रायबरेली: गदागंज थाना क्षेत्र में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए क्षेत्र के व्यापारियों और ग्रामीणों ने लामबंद होकर थाने का घेराव किया. दुकान बंद कर ग्रामीणों के साथ गदागंज थाना पहुंचे व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने आरोप लगाया कि लूट की सूचना देने वाले युवाओं को ही पुलिस ने मुख्य आरोपी बना दिया है.
बता दें कि गदागंज थाना कस्बे में 20 अगस्त को जन सुविधा केंद्र के संचालक से 8 लाख रुपये की लूट की घटना सामने आई थी. इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर माल बरामदगी का दावा किया था. इस गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठने लगे. ग्रामीणों के अनुसार गांव के ही दीपू और तीन अन्य युवक ने रास्ते में पड़े रुपये से भरे बैग को देखा और सूचना तुरंत ग्राम प्रधान को दी.
ग्रामीण और दुकानदारों का कहना है कि ग्राम प्रधान ने इसकी जानकारी गदागंज थाना अध्यक्ष को दी थी. इस पर पुलिस ने युवकों को थाने बुलाकर रुपए से भरे बैग को सौंपने को कहा था. तीनों युवकों ने रुपये से भरा बैग पुलिस को सौंप दिया था. उस समय पुलिस ने युवकों को छोड़ दिया था. लेकिन दो दिन बाद तीनों युवकों को थाने बुलाकर गिरफ्तारी दिखाई गई. लूट के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया गया.
इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों और व्यापारियों ने थाने का घेराव किया. गदागंज कस्बे के सभी दुकानदारों ने विरोध में अपनी दुकान बंद कर दी और पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए. ग्रामीण और व्यापारी ने इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
डलमऊ क्षेत्राधिकारी अरुण नोवहार ने थाना गदागंज में व्यापारी व ग्रामीण आये थे. मामले में निष्पक्ष जांच के लिये अपना पक्ष रखा. जिन लोगों को जेल भेजा गया है, उन्हें साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में जांच अभी भी प्रचलित है.