी एक रोचक कहानी है.
21 साल पहले शुरू हुई रसगुल्ले की कहानी: बिहारी और बंगाली दोस्त ने मिलकर इस रसगुल्ले की शुरुआत की थी. दरअसल जिला मुख्यालय गोपालगंज में बंगाल स्वीट्स है, जिसे एक बंगाली और बिहारी दोस्तों ने मिलकर खोला था. पिछले 21 सालों से यह मिठाई दुकान खास रसगुल्ले के लिए जानी जाती है. अब तक हमने मौसमी फल खाए थे, लेकिन अब यहां मौसमी रसगुल्ले भी बिक रहे हैं.
बिहारी और बंगाली दोस्त ने खोली दुकान: पूरे साल में मात्र तीन से चार महीने ही इस रसगुल्ले को तैयार किया जाता है. शुगर फ्री नहीं होते हुए भी बिना कोई डर के डायबिटीज वाले इसे खा सकते हैं. बंगाल स्वीट्स के संचालक अभय कुमार उर्फ भोला भाई बताते हैं कि उन्होंने एक बंगाली दोस्त के साथ मिलकर इस दुकान की शुरुआत की थी. पांचवी कक्षा में बंगाल के रहने वाले अनिल पंजा के बेटे अरुण पंजा के साथ उनकी दोस्ती हुई थी और दोनों ने साथ में पढ़ाई की.
क्या है इस खास रसगुल्ले की कीमत: बंगाली स्वीट्स के नाम से 2003 में एक दुकान खोली गई. दुकान खोलने के बाद अभय कुमार चाहते थे कि वो इसे कुछ अलग लोगों तक पहुंचाए. वहीं बंगाल में खजूर गुड़ के रसगुल्ले बनते थे, जहां से उन्हें भी इसका आइडिया आया. यहां लोग इस रसगुल्ले को खूब पसंद करते हैं. इसकी कीमत 400 रुपए प्रति किलो और 20 रुपये पीस है.
पश्चिम बंगाल से मंगाया जाता है खजूर का गुड़: इस मिठाई को खाने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि यह मिठाई साल भर नहीं बनती है. सिर्फ सर्दियों के तीन माहीने में इसे तैयार किया जाता है. अभय बताते हैं कि इस रसगुल्ले को गुड़ से तैयार करने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसे खा सकते हैं. इसके लिए खजूर का गुड़ पश्चिम बंगाल से मंगवाया जाता है. यह गुड़ सर्दियों में ही मिलता है, जिस कारण कुछ ही महीने रसगुल्ला बनाया जाता है.
"दोस्त के साथ मिलकर इस रसगुल्ले की शुरुआत की थी. पिछले 21 सालों से यह मिठाई दुकान खास रसगुल्ले के लिए जानी जाती है. रसगुल्ले बनाने वाले कारीगर भी बंगाल के ही हैं. समीर दा अपने सहयोगियों के साथ करीब 20 साल से रसगुल्ला तैयार करने में लगे हैं."-अभय कुमार भोला, संचालक
सर्दियों में ही क्यों बनता है ये रसगुल्ला?: गोपालगंज में गुड़ का रसगुल्ला बनाने वाले समीर दा ने बताया कि गर्मी के मौसम में खजूर का गुड़ खराब होने लगता है. इसका सीजन सिर्फ सर्दी के मौसम ही है. इसलिए इसको सर्दियों में ही बनाया जाता है. यह सामान्य रसगुल्ले से अलग हल्के भूरे रंग के होते हैं. उन्होंने रसगुल्ला तैयार करने के बारे में खास जानकारी दी.
"रसगुल्ला बनाने के लिए बंगाल से 4 से 5 क्विंटल गुड़ मंगाया जाता है. गाय के दूध का इस्तेमाल करते हैं, दूध का छेना बनाकर छोटे रसगुल्ला का आकार दिया जाता है. रस में पकाने के बाद उसे गुड़ की चासनी में डाला जाता है. ग्राहकों को गुड़ की चासनी में डूबे रसगुल्ले परोसे जाते हैं."- कारीगर
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