बीकानेर. हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उदया तिथि के अनुसार वैशाख मास 24 अप्रैल बुधवार से शुरू हो रहा है और 23 मई को वैशाख शुक्ल पूर्णिमा तक रहेगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में वैशाख माह को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. इस मास का धार्मिक महत्व का उल्लेख और महिमा पुराणों में बताई गई है. जिस तरह से चार युगों में सतयुग, चार वेद जैसा शास्त्र, तीर्थों में गंगा का स्थान है उसी तरह से हिन्दू पञ्चांग मास में माधव मास है. स्कंद पुराण में वैष्णव खण्ड में इसकी महिमा बताते हुए लिखा गया कि
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम् ।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम् ।।
दान पुण्य के साथ ही पितरों के लिए तर्पण : वैसे तो दान पुण्य का महत्व हर दिन बताया गया है और इसके लिए हर दिन श्रेष्ठ होता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में विशेष दिन तिथि मास का महत्व भी बतलाया गया है. वैशाख मास में धर्म-कर्म, जल दान करना चाहिए और पितरों के तर्पण के लिए वैशाख अमावस्या का दिन श्रेष्ठ बताया गया है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करना चाहिए और जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना चाहिए. अमावस्या को पीपल पर जल चढ़ाना और दीपक जलाना चाहिए. वैशाख कथा का श्रवण और गीता का पाठ करना चाहिए.
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श्री हरिविष्णु की पूजा : वैशाख माह को माधव माह भी कहा जाता है. जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु का ही एक नाम माधव भी है. इस माह में विष्णु भगवान की पूजा का खास महत्व है. इस मास में आने वाली वरुथिनी एकादशी, मोहिनी एकादशी के साथ ही अक्षय तृतीया और वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व है. माधवमास वैशाख मास का ही एक नाम है और इस माह में भगवान विष्णु का माधव नाम का 'ॐ माधवाय नमः मंत्र का जप करना चाहिए. साथ ही भगवान विष्णु के संभव हो तो 108 नाम का जाप करें. तुलसी पत्र के मिलाकर पंचामृत का भोग अर्पित करें.
प्रमाणिक वैज्ञानिक महत्व आज भी: वैशाख माह में गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में तेल से तली भुनी चीजों को खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं रहता है और शास्त्र सम्मत भी इसकी मनाही की गई है जो कि आज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के हिसाब से भी उपयुक्त है. गर्मी में कम खाना सही रहता है और वैशाख महीने में एक बार ही भोजन करना बताया गया है.