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निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की मौत पर हंगामा, सामने आई ये बड़ी बात - Patient Death Case

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 20, 2024, 10:44 PM IST

Death of Patient after Kidney Transplant, जयपुर के एक निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की मौत पर जमकर हंगामा हुआ. हालांकि, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का भी बयान सामने आया है. यहां जानिए पूरा मामला...

Patient Death Case
मरीज की मौत पर हंगामा

जयपुर. राजधानी जयपुर के निजी अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया. दरअसल कुछ दिन पहले मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी और जब मरीज को रूटीन चेकअप के लिए वापस अस्पताल में लाया गया था, जहां उसकी तबियत बिगड़ गई. उसके बाद उसे ICU में भर्ती किया गया और इस दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया. ऐसे में अस्पताल के बाहर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया और अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि इलाज में लापरवाही के चलते मरीज की मौत हुई है, जबकि अस्पताल प्रशासन में लापरवाही से इनकार कर दिया है.

ये है पूरा मामला : जानकारी के अनुसार करीब दो महीने पहले जयपुर निवासी नरेश की निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी और नरेश की मां ने उसे किडनी डोनेट की थी और 30 मार्च को नरेश को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. उसके बाद जब चार अप्रैल को रूटीन चेकअप के लिए गया तो इस दौरान अस्पताल में उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन शुक्रवार रात नरेश की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया कि हमने मामले में एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई. हंगामे को देखते हुए अस्पताल में पुलिस में पहुंच गई और परिजनों को समझाइश की गई, लेकिन परिजन नहीं माने.

पढ़ें : गलत खून चढ़ाने से मौत मामला- सड़क हादसा बताकर दे दी सहायता राशि, मीना बोले- मैं होता तो नौकरी मिल जाती

अस्पताल का ये कहना : पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से बयान भी जारी किया गया है, जिसके तहत अस्पताल का कहना है कि जयपुर के एक 47 वर्षीय पुरुष मरीज को, जिसने 22 मार्च को अपनी मां द्वारा दान की गई किडनी का प्रत्यारोपण कराया था. 30 मार्च को स्टेबल स्थिति में छुट्टी दे दी गई. हालांकि, उसे पेल्विक डिसफंक्शन और मूत्र संक्रमण के कारण 4 अप्रैल को फिर से भर्ती कराया गया था जो कि कुछ मामलों में हो सकता है. जैसे की मेडिकल लिटरेचर में कहा गया है कि किडनी प्रत्यारोपण में संक्रमण एक प्रमुख जोखिम है. शुरुआत में इलाज पर अच्छी प्रतिक्रिया देने के बाद, मरीज को 19 अप्रैल को एमआईसीयू में कार्डियक अरेस्ट हुआ. हमारी मेडिकल टीम के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, रोगी को रिवाइव नहीं किया जा सका.

जयपुर. राजधानी जयपुर के निजी अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया. दरअसल कुछ दिन पहले मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी और जब मरीज को रूटीन चेकअप के लिए वापस अस्पताल में लाया गया था, जहां उसकी तबियत बिगड़ गई. उसके बाद उसे ICU में भर्ती किया गया और इस दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया. ऐसे में अस्पताल के बाहर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया और अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि इलाज में लापरवाही के चलते मरीज की मौत हुई है, जबकि अस्पताल प्रशासन में लापरवाही से इनकार कर दिया है.

ये है पूरा मामला : जानकारी के अनुसार करीब दो महीने पहले जयपुर निवासी नरेश की निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी और नरेश की मां ने उसे किडनी डोनेट की थी और 30 मार्च को नरेश को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. उसके बाद जब चार अप्रैल को रूटीन चेकअप के लिए गया तो इस दौरान अस्पताल में उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन शुक्रवार रात नरेश की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया कि हमने मामले में एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई. हंगामे को देखते हुए अस्पताल में पुलिस में पहुंच गई और परिजनों को समझाइश की गई, लेकिन परिजन नहीं माने.

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अस्पताल का ये कहना : पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से बयान भी जारी किया गया है, जिसके तहत अस्पताल का कहना है कि जयपुर के एक 47 वर्षीय पुरुष मरीज को, जिसने 22 मार्च को अपनी मां द्वारा दान की गई किडनी का प्रत्यारोपण कराया था. 30 मार्च को स्टेबल स्थिति में छुट्टी दे दी गई. हालांकि, उसे पेल्विक डिसफंक्शन और मूत्र संक्रमण के कारण 4 अप्रैल को फिर से भर्ती कराया गया था जो कि कुछ मामलों में हो सकता है. जैसे की मेडिकल लिटरेचर में कहा गया है कि किडनी प्रत्यारोपण में संक्रमण एक प्रमुख जोखिम है. शुरुआत में इलाज पर अच्छी प्रतिक्रिया देने के बाद, मरीज को 19 अप्रैल को एमआईसीयू में कार्डियक अरेस्ट हुआ. हमारी मेडिकल टीम के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, रोगी को रिवाइव नहीं किया जा सका.

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