विदिशा। शहर के महारानी लक्ष्मी बाई हाई स्कूल के सामने बालाजी एनक्लेव के मुख्य द्वार के पास बनी प्राचीन बावड़ी अब कचरा घर बनती जा रही है. आपको बता दें कि ये बावड़ी अंग्रेजों के जमाने में भी मौजूद थी और इस बावड़ी से लोगों की प्यास बुझती थी. लेकिन बारिश कम होने से व नलकूपों से हो रहे पानी के दोहन के चलते बावड़ी सूखती जा रही है. आसपास के लोगों ने इसे कचड़ा घर बना दिया है. सभी लोग अपने घरों के कचरा इसी में डालते हैं.
बावड़ी की हालत जर्जर
लोगों की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई बावड़ी की हालत जर्जर हो चुकी है. पानी में कीड़े पड़ गए हैं और पानी बदबू देने लगा है. रहवासी बताते हैं कि एक समय था जब लोग इस बावड़ी से पानी निकालकर खेती किया करते थे और इसका पानी रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल किया जाता था. बारिश कम होने से बावड़ियों व कुएं सुखते जा रहे है. लोगों को जब से नलकूपों के जरिए पानी मिलने लगा है तब से लोगों ने कुएं और बावड़ियों का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है. जिस कारण बावड़ियों की हालत खस्ता हो गई है.
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नगर पालिका प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
प्राचीन बावड़ी संरक्षण के अभाव में अपना अस्तित्व खोती जा रही है. इसके संरक्षण को लेकर न तो नगर पालिका प्रशासन, न ही जिला प्रशासन सजग है. प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों ने इसको कचरा घर में तब्दील कर दिया है. कई बार शिकायत किए जाने के बाद भी नगर पालिका ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं बावड़ी के पास रहने वाली बुजुर्ग महिला का कहना है कि अगर बावड़ी की मरम्मत नहीं कराई गई तो आने वाले दिनों में पानी का स्तर और भी कम हो जाएगा. जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. साथी ही आसपास के लोग पानी के लिए तरस जाएंगे. वहीं इस पूरे मामले को लेकर नगर पालिका सीएमओ धीरज शर्मा का कहना है कि "हम इस बावड़ी की जल्द से जल्द सफाई कराकर इसको ढक देंगे जिससे बावड़ी जीवित रह सकेगी.''