बीकानेर. हिन्दू धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है और इस बार वैशाख मास की पूर्णिमा 23 मई को है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर तिथि वार दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है. साल में 12 पूर्णिमा तिथि आती है. पूर्णिमा तिथि को दान पुण्य का विशेष महत्व होता है. इससे पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. वैशाख मास की पूर्णिमा को इसके नाम से भी जाना जाता है इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
तीर्थ स्नान और दान का महत्व : वैसे भी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. वैशाख पूर्णिमा को जहां सनातन धर्म में विशेष माना गया है. वहीं, भगवान बुद्ध के जन्म के कारण बौद्ध समुदाय बुद्ध पूर्णिमा को त्योहार के रूप में मनाता है. पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि समुद्र मंथन में पूर्णिमा तिथि के दिन ही माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं. हालांकि उस समय फाल्गुन मास चल रहा था लेकिन तिथि पूर्णिमा थी, ऐसे में पूर्णिमा को माता लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है.
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16 कलाओं से परिपूर्ण होता चंद्रमा : पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है. इस दिन चंद्रदेव अमृत वर्षा करते हैं जिससे आरोग्य धन संपदा में वृद्धि होती है. चंद्रमा की 16 कलाएं अमृत, मनदा (विचार), पुष्प (सौंदर्य), पुष्टि (स्वस्थता), तुष्टि( इच्छापूर्ति), ध्रुति (विद्या), शाशनी (तेज), चंद्रिका (शांति), कांति (कीर्ति), ज्योत्सना (प्रकाश), श्री (धन), प्रीति (प्रेम), अंगदा (स्थायित्व), पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता) और पूर्णामृत (सुख) होती है. पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान चंद्रमा को अर्ध्य देना चाहिए और शिवलिंग की पूजा कर ॐ सोमाय नमः मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
सत्यनारायण भगवान पूजा और कथा : पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु के अवतार सत्यनारायण भगवान की पूजन और कथा का आयोजन किया जाता है और घरों में लोग सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं. भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप को सत्य का अवतार माना गया है. सत्यनारायण की पूजा और व्रत से स्वास्थ्य, समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है. भगवान सत्यनारायण की पूजा शुक्ल पक्ष में कराई जा सकती है. सत्यनारायण पूजा के लिए पूर्णिमा का दिन महत्व रखता है. वैशाख मास में पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि वैशाख मास भगवान विष्णु को अति प्रिय है.