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गर्मी और वनाग्नि ने बिगाड़ा पहाड़ी फलों का स्वाद, उत्पादन कम होने से व्यापारियों को हुआ नुकसान - hill fruits of uttarakhand

Production of Hills fruits decreased गर्मी और जंगल की आग के कारण उत्तराखंड में पहाड़ी फलों का उत्पादन घट गया है. काश्तकार मंडियों की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

Production of Hills fruits decreased
उत्तराखंड के फल पुलम खुमानी और आड़ू की देशभर में मांग (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 23, 2024, 3:58 PM IST

गर्मी और वनाग्नि ने बिगाड़ा पहाड़ी फलों का स्वाद (VIDEO-ETV BHARAT)

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ी फल आड़ू, खुमानी और पुलम की देश के कई बड़ी मंडियों से खूब डिमांड आ रही है. हालांकि, इस साल पहाड़ों में अधिक गर्मी और जंगलों की आग ने इन पहाड़ी फलों के स्वाद को कम कर दिया है. यही कारण है कि पहाड़ के मेवा के नाम से प्रसिद्ध आड़ू, खुमानी और पुलम का उत्पादन इस बार आधा रह गया है.

हल्द्वानी मंडी से इन पहाड़ी फलों को भारी मात्रा में दूसरे राज्यों के लिए भेजा जा रहा है. लेकिन इस बार उत्पादन कम होने के कारण बाजारों में पहाड़ी फल कम देखने को मिल रहे हैं. फल कारोबारियों का कहना है कि इन दिनों नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल, ओखल कांडा समेत अल्मोड़ा जिले से आड़ू, पुलम और खुमानी मंडी पहुंच रहा है.

कुमाऊं के सबसे बड़ी हल्द्वानी मंडी के फल सब्जी एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र जोशी ने बताया, इस बार पहाड़ों में बारिश नहीं होने और अधिक गर्मी होने के कारण पहाड़ के अधिकतर फलों को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा जंगल में कई जगहों पर आग लगने के कारण फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. जिस कारण इस बार पहाड़ी फलों के उत्पादन में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है. यहां तक की बारिश नहीं होने के कारण फलों में रोग भी आ गए हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

पहाड़ों के फल और सब्जियों पर हल्द्वानी की मंडी भी निर्भर करती है. लेकिन उत्पादन कम होने के कारण पहाड़ के फल कारोबारी को भी इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि जहां पिछले सालों तक रोजाना छोटी-बड़ी 150 से अधिक गाड़ियों से पहाड़ के फलों का आना होता था. लेकिन इस बार घटकर 50 से 60 गाड़ी रोजाना रह गया है. पहाड़ों में अधिक गर्मी होने के कारण पेड़ों पर ही पहाड़ी फल खराब हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि उत्पादन नहीं होने के चलते पहाड़ी फल का सीजन जल्द खत्म हो जाएगा.

पहाड़ों के फल कारोबारी सुरेश चंद्र सुयाल ने बताया, पहाड़ी फलों की डिमांड उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र के मंडियों में खूब आ रही है. लेकिन उत्पादन नहीं होने के कारण भरपूर मात्रा में राज्य के दूसरे मंडियों तक माल नहीं पहुंच पा रहा है. व्यापारियों की माने तो आड़ू, पुलम और खुमानी के दाम होल सेल में 40 से 50 रुपए प्रति किलो और खुदरा बाजारों में 80 से 100 रुपए प्रति किलो मिल रहा है.

औषधि गुणों से भरपूर है आड़ू, खुमानी और पुलम: व्यापारियों के मुताबिक, नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल और ओखलकांडा ब्लॉक में आड़ू, खुमानी, पुलम आदि का बहुतायत से उत्पादन होता है. प्रदेश में उत्पादित होने वाले आड़ू में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी केवल नैनीताल जिले की है. जहां करीब आठ हजार से अधिक काश्तकार फलों के उत्पादन से जुड़े हुए हैं.

