वाराणसी : उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में शुमार रहे मुख्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो चुकी है. मुख्तार को जेलकर्मियों ने रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बांदा में भर्ती कराया था. अंसारी को उल्टी की शिकायतों के बाद बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था. वहीं इलाज के दौरान मुख्तार ने दम तोड़ दिया. अस्पताल ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई. मुख्तार की मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी काफी हलचल है. बहरहाल बाहुबली रहे मुख्तार ने राजनीति में अपना नाम स्थापित किया था और उसका विवादों से भी खूब नाता रहा.
बाहुबली नेता, पूर्व विधायक के रूप में पूर्वांचल की राजनीति में मुख्तार के नाम की तूती बोलती थी. हालांकि बीते कुछ साल में मुख्तार अंसारी के जीवन में ऐसा भूचाल आया कि उसका सारा रुतबा और रुआब खत्म हो गया. मुख्तार का नाम अपराध के साथ साथ राजनीति में चर्चित रहा. बीते कुछ साल में कोर्ट ने एक के बाद एक कई मामलों में सजा सुनाई तो मुख्तार की सियासी और जरायमी जमीन दोनों खत्म हो गई.
अजय राय के भाई की हत्या का आरोप : 3 अगस्त 1991 की सुबह वाराणसी के लहुराबीर इलाके में स्थित अपने घर के बाहर अवधेश राय अपने छोटे भाई और कांग्रेस नेता अजय राय के साथ थे. उसी दौरान उनके घर के बाहर एक मारुति वैन आकर खड़ी हो गई. गाड़ी किसके लिए और क्यों आई थी, जब तक इसे कोई समझ पाता उसमें से निकले बंदूकधारियों ने अवधेश राय को गोलियों से भून दिया. फायरिंग में मौके पर ही अवधेश की मौत हो गई थी. इस मामले में अजय राय ने मुख्तार अंसारी सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. इस मुकदमे में 5 जून 2023 को अदालत ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद लगातार कई मामलों में मुख्तार के खिलाफ सजा का ऐलान हुआ. वाराणसी का ही एक और मामला था. वाराणसी के कोयला व्यवसायी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष रहे नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकी देने के 27 साल पुराने मामले में कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को मुख्तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा सुनाई थी. मुख्तार अंसारी को बीते 17 माह में 7 मामलों में अदालत ने सजा सुना दी थी, जबकि 65 मामलों में से 20 पर सुनवाई चल रही थी.
साल 2009 में भाजपा को किया था परेशान : मुख्तार अंसारी की पकड़ राजनीतिक दुनिया में भी जबरदस्त थी. बात वाराणसी की करें तो वर्ष 2009 के लोक सभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार को बनारस से टिकट देकर माहौल गर्म कर दिया था. उस समय बनारस सीट से भाजपा के प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी मैदान में थे. मुख्तार के आने से उनके जीत-हार की संभावना लगभग बराबर हो गई थी. भाजपा में भी हार के डर का माहौल था. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि उस समय हारते-हारते जोशी चुनाव जीत गए थे. भाजपा का हिन्दुत्व कार्ड काम कर गया था. मुरली मनोहर जोशी को 2 लाख तीन हजार 122, मुख्तार अंसारी को 1 लाख 85 हजार 911, अजय राय को 1 लाख 23 हजार 874 और राजेश मिश्रा को 66 हजार 386 वोट मिले थे.