शिमला: सरकार ने हाल ही में कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया था. क्या सरकार भविष्य में ऐसे अस्पतालों को भी मर्ज कर सकती है. इसके साथ ही अस्पतालों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है.
धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा ने सरकार से सवाल पूछा था कि कम छात्रों वाले स्कूलों को मर्ज करने की तरह क्या सरकार जिन स्वास्थ्य उप-केंद्रों, प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों में ओपीडी कम है उन्हें बंद करके सरकार वहां के स्टाफ को जहां ओपीडी ज्यादा है या डॉक्टर नहीं हैं, वहा भेजने का विचार कर रही है. सरकार का ऐसा कोई विचार नहीं है तो प्रदेश में खाली पदों को भरने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है.
सरकार ने जवाब में कहा कि उसकी अस्पतालों को मर्ज करने की कोई योजना नहीं है. वहीं, अस्पतालों में खाली पड़े पदों को भरने के बारे में सरकार ने कहा कि 24.09.2024 को चिकित्सा अधिकारियों के 200 पद अनुबन्ध आधार पर भरने के लिए मांग पत्र हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को भेजा है. इसके अतिरिक्त फार्मासिस्टों के 67 पद, रेडियोग्राफर के 23 पद, ओटीए के 216 पद, फिजियोथेरेपिस्ट के 03 पद, प्रयोगशाला सहायक के 37 पद, प्रयोगशाला तकनीशियन के 192 पद, जेओए (आईटी) के 139 पद एवं स्टेनोटाइपिस्ट के 56 पद भरने के लिए विभिन्न भर्ती एजेंन्सियों को मांग पत्र भेजे जा चुके हैं.
हिमाचल प्रदेश का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं देश के अन्य राज्यों से कहीं बेहतर हैं. हिमाचल की सत्तर लाख की आबादी के लिए अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा, डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन, नेरचौक मेडिकल कॉलेज, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा के तौर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. प्राइवेट सेक्टर में एमएमयू मेडिकल कॉलेज सोलन जिला के कुमारहट्टी में है. बिलासपुर में एम्स फंक्शनल हो चुका है. हिमाचल प्रदेश में 115 सिविल अस्पताल हैं. कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 104, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 580 व ईएसआई औषधालयों की संख्या 16 है.