लखनऊ : होली का त्योहार है. लेकिन, होली खेलने के दौरान बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होता है. बहुत से लोगों को त्वचा का इन्फेक्शन भी हो जाता है तो बहुत से लोगों के आंखों में रंग जाने के कारण दिक्कत भी हो जाती है. ऐसे में होली खेलते समय छोटी-छोटी बातों का व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए. ताकि, व्यक्ति की सेहत पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े. सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर ऐसे मरीज आते हैं, जिनकी आंखों में रंग चला जाता है या फिर जिन्हें त्वचा का इंफेक्शन हो जाता है. इन दोनों ही स्थिति में मरीज को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है.
सूखी होली खेलें : केजीएमयू के डॉ. डी हिमांशु के मुताबिक, दिन में तेज गर्मी और रात में हल्की ठंड बनी हुई है. ऐसे में बीमार होने का खतरा भी अधिक है. होली के दौरान बच्चों और बुजुर्गों का खास ख्याल रखना चाहिए. होली के दिन ज्यादा देर तक पानी में रंग न खेलें, क्योंकि इससे सर्दी और जुकाम हो सकता है. पक्के रंगों की जगह होली अबीर-गुलाल से खेलें. गीली होली खेलने से बचना बेहतर होगा. कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
अस्थमा के रोगी रखें अपना अधिक ध्यान : केजीएमयू के रेस्पेरेट्री मेडिसिन विभाग के हेड प्रो. सूर्यकांत ने बताया कि इस समय लोगों में एलर्जी की समस्या ज्यादा देखी जा रही है. ऐसे में जो सांस के रोगी हैं, वे सूखी होली खेलें. गीले रंग से होली खेलने से सांस फूलने की समस्या हो सकती है. खासतौर पर अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारी वाले मरीज विशेष ध्यान रखें. अगर कोई इनहेलर लेता है तो उसे लेना न भूलें. ज्यादा भीड़ वाली जगह में होली खेलने से बचना चाहिए, ताकि कोई समस्या न हो.
इन बातों का रखें ध्यान... |
- सांस के रोगी इनहेलर व दवा लेते रहें. |
- परिवार के साथ ही खेलें होली. |
- केमिकल रंगों से दूरी बनाएं. |
- प्राकृतिक रंगों से खेलें होली. |
- शरीर और बालों पर लगाएं तेल. |
- किसी को बुखार, खांसी हो तो उससे दूरी बनाकर रखें. |
- ज्यादा देर तक गीली होली न खेलें. |
आंखों का रखें खास ख्याल : बलरामपुर अस्पताल में नेत्र रोग विभाग की डॉ. वैभव कुमार के मुताबिक, रंग खेलने से पहले आंखों के आसपास नारियल का तेल अथवा क्रीम लगाएं. रंग खेलते समय चश्मा पहनें और पास में साफ पानी भरकर जरूर रखें. आंखों में जलन होने पर तुरंत साफ पानी से आंखें धोते रहें और तब तक धोएं जब तक जलन खत्म न हो जाए. पक्के और केमिकल वाले रंगों का प्रयोग बिलकुल न करें, क्योंकि ऐसे रंगों में मरकरी, लेड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जो आंखों में जलन, लाली तथा दृष्टि के स्थाई नुकसान जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं. रंग खेलने से पहले कॉन्टैक्ट लेंस उतार दें. यदि आंखो में रंग चला जाता है तो अपनी आंखों को न रगड़ें, अन्यथा पुतली पर खरोच आ सकती है. जिससे आंखों या पुतली का इंफेक्शन भी हो सकता है. अगर आंखों में रंग चला जाये तो तुरंत साफ पानी से आंखों को धुलें. अगर इसके बाद भी समस्या हो तो खुद से इलाज करने की जगह आंखों के स्पेशलिस्ट को तुरंत दिखाकर परामर्श लें.
हर्बल रंग है सेफ ऑप्शन : बलरामपुर अस्पताल में सीनियर स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. मसूद उस्मानी ने बताया कि रंग खेलने से पहले शरीर और बालों में अच्छी तरह तेल लगाने से रंग स्किन पर नहीं चढ़ते हैं और स्किन का बचाव भी होता है. खासतौर पर बच्चों को जरूर तेल या क्रीम लगानी चाहिए, रंग खेलने से पहले बच्चों के बाल बांध दें और उनके नाखून काट दें. नेचुरल कलर से ही होली खेलें. अबीर-गुलाल से होली खेलना ज्यादा अच्छा रहता है. पक्के रंगों से खेलने से बचना चाहिए, इससे स्किन एलर्जी हो सकती है. रंग खेलने के बाद स्किन में किसी तरह की दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
होली पर रहें अलर्ट, मरीजों को मिले बेहतर इलाज : होली को लेकर सरकारी अस्पताल और मेडिकल संस्थानों में अलर्ट जारी किया गया है. प्रदेश के सभी अस्पतालों में होली के दिन इमरजेंसी सेवाएं संचालित की जाएंगी. विशेषज्ञ डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाएगी. पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों को भी मुस्तैद किया जाएगा. इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को सभी अस्पतालों व मेडिकल संस्थानों के अधिकारियों को होली को लेकर विशेष सजगता बरतने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि होली में सड़क हादसे होते हैं. कैमिकल युक्त रंग का भी लोग इस्तेमाल करते हैं. इससे त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं. तरह-तरह के पकवाने खाने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की आशंका बढ़ जाती हैं. ऐसे में मरीजों को अस्पतालों में किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाने के लिए इलाज की व्यवस्था को पुख्ता कर लें. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि इमरजेंसी में जरूरी दवाओं का स्टॉक जुटा लें. त्योहार के मद्देनजर बेवजह अस्पतालों में डॉक्टर-कर्मचारी अवकाश न लें. उन्होंने कहा कि घायल व दूसरे मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए एम्बुलेंस सेवाएं सजग रहें. जरूरतमंदों को शीध्र अस्पताल पहुंचाया जाए. एम्बुलेंस में ही घायलों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया जाए.
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