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IGIMS में रेडियोलॉजी जांच के लिए एक महीने तक की वेटिंग, टेक्नीशियन की कमी से मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं - IGIMS - IGIMS

रेडियोलॉजी, आधुनिक चिकित्सा का एक अहम हिस्सा है. सटीक निदान और उपचार के लिए अत्यंत आवश्यक है. लेकिन, पटना के आईजीआईएमएस में इस महत्वपूर्ण जांच सेवा की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. मरीजों को रेडियोलॉजी जांच के लिए महीनों इंतजार करना पड़ रहा है. यह स्थिति न केवल मरीजों की परेशानी बढ़ा रही है, बल्कि उनके स्वास्थ्य को भी गंभीर जोखिम में डाल रही है. पढ़ें, विस्तार से.

आईजीआईएमएस
आईजीआईएमएस (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 30, 2024, 10:03 PM IST

पटनाः राजधानी पटना के आईजीआईएमएस (Indira Gandhi Institute of Medical Science) में रेडियोलॉजी जांच की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रही है. रेडियोलोजी जांच के लिए लगभग एक महीने बाद का नंबर मिल रहा है. एक्स-रे तक के लिए मरीज को एक सप्ताह की वेटिंग मिल रही है. सीटी स्कैन जांच के लिए 14 से 15 दिन की वेटिंग है. अल्ट्रासाउंड के लिए 25 से 30 दिन बाद का नंबर मिल रहा है. एमआरआई कराने के लिए 3 महीने का इंतजार करना पड़ सकता है.

अस्पताल में लगी भीड़.
अस्पताल में लगी भीड़. (ETV Bharat)

जांच मशीनों की संख्या कमः आईजीआईएमएस के रेडियोलॉजी जांच केंद्र में एक एमआरआई, तीन सीटी स्कैन, चार अल्ट्रासाउंड और पांच एक्स-रे मशीन है. इसमें भी अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे में कैंसर मरीजों के लिए अलग मशीन की व्यवस्था है. इसके अलावा जांच में इमरजेंसी मरीज को प्राथमिकता दी जाती है. इस स्थिति में प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले पेशेंट के लिए दो एक्स-रे मशीन और दो अल्ट्रासाउंड मशीन ही रहती है. ऐसे में ओपीडी में जो मेरी जाते हैं उन्हें महीने बाद का नंबर मिल रहा है.

प्राइवेट में जांच कराने को मजबूरः अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन जांच में इतनी लंबी वेटिंग होने के कारण मरीज प्राइवेट में इलाज करने को विवश है. ऐसे में आईजीआईएमएस में जिस दर पर जांच होती है उससे तीन गुना से चौगुना कीमत देकर के मरीज प्राइवेट लैब में जांच करा रहे हैं. पटना सिटी से शुक्रवार को अपनी मां की जांच कराने आए मोहम्मद हसन ने कहा कि डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराने कहा है. उसे 12 सितंबर का नंबर मिला है.

जांच के लिए लगता है नंबर.
जांच के लिए लगता है नंबर. (ETV Bharat)

क्या कहते हैं अधीक्षकः अस्पताल की अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि उनके पास कुशल टेक्नीशियन की थोड़ी कमी हो गई है. आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काफी टेक्नीशियन हैं और हाल में सरकार की तरफ से नियमित नियुक्ति हुई. इसमें काफी संख्या में कुशल कर्मचारी अस्पताल से चले गए हैं. अस्पताल में दूरदराज क्षेत्र से गरीब मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. मेरे संज्ञान में भी है कि समय पर जांच नहीं हो पा रही है. जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा.

इसे भी पढ़ेंः CM नीतीश ने IGIMS में निर्माणाधीन सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल का लिया जायजा, 188 करोड़ की लागत से होना है निर्माण - Nitish Kumar

पटनाः राजधानी पटना के आईजीआईएमएस (Indira Gandhi Institute of Medical Science) में रेडियोलॉजी जांच की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रही है. रेडियोलोजी जांच के लिए लगभग एक महीने बाद का नंबर मिल रहा है. एक्स-रे तक के लिए मरीज को एक सप्ताह की वेटिंग मिल रही है. सीटी स्कैन जांच के लिए 14 से 15 दिन की वेटिंग है. अल्ट्रासाउंड के लिए 25 से 30 दिन बाद का नंबर मिल रहा है. एमआरआई कराने के लिए 3 महीने का इंतजार करना पड़ सकता है.

अस्पताल में लगी भीड़.
अस्पताल में लगी भीड़. (ETV Bharat)

जांच मशीनों की संख्या कमः आईजीआईएमएस के रेडियोलॉजी जांच केंद्र में एक एमआरआई, तीन सीटी स्कैन, चार अल्ट्रासाउंड और पांच एक्स-रे मशीन है. इसमें भी अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे में कैंसर मरीजों के लिए अलग मशीन की व्यवस्था है. इसके अलावा जांच में इमरजेंसी मरीज को प्राथमिकता दी जाती है. इस स्थिति में प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले पेशेंट के लिए दो एक्स-रे मशीन और दो अल्ट्रासाउंड मशीन ही रहती है. ऐसे में ओपीडी में जो मेरी जाते हैं उन्हें महीने बाद का नंबर मिल रहा है.

प्राइवेट में जांच कराने को मजबूरः अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन जांच में इतनी लंबी वेटिंग होने के कारण मरीज प्राइवेट में इलाज करने को विवश है. ऐसे में आईजीआईएमएस में जिस दर पर जांच होती है उससे तीन गुना से चौगुना कीमत देकर के मरीज प्राइवेट लैब में जांच करा रहे हैं. पटना सिटी से शुक्रवार को अपनी मां की जांच कराने आए मोहम्मद हसन ने कहा कि डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराने कहा है. उसे 12 सितंबर का नंबर मिला है.

जांच के लिए लगता है नंबर.
जांच के लिए लगता है नंबर. (ETV Bharat)

क्या कहते हैं अधीक्षकः अस्पताल की अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि उनके पास कुशल टेक्नीशियन की थोड़ी कमी हो गई है. आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काफी टेक्नीशियन हैं और हाल में सरकार की तरफ से नियमित नियुक्ति हुई. इसमें काफी संख्या में कुशल कर्मचारी अस्पताल से चले गए हैं. अस्पताल में दूरदराज क्षेत्र से गरीब मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. मेरे संज्ञान में भी है कि समय पर जांच नहीं हो पा रही है. जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा.

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