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विदिशा में बंदूक की गोली से जलती है होली, टोंक रियासत से चली आ रही अनोखी परंपरा - vidisha unique holika dahan - VIDISHA UNIQUE HOLIKA DAHAN

देशभर में होली के एक दिन पहले होलिका दहन को लेकर जगह-जगह तैयारियां हो गई है. एमपी के विदिशा जिले के सिरोंज में होलिका दहन की अनोखी परंपरा है, जो सैकड़ों सालों से चली आ रही है.

VIDISHA UNIQUE HOLIKA DAHAN
विदिशा में बंदूक की गोली से जलती है होली, टोंक रियासत से चली आ रही अनोखी परंपरा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 24, 2024, 8:06 PM IST

विदिशा। देशभर में होली के त्योहार की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. जगह-जगह होली से एक दिन पहले होलिका दहन के लिए लकड़ियों की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के अंतर्गत आने वाले सिरोंज में होली जलाने की अनोखी परंपरा है. यहां सैकड़ों साल से लोग बंदूक की गोली से निकलने वाली आग से होली जलाते हैं.

बंदूक से फायर कर जलाई जाती थी होलिका

आपको बता दें कि बंदूक की गोली से जलने वाली होलिका को शहर के एक मुख्य स्थान पर जलाया जाता है. इसके बाद इसी होलिका की आग को ले जाकर नगर के अन्य स्थानों पर होली जलाई जाती है. आज भी शहर में रहने वाला कानूनगो माथुर परिवार इस परंपरा का निर्वाहन कर रहा है. जिले के सिरोंज में बीते कई वर्षों से बंदूक की गोली से निकलने वाली आग से होलिका दहन करने की परंपरा चली आ रही है. इस संबंध में आचार्य पंडित नलिनीकांत शर्मा का कहना है कि 'बड़ी होली होलकर राज्य में रावजी की होली कहलाती थी. उस समय भी सूखी घास, रुई आदि रखकर बंदूक से फायर कर आग जलाई जाती थी. बाद में होलकर स्टेट के कानूनगो परिवार द्वारा बंदूक से फायर कर होली जलाई जाने लगी, जो उसी तर्ज पर आज भी जारी है.'

यहां पढ़ें...

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सालों से चली आ रही परंपरा

परिवार के वंशज महेश माथुर ने एक कथा भी इस संदर्भ में बताई. उन्होंने कहा कि 'जब सिरोंज में नवाबी शासन आया तो, होली की इस परंपरा पर रोक लगाने का प्रयास किया गया. होली के चबूतरे पर घास का एक ढेर लगा दिया गया. जिस पर उनके पूर्वजों ने बंदूक से फायर कर होली जला दी थी. उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा इसी तरह से चली आ रही है.'

विदिशा। देशभर में होली के त्योहार की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. जगह-जगह होली से एक दिन पहले होलिका दहन के लिए लकड़ियों की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के अंतर्गत आने वाले सिरोंज में होली जलाने की अनोखी परंपरा है. यहां सैकड़ों साल से लोग बंदूक की गोली से निकलने वाली आग से होली जलाते हैं.

बंदूक से फायर कर जलाई जाती थी होलिका

आपको बता दें कि बंदूक की गोली से जलने वाली होलिका को शहर के एक मुख्य स्थान पर जलाया जाता है. इसके बाद इसी होलिका की आग को ले जाकर नगर के अन्य स्थानों पर होली जलाई जाती है. आज भी शहर में रहने वाला कानूनगो माथुर परिवार इस परंपरा का निर्वाहन कर रहा है. जिले के सिरोंज में बीते कई वर्षों से बंदूक की गोली से निकलने वाली आग से होलिका दहन करने की परंपरा चली आ रही है. इस संबंध में आचार्य पंडित नलिनीकांत शर्मा का कहना है कि 'बड़ी होली होलकर राज्य में रावजी की होली कहलाती थी. उस समय भी सूखी घास, रुई आदि रखकर बंदूक से फायर कर आग जलाई जाती थी. बाद में होलकर स्टेट के कानूनगो परिवार द्वारा बंदूक से फायर कर होली जलाई जाने लगी, जो उसी तर्ज पर आज भी जारी है.'

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सालों से चली आ रही परंपरा

परिवार के वंशज महेश माथुर ने एक कथा भी इस संदर्भ में बताई. उन्होंने कहा कि 'जब सिरोंज में नवाबी शासन आया तो, होली की इस परंपरा पर रोक लगाने का प्रयास किया गया. होली के चबूतरे पर घास का एक ढेर लगा दिया गया. जिस पर उनके पूर्वजों ने बंदूक से फायर कर होली जला दी थी. उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा इसी तरह से चली आ रही है.'

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