रायपुर: जब हमारा दिल कमजोर हो जाता है तब उसपर काम का बोझ ज्यादा बढ़ जाता है. जब दिल को अपना काम करने के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ता है तब दिल का दौरा पड़ने के खतरे बढ़ जाते हैं. सामान्य शब्दों में कहें तो दिल का दौरा तब पड़ता है जब दिल में खून का प्रवाह तेजी से कम हो जाता है या रुक जाता है. खून के प्रवाह का रुक जाना आमतौर पर दिल की नसों या फिर कहें धमनियों में चर्बी के जमा होने से होता है. जब दिल की धमनियों में वसा यानि फैट जमा हो जाएगा तो वो खून के आने जाने के प्रवाह को कम कर देगा. ऐसी स्थिति में दिल का दौरा पड़ना लाजिमी है.
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बैड कोलेस्ट्रॉल बनाता है आपको दिल का मरीज: इंसान के शरीर में कोलेस्ट्रॉल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोलेस्ट्रॉल कम या ज्यादा होने पर शरीर में कई तरह की परेशानियां देखने को मिलती हैं. कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं. गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल. गुड कोलेस्ट्रॉल हमारे दिल के लिए और शरीर के लिए अच्छा होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल हमारे लिए घातक साबित होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल आर्टिज में जमा होने के बाद हमारे लिए दिक्कतें खड़ी करने लगात है.
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हार्ट अटैक की बढ़ने लगती है संभावनाएं: बैड कोलेस्ट्रॉल से कई तरह के हेल्थ इश्यू सामने आने लगते हैं. बैड कोलेस्ट्रॉल से हार्ट अटैक का खतरा भी बना रहता है. कोलेस्ट्रॉल की वजह से हार्ट की एक्टिविटी भी प्रभावित होती है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ ही व्यक्ति के शरीर पर लीवर से संबंधित समस्या भी शुरू हो जाती है. कोलेस्ट्रॉल एक वैक्स जैसा पदार्थ होता है जो शरीर की हर कोशिकाओं में पाया जाता है. शरीर की कई गतिविधियों में इसकी अहम भूमिका होती है. तय सीमा में हो तो ये सेहत के लिए बेहतर है और ज्यादा मात्रा में शरीर में जमा हो जाए तो घातक है.
"बैड कोलेस्ट्रॉल किसी भी इंसान के शरीर में 200 मिलीलीटर होनी चाहिए. यदि कोलेस्ट्रॉल लेवल 240 से ऊपर जाता है तो यह पता लग जाता है कि कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत हाई हो गया है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह से व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है. जैसे चलते हैं तो हाफना शुरू हो जाता है. बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है. वेट पुट डाउन होने लगता है. ब्रीदिंग डिफिकल्टीस होने लगती है. स्वेटिंग होना, चेस्ट पेन होना, कभी-कभी कभी-कभी हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में व्यक्ति को जब पता चले कि उसका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ रहा है तो ऐसे समय में उन्हें अपनी डाइट पर जरूर ध्यान देना चाहिए." -डॉक्टर सारिका श्रीवास्तव, डायटिशियन, रायपुर
खाने पीने में इन बातों का ध्यान रखिए: किसी के भी शरीर में जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तो खाने में मल्टीग्रेन का उपयोग बढ़ा देना है. व्हाइट राइस बंद करने के साथ ही फैटी चीजों को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. तली भुनी मिर्च मसालेदार चीजें खाने से परहेज करना चाहिए. इसके साथ ही जंक फूड, चाइनीस फूड, फ्राइड खाना नहीं खाना चाहिए. वनस्पति घी का उपयोग भी बंद कर देना चाहिए. लहसुन लेने पर यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद करता है. दिन में दो बार अपनी डाइट में फ्रूटस जरूर लेनी चाहिए. ब्रेकफास्ट के समय ओट्स का उपयोग करने से यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है. लौकी के जूस में हरा धनिया मिलाकर लेते हैं तो यह भी बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है.
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