पटनाः एनडीए की सरकार बनने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य प्रमुख नेता दिल्ली से लौट चुके हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा पिछले 9 दिनों से दिल्ली में मौजूद हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्यसभा की दो खाली सीटों पर उनकी नजर है. वो भाजपा के सहारे अपनी खोयी हुई जमीन को तलाशने में जुटे हैं. वहीं, आरजेडी उपेंद्र कुशवाहा को उकसाने में लगा है. आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि साजिश के तहत उपेंद्र कुशवाहा को हरवाया गया है.
काराकाट में हुई हार: उपेंद्र कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव एनडीए से लड़ा था. अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सिंबल पर काराकाट से चुनाव लड़ा. उनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के राजा राम कुशवाहा से था. इस बीच भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने पहुंच गये. पवन सिंह ने एनडीए का सारा समीकरण बिगाड़ दिया. उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए. चूंकि पवन सिंह भाजपा से जुड़े थे, इसलिए राजद का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा को चुनाव हरवाया गया है. बता दें कि पवन सिंह को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
लगातार दो हार से भविष्य दांव परः 2019 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं पाए था. लगातार दूसरा चुनाव है जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा है. इस हार से उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया है. राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है उपेंद्र कुशवाहा अपना राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. उन्हें लगता है कि बीजेपी राज्यसभा भेज देगी. प्रिय रंजन भारती को एक आशंका भी है, उनका कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा कभी विश्वासपात्र नहीं रहे हैं. इसलिए भरोसा बनाना चाहते हैं और कुशवाहा कार्ड खेल रहे हैं.
उपेंद्र को राजद ने दिया सलाहः महागठबंधन के नेताओं के तरफ से लगातार कहा जाता रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भाजपा ने साजिश कर कर दी है चुनाव हारने के बाद भी राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि "उपेंद्र कुशवाहा को साजिश के तहत हरा दिया गया, क्योंकि उन्हीं के समाज से आने वाले एनडीए के नेता नहीं चाहते थे कि उपेंद्र कुशवाहा सदन में जाएं और उनका कद बढ़े." एजाज अहमद ने कुशवाहा को सलाह भी कि वो दिल्ली में मंथन करने की जगह, जमीन पर आकर मंथन करना चाहिए. दरअसल, उनका इशारा था कि उपेंद्र कुशवाहा का एनडीए से मोहभंग हो जाना चाहिए.
"चुनाव में हार जीत लगा रहता है. इंदिरा गांधी भी चुनाव हारी थी और इस बार नरेंद्र मोदी भी बहुत अधिक मार्जिन से जीत नहीं पाए हैं. इसलिए चुनाव में यह सब लगा रहता है लेकिन एनडीए एकजुट है और मजबूत है."-भगवान सिंह कुशवाहा, जदयू नेता
2014 में जीते थे काराकाट सेः उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से 2014 में काराकाट से लोकसभा चुनाव जीते थे. उस चुनाव में उनकी पार्टी के दो और सांसद जीते थे. कुशवाहा, केंद्र में मंत्री भी बने. लेकिन राजनीतिक परिस्थिति ऐसी बनी कि कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. एनडीए से बगावत कर महागठबंधन से 2019 में चुनाव लड़े, हार का सामना करना पड़ा. 2024 में एक बार फिर से एनडीए के साथ आए. उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव जीतेंगे और मंत्रिमंडल में शामिल होंगे. लेकिन, उन्हें बड़ा झटका लगा है.
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