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धूम मचाने आ गया विक्टर और जानपुरी मेघा, भर देगा आपका खजाना - Jaanpuri Megha bitter gourd

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 29, 2024, 4:29 PM IST

करेला खाने में कड़वा जरुर होता है लेकिन इसके गुण मीठे होते हैं. अगर आपने कड़वा होने के चलते करेला नहीं चखा है तो अब चख लीजिए. छत्तीसगढ़ के बाजार में विक्टर, जानपुरी मेघा और फैजाबादी स्मॉल धूम मचाने के लिए तैयार है

Jaanpuri Megha varieties of bitter gourd
धूम मचाने आ गया विक्टर और जानपुरी मेघा (ETV Bharat)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसान करेला की खेती अगर तकनीकों को ध्यान में रखकर करेंगे तो उनकी फसल सोने की तरह लहलहाएगी. किसानों का मुनाफा भी दोगुना हो जाएगा. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अच्छी फसल के लिए बस चंद बातों का ध्यान रखना होगा. किसानों को किस वक्त पर बीज लगाना है. अधिक उत्पादन पाने के लिए किन बातों पर ध्यान देना है. करेली की खेती के लिए उपयुक्त मौसम कौन सा होगा. बारिश के मौसम में करेली की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. अगर सही तरीके से करेले की खेती की जाए तो किसानों को एक साल में ये फसल मालामाल कर देगी.

धूम मचाने आ गया विक्टर और जानपुरी मेघा (ETV Bharat)

विक्टर और जानपुरी मेघा, भर देगा आपका खजाना: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में मानसून के समय करेले की खेती बहुत फायदेमंद है. छत्तीसगढ़ में कुछ त्योहार के समय करेले की डिमांड ज्यादा रहती है. करेला एक नारवर्गीय सब्जी है. करेला दो प्रकार का होता है. एक छोटा होती है और एक बड़ा करेला होता है. छोटा करेला को कटही किस्म का करेला कहा जाता है. प्रदेश के किसान अगर बड़ा करेला लगाना चाहते हैं, तो विक्टर, फैजाबादी स्मॉल, जानपुरी मेघा एफ 1, इसके साथ ही वरुण 1 किस्म का लगा सकते हैं. बारिश का मौसम इसके लिए उपयुक्त है''

''करेला लगाते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना है कि जो बड़े किसान हैं उन्हें मेड नाली पद्धति से करेला लगाना चाहिए. इसके साथ ही करेला लगाते समय पलवार का भी उपयोग करें. करेले में फफूंद जनित बीमारियां बहुत ज्यादा पाई जाती हैं. जिस जगह पर किसान करेला लगाएं वहां पर घास फूस नहीं होना चाहिए. करेला लगाने के 23 दिनों के बाद किसानों को इसको सहारा देने की जरूरत पड़ती है." - डॉक्टर घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

करेले का ऐसे रखें ध्यान: करेले की संपूर्ण शाखाओं की देखरेख मानसून के समय किसानों को करना जरूरी है. बारिश के समय ही करेला में फफूंद जनित बीमारियां बहुत जल्दी लगती हैं. बारिश के समय करेले के पौधे को धूप कम मिलता है. इसके साथ ही करेले के पौधे के आसपास के घास फूस को साफ सफाई करने के साथ ही उसकी कटाई करना भी जरूरी है. किसानों को कीटनाशक डालकर घास फूस को खत्म करना चाहिए. कुल मिलाकर खरपतवार को समाप्त करना जरूरी है. प्रदेश के किसान मेड़ नाली पद्धति से करेला लगाएं. इसके साथ ही पलवार लगाने के बाद करेला का सीडलिंग तैयार करके पौधे या थरहा का रोपण करें. बीज के माध्यम से रोपण किया गया पौधा उतना स्वस्थ नहीं होता. ऐसे में किसानों को पॉली बैग में सीडलिंग तैयार कर पौधे का रोपण करना चाहिए.

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धूम मचाने आ गया विक्टर और जानपुरी मेघा (ETV Bharat)

विक्टर और जानपुरी मेघा, भर देगा आपका खजाना: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में मानसून के समय करेले की खेती बहुत फायदेमंद है. छत्तीसगढ़ में कुछ त्योहार के समय करेले की डिमांड ज्यादा रहती है. करेला एक नारवर्गीय सब्जी है. करेला दो प्रकार का होता है. एक छोटा होती है और एक बड़ा करेला होता है. छोटा करेला को कटही किस्म का करेला कहा जाता है. प्रदेश के किसान अगर बड़ा करेला लगाना चाहते हैं, तो विक्टर, फैजाबादी स्मॉल, जानपुरी मेघा एफ 1, इसके साथ ही वरुण 1 किस्म का लगा सकते हैं. बारिश का मौसम इसके लिए उपयुक्त है''

''करेला लगाते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना है कि जो बड़े किसान हैं उन्हें मेड नाली पद्धति से करेला लगाना चाहिए. इसके साथ ही करेला लगाते समय पलवार का भी उपयोग करें. करेले में फफूंद जनित बीमारियां बहुत ज्यादा पाई जाती हैं. जिस जगह पर किसान करेला लगाएं वहां पर घास फूस नहीं होना चाहिए. करेला लगाने के 23 दिनों के बाद किसानों को इसको सहारा देने की जरूरत पड़ती है." - डॉक्टर घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

करेले का ऐसे रखें ध्यान: करेले की संपूर्ण शाखाओं की देखरेख मानसून के समय किसानों को करना जरूरी है. बारिश के समय ही करेला में फफूंद जनित बीमारियां बहुत जल्दी लगती हैं. बारिश के समय करेले के पौधे को धूप कम मिलता है. इसके साथ ही करेले के पौधे के आसपास के घास फूस को साफ सफाई करने के साथ ही उसकी कटाई करना भी जरूरी है. किसानों को कीटनाशक डालकर घास फूस को खत्म करना चाहिए. कुल मिलाकर खरपतवार को समाप्त करना जरूरी है. प्रदेश के किसान मेड़ नाली पद्धति से करेला लगाएं. इसके साथ ही पलवार लगाने के बाद करेला का सीडलिंग तैयार करके पौधे या थरहा का रोपण करें. बीज के माध्यम से रोपण किया गया पौधा उतना स्वस्थ नहीं होता. ऐसे में किसानों को पॉली बैग में सीडलिंग तैयार कर पौधे का रोपण करना चाहिए.

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