बीकानेर. वास्तु शास्त्र के अनुसार हर चीज में ऊर्जा होती है, जो आपकी जिंदगी पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालती है. वास्तु शास्त्र ज्योतिष शास्त्र की एक शाखा है. जिसमें दिशाओं के अनुसार हर चीज का महत्व बताया गया है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाते वक्त दिशाओं का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. अगर दिशाओं के अनुकूल घर बना हो तो इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास बता रहे हैं कि घर का नक्शा बनाते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.
इन दिशाओं का यह महत्व : घर की दक्षिण दिशा का नौकरी और शिक्षा से संबंध होता है. वहीं, पश्चिम दिशा पारिवारिक रिश्तों से संबंधित होती हैं. दक्षिण-पश्चिम दिशा व्यक्ति की कुशलता और ज्ञान को प्रभावित करती है. सामाजिक सम्मान का संबंध घर की उत्तर दिशा से होता है. वहीं, उत्तर-पश्चिम दिशा घर में धन और समृद्धि से संबंधित होती है. पति-पत्नी के संबंधों को उत्तर-पूर्व दिशा प्रभावित करती है. घर की पूर्व दिशा बच्चों के विकास, सोच और स्वास्थ्य से जुड़ी होती है. ऐसे में दिशाओं का ध्यान रखते हुए घर बनाना चाहिए.
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घर में रसोई की दिशा : घर में रसोई हमेशा दक्षिण पूर्वी दिशा यानी आग्नेय कोण में बनानी चाहिए. क्योंकि रसोई में अग्नि देवता विराजमान होते हैं. ऐसे में दक्षिण पूर्वी दिशा में रसोई बनाने से घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहेगा.
घर का मुख्य द्वार : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बड़ा होना चाहिए. द्वार ऐसा हो जो अंदर की तरफ खुले, साथ ही मुख्य दरवाजे के सामने कोई पड़ नहीं होना चाहिए. घर का मुख्य द्वार हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होगा, तो घर में नकारात्मकता आएगी.
पूजा घर का स्थान : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर यानी पूजा घर हमेशा ईशान कोण में होना चाहिए. वहीं, पानी के टैंक की दिशा उत्तर-पूर्वी होनी चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार पानी को जमा करके रखने की सही दिशा ईशान कोण है.
देवताओं के स्थापित करने की दिशा : घर बनाते समय हमेशा अग्नि, वायु और जल के देवताओं के स्थानों का ध्यान देना चाहिए. साथ ही इनकी दिशाएं भी नहीं बदलनी नहीं चाहिए.