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घर या दुकान बनाते समय इन दिशाओं का रखें ध्यान, माता लक्ष्मी करेंगी धनवर्षा, जानिए

Vastu Shastra किसी भी मकान, दुकान, ऑफिस आदि बनाते समय वास्तु शास्त्र का ध्यान रखना बहुत जरूरी माना जाता है. किसी भी निर्माण कार्य के पहले दिशाओं का ध्यान रखने से वास्तु दोष दूर की जा सकती है. आईए जानते हैं कि ऐसी कौन-कौन सी 8 दिशाएं हैं, जिसको ध्यान में रखकर निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है.

important directions of Vastu Dosh
निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 20, 2024, 8:03 PM IST

Updated : Mar 21, 2024, 6:10 AM IST

निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें

रायपुर: ऐसा माना जाता है कि घर, ऑफिस, मंदिर या दुकान बनाते समय वास्तु का ध्यान रखने से सुख समृद्धि और खुशहाली आती है. इसलिए ईटीवी भारत ने ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने वास्तु के संबंध में महत्वपूर्ण बातें बताई है.

वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओं का महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी बताते हैं, "वस्तु शब्द से ही 'वास्तु' बना है. भगवान विश्वकर्मा जी को वास्तु शास्त्र का जनक माना जाता है. वास्तु शास्त्र में चार प्रमुख दिशाएं और उनके बीच में चार कोणों का महत्व बताया गया है. वास्तु शास्त्र में आकाश पाताल को भी दिशा माना गया है. ऐसे में वास्तु शास्त्र में 8 दिशाएं मानी गई है."

पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार, कोई भी निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें:

उत्तर दिशा: उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दशा मानी जाती है. इसलिए इस दिशा में धन से जुड़े कार्य होने चाहिए. इस दिशा में तिजोरी का खुलना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसलिए घर और दुकान की तिजोरी को उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए.

ईशान कोण: उत्तर पूर्व दिशा के बीच के कोण को ईशान कोण कहते हैं. इसके स्वामी रूद्र माने गए हैं. इसलिए इस दिशा में घर का मंदिर बनाना शुभ होता है.

पूर्व दिशा: वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा के स्वामी इंद्रदेव हैं. सूर्योदय के कारण यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है. पूर्व दिशा को खुला और साफ रखना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. पूर्व दिशा में वास्तु दोष होने से घर के लोगों में मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आती है.

आग्नेय कोण: अग्नि को पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच को अग्नि को कहा जाता है. इसके स्वामी अग्नि देव हैं. घर की रसोई का निर्माण इसी दिशा में करना उचित माना गया है.

दक्षिण दिशा: वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के स्वामी यम देवता है. इसलिए घर के मालिक के रहने के लिए यह दिशा शुभ मानी गई है. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर घर के मालिक को धन संपदा का नुकसान होता है.

नैऋत्य कोण: दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच नैऋत्य कोण माना गया है. इसका स्वामी राक्षस है. इस दिशा में वास्तु दोष होने से मानसिक अशांति दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.

पश्चिम दिशा: इस दिशा के देवता वरुण देवता को माना गया है पश्चिम दिशा में व्यापार से संबंधित कार्य करने चाहिए. इस दिशा में व्यापार से जुड़े कार्य करने पर लाभ मिलता है.

वायव्य कोण: पश्चिम और उत्तर दिशा के बीच को वायव्य कोण कहा जाता है. इस कोण के स्वामी पवन देव हैं. इसलिए इस दिशा में बेडरूम बनाना बहुत शुभ और फलदाई माना जाता है.

नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें

रायपुर: ऐसा माना जाता है कि घर, ऑफिस, मंदिर या दुकान बनाते समय वास्तु का ध्यान रखने से सुख समृद्धि और खुशहाली आती है. इसलिए ईटीवी भारत ने ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने वास्तु के संबंध में महत्वपूर्ण बातें बताई है.

वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओं का महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी बताते हैं, "वस्तु शब्द से ही 'वास्तु' बना है. भगवान विश्वकर्मा जी को वास्तु शास्त्र का जनक माना जाता है. वास्तु शास्त्र में चार प्रमुख दिशाएं और उनके बीच में चार कोणों का महत्व बताया गया है. वास्तु शास्त्र में आकाश पाताल को भी दिशा माना गया है. ऐसे में वास्तु शास्त्र में 8 दिशाएं मानी गई है."

पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार, कोई भी निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें:

उत्तर दिशा: उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दशा मानी जाती है. इसलिए इस दिशा में धन से जुड़े कार्य होने चाहिए. इस दिशा में तिजोरी का खुलना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसलिए घर और दुकान की तिजोरी को उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए.

ईशान कोण: उत्तर पूर्व दिशा के बीच के कोण को ईशान कोण कहते हैं. इसके स्वामी रूद्र माने गए हैं. इसलिए इस दिशा में घर का मंदिर बनाना शुभ होता है.

पूर्व दिशा: वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा के स्वामी इंद्रदेव हैं. सूर्योदय के कारण यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है. पूर्व दिशा को खुला और साफ रखना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. पूर्व दिशा में वास्तु दोष होने से घर के लोगों में मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आती है.

आग्नेय कोण: अग्नि को पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच को अग्नि को कहा जाता है. इसके स्वामी अग्नि देव हैं. घर की रसोई का निर्माण इसी दिशा में करना उचित माना गया है.

दक्षिण दिशा: वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के स्वामी यम देवता है. इसलिए घर के मालिक के रहने के लिए यह दिशा शुभ मानी गई है. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर घर के मालिक को धन संपदा का नुकसान होता है.

नैऋत्य कोण: दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच नैऋत्य कोण माना गया है. इसका स्वामी राक्षस है. इस दिशा में वास्तु दोष होने से मानसिक अशांति दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.

पश्चिम दिशा: इस दिशा के देवता वरुण देवता को माना गया है पश्चिम दिशा में व्यापार से संबंधित कार्य करने चाहिए. इस दिशा में व्यापार से जुड़े कार्य करने पर लाभ मिलता है.

वायव्य कोण: पश्चिम और उत्तर दिशा के बीच को वायव्य कोण कहा जाता है. इस कोण के स्वामी पवन देव हैं. इसलिए इस दिशा में बेडरूम बनाना बहुत शुभ और फलदाई माना जाता है.

नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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Last Updated : Mar 21, 2024, 6:10 AM IST
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