पहाड़ के फल स्वाद के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं. जिस लोग बड़े चाव से खाते हैं. इन फलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ एंटी ऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में है.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल में पहाड़ी फलों का उत्पादन बढ़ा, मार्केट में ऐसी है डिमांड

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के पहाड़ी फल आडू, खुमानी की गुजरात, महाराष्ट्र के बाजारों में बढ़ी डिमांड, काश्तकारों के खिले चेहरे

गर्मी और वनाग्नि ने बिगाड़ा पहाड़ी फलों का स्वाद (VIDEO-ETV BHARAT)

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ी फल आड़ू, खुमानी और पुलम की देश के कई बड़ी मंडियों से खूब डिमांड आ रही है. हालांकि, इस साल पहाड़ों में अधिक गर्मी और जंगलों की आग ने इन पहाड़ी फलों के स्वाद को कम कर दिया है. यही कारण है कि पहाड़ के मेवा के नाम से प्रसिद्ध आड़ू, खुमानी और पुलम का उत्पादन इस बार आधा रह गया है.

हल्द्वानी मंडी से इन पहाड़ी फलों को भारी मात्रा में दूसरे राज्यों के लिए भेजा जा रहा है. लेकिन इस बार उत्पादन कम होने के कारण बाजारों में पहाड़ी फल कम देखने को मिल रहे हैं. फल कारोबारियों का कहना है कि इन दिनों नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल, ओखल कांडा समेत अल्मोड़ा जिले से आड़ू, पुलम और खुमानी मंडी पहुंच रहा है.

कुमाऊं के सबसे बड़ी हल्द्वानी मंडी के फल सब्जी एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र जोशी ने बताया, इस बार पहाड़ों में बारिश नहीं होने और अधिक गर्मी होने के कारण पहाड़ के अधिकतर फलों को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा जंगल में कई जगहों पर आग लगने के कारण फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. जिस कारण इस बार पहाड़ी फलों के उत्पादन में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है. यहां तक की बारिश नहीं होने के कारण फलों में रोग भी आ गए हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

पहाड़ों के फल और सब्जियों पर हल्द्वानी की मंडी भी निर्भर करती है. लेकिन उत्पादन कम होने के कारण पहाड़ के फल कारोबारी को भी इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि जहां पिछले सालों तक रोजाना छोटी-बड़ी 150 से अधिक गाड़ियों से पहाड़ के फलों का आना होता था. लेकिन इस बार घटकर 50 से 60 गाड़ी रोजाना रह गया है. पहाड़ों में अधिक गर्मी होने के कारण पेड़ों पर ही पहाड़ी फल खराब हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि उत्पादन नहीं होने के चलते पहाड़ी फल का सीजन जल्द खत्म हो जाएगा.

पहाड़ों के फल कारोबारी सुरेश चंद्र सुयाल ने बताया, पहाड़ी फलों की डिमांड उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र के मंडियों में खूब आ रही है. लेकिन उत्पादन नहीं होने के कारण भरपूर मात्रा में राज्य के दूसरे मंडियों तक माल नहीं पहुंच पा रहा है. व्यापारियों की माने तो आड़ू, पुलम और खुमानी के दाम होल सेल में 40 से 50 रुपए प्रति किलो और खुदरा बाजारों में 80 से 100 रुपए प्रति किलो मिल रहा है.

औषधि गुणों से भरपूर है आड़ू, खुमानी और पुलम: व्यापारियों के मुताबिक, नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल और ओखलकांडा ब्लॉक में आड़ू, खुमानी, पुलम आदि का बहुतायत से उत्पादन होता है. प्रदेश में उत्पादित होने वाले आड़ू में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी केवल नैनीताल जिले की है. जहां करीब आठ हजार से अधिक काश्तकार फलों के उत्पादन से जुड़े हुए हैं.

पहाड़ के फल स्वाद के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं. जिस लोग बड़े चाव से खाते हैं. इन फलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ एंटी ऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में है.

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