देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने अंधाधुंध तरीके से कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं को अपनी पार्टी ज्वाइन करवाई. इसमें कई जगह से ऐसे नेता भी थे जो पिछले चुनाव में ही भाजपा के खिलाफ लड़े थे. वे लंबे समय से भाजपा की खिलाफत करते आ रहे थे. अब इन नेताओं के अचानक भाजपा में आ जाने से पुराने नेताओं में असंतोष पनपने लगा है. जिसका असर हाल ही में कई राजनीतिक घटनाक्रमों में भी देखने को मिला है.
हाल ही में हुए कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों की बात करें तो रानीखेत से विधायक प्रमोद नैनवाल का इसमें सबसे बड़ा मामला है. प्रमोद नैनवाल और दर्जाधारी मंत्री कैलाश पंत के आपसी विवादों ने खूब चर्चाएं पकड़ी. देखते ही देखते टिहरी विधानसभा से भी किशोर उपाध्याय और दिनेश धनै के बीच में बयानबाजी का दौर शुरू हुआ. लैंसडाउन से हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के बीजेपी में ज्वाइन करते ही भाजपा के पुराने नेता महंत दिलीप रावत ने भी फेसबुक पर अपनी भड़ास निकाली. उसके बाद प्रदेश भर में इससे जुड़ी खबरें ही आ रही हैं. जिस पर कांग्रेस चुटकी ले रही है.
बीजेपी के बड़े नेताओं के लिए इन घटनाक्रमों पर कुछ भी कहना मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से अपने राज्यसभा पद के शपथ ग्रहण और अन्य कामों में व्यस्त उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने फ्री होते ही इन सभी नेताओं को रिमांड पर लेने का फैसला लिया. ईटीवी से हुई टेलीफोनिक बातचीत में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बताया उन्होंने टिहरी से दिनेश धनै, किशोर उपाध्याय, रानीखेत से कैलाश पंत और प्रमोद नैनवाल को प्रदेश मुख्यालय तलब किया है. उन्होंने कहा वे इन सभी नेताओं से बातचीत करेंगे.
इस पूरे मामले पर भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था है. हर कार्यकर्ता को अपनी बात रखने की स्वतंत्रता है. उन्होंने कहा अगर किसी नेता के बयान या क्रियाकलापों से पार्टी को नुकसान होता है तो निश्चित तौर से उसका संज्ञान लिया जाएगा.