बीकानेर. हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ न कुछ परेशानी में रहता है और उसको इन परेशानियों का कारण भी समझ में नहीं आता है. दरअसल हमारे घर में वास्तु सिद्धांत के अनुसार वास्तु दोषों को दूर करने अथवा कम करने में घर की आंतरिक साज-सज्जा की भी काफी भूमिका होती है. वास्तुविद राजेश व्यास बताते हैं कि घर में सुख-शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए कुछ वास्तु नियमों को अपनाया जा सकता है.
पूजा घर का स्थान महत्वपूर्ण : घर में पूजा किस दिशा में होती है इसे बहुत महत्वूपर्ण माना गया है. यदि ये सही जगह पर न हो या पूजाघर की दिशा में अन्य कोई भारी सामान रखा हुआ है तो इससे बहुत ही नकरात्मक प्रभाव घर पर पड़ता है. मन की शांति और घर के चौमुखी विकास के लिए पूजाघर का स्थान उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण पर ही होना चाहिए. क्योंकि ये ही देवताओं का स्थान होता है. यह भी ध्यान रखें की पूजाघर के ऊपर या नीचे कभी टॉयलेट, रसोईघर या सीढ़ियां न हो.
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रंगो की भूमिका : सब कुछ ठीक होने के बाद भी जब लगता है कि धन नहीं रुकता तो आपको अपने घर के दक्षिण-पूर्व दिशा क्षेत्र से नीला रंग हटाने की ज़रुरत है. इस दिशा में हल्का नारंगी, गुलाबी रंगों का प्रयोग करें.
मकड़ी जाले हटाएं : घर के अंदर लगे हुए मकड़ी के जाले,धूल-गंदगी को समय-समय पर हटाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती.
पार्किंग का ये स्थान : पार्किंग हेतु उत्तर-पश्चिम स्थान प्रयोग में लाना शुभ माना गया है.
नहीं सूखे पौधे : घर में बनी हुई क्यारियों या गमलों में लगे हुए पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए. यदि कोई पौधा सूख जाए तो उसे तुरंत वहां से हटा दें. घर या कमरों में कैक्टस के पौधे या कंटीली झाड़ियाँ या काँटों के गुलदस्ते जो की गमलों में साज-सज्जा के लिए सजाते हैं उनसे पूरी तरह बचना चाहिए.
पानी टैंक का स्थान : दक्षिण-पश्चिम दिशा में ओवरहैड वाटर टैंक की व्यवस्था करना लाभप्रद रहता है.
दरवाजे रखें सही : दरवाज़े को खोलते तथा बंद करते समय सावधानी से बंद करें, ताकि कर्कश ध्वनि न निकले.
इस दिशा में न सोएं : किसी भी व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए. ऐसा करने से बेचैनी,घबराहट और नींद में कमी हो सकती है. शयन कक्ष में मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोएं. पूर्व दिशा में सिर एवं पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है.
इस दिशा का खास महत्व : भवन में उत्तर दिशा, ईशान दिशा, पूर्व दिशा, वायव्य दिशा में हल्का सामान रखना शुभ फलदायी होता है. घर में अग्नि से सम्बंधित उपकरण जहाँ तक संभव हो दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए. घर में लगे हुए विद्युत उपकरणों का रख-रखाव उचित ढंग से होना चाहिए. उनमें से किसी भी प्रकार की आवाज या ध्वनि नहीं निकलनी चाहिए.
मेहमानों के लिए रखें ध्यान : मधुर संबंधों के लिए अतिथियों का स्थान या कक्ष उत्तर या पश्चिम की ओर बनाना चाहिए.
निरोगी रहने का उपाय : जो व्यक्ति बार बार बीमारी से पीड़ित हो उसको आरोग्य के दिशा क्षेत्र उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में दवाइयां रखने से जल्दी असर दिखता है और बीमारी से आराम मिलता है.