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यूपी में अब 'मृतकों' के नहीं बनेंगे DL; परिवहन विभाग ने लागू की नई व्यवस्था - Learning DL

अभी तक सभी लाइसेंस के लिए फेसलेस में ओटीपी की व्यवस्था थी. अब इसके साथ ही बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे हर तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से होगी. सफल होने पर इस पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. आरटीओ कार्यालय में अब फिर से यह व्यवस्था लागू की जाएगी कि जो आवेदक कार्यालय आकर अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं वह यह सुविधा ले सकते हैं.

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यूपी में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आया नया सिस्टम. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 1:38 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग ने आवेदकों को घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनाने की सुविधा दी. लेकिन, साइबर ठगों ने इस सुविधा में सेंध लगा दी और जिंदा तो छोड़िए मृतकों तक के लाइसेंस जारी कर डाले. जब यह राज खुला तो परिवहन विभाग के अफसरों के होश फाख्ता हो गए. इसके बाद अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था में धोखाधड़ी रोकने के लिए नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.

अभी तक सभी लाइसेंस के लिए फेसलेस में ओटीपी की व्यवस्था थी. अब इसके साथ ही बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे हर तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से होगी. सफल होने पर इस पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. आरटीओ कार्यालय में अब फिर से यह व्यवस्था लागू की जाएगी कि जो आवेदक कार्यालय आकर अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं वह यह सुविधा ले सकते हैं.

पिछले दिनों लखनऊ में साइबर कैफे से एक मृतक का लर्निंग लाइसेंस जारी हो गया था. ऐसा इसलिए हो गया था क्योंकि आधार से ओटीपी आने की व्यवस्था है और दलाल अपने ही नंबर पर ओटीपी जनरेट कर लेते हैं. वही ओटीपी डालकर ऑनलाइन परीक्षा दे डालते हैं और किसी का भी लाइसेंस चुटकियों में बन जाता है. एक मृतक का लाइसेंस जारी होने पर पता चला कि जिस व्यवस्था को परिवहन विभाग फूलप्रूफ बता रहा था उसमें तो सेंध लगाना बेहद आसान है.

अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था को फिर से फूलप्रूफ करने के लिए आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक व्यवस्था भी लागू करने का प्लान कर रहा है. अगर यह व्यवस्था लागू हुई तो फर्जीवाड़ा करना आसान नहीं होगा. इस व्यवस्था के तहत फॉर्म भरते समय आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक अनिवार्य होगा.

साथ ही जब लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट दिया जाएगा तो भी बायोमेट्रिक होना जरूरी होगा. इसके पीछे परिवहन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि बायोमेट्रिक होने पर यह तो तय है कि कम से कम वह इंसान वहां पर मौजूद होगा. ऐसा नहीं है कि कोई इंसान है कहीं और उसका लाइसेंस कहीं से भी जारी हुआ जा रहा है.

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों के लिए यह व्यवस्था जारी रहेगी. उन्हें अपने घर में एक बायोमेट्रिक मशीन लेनी होगी जिससे वह बायोमेट्रिक की प्रक्रिया पूरी कर सकें.

अगर साइबर कैफे से कोई लर्निंग लाइसेंस बनवाता है तो इन साइबर कैफे संचालकों के पास भी बायोमेट्रिक मशीन अनिवार्य तौर पर होनी चाहिए, क्योंकि बिना बायोमेट्रिक के लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी हो ही नहीं पाएगी. परिवहन विभाग की तरफ से एनआईसी को सॉफ्टवेयर में बायोमेट्रिक की व्यवस्था जोड़ने के लिए निर्देशित कर दिया है.

परिवहन विभाग के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाने में अगर बायोमेट्रिक मशीन की आवश्यकता पड़ेगी तो आवेदक आरटीओ कार्यालय आकर भी अपना लर्निंग डीएल बनवा सकेंगे, इसकी व्यवस्था करने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है. आवेदकों को भविष्य में आरटीओ कार्यालय में भी शिक्षार्थी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सुविधा फिर से मिल सकती है. इसके लिए आरटीओ कार्यालय में लर्निंग लाइसेंस के स्लॉट बढ़ाए जाने पर मंथन चल रहा है.

परिवहन विभाग की एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (आईटी) सुनीता वर्मा का कहना है कि एनआईसी के साथ बैठक हो चुकी है. बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. अब यह भी व्यवस्था की जाएगी कि आरटीओ कार्यालय में जो अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाने आना चाहते हैं वे आराम से बनवा सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के लिए परिवहन विभाग को उपकरण खरीदकर देगा UPSRTC, खर्च होंगे 6 करोड़ 80 लाख

लखनऊ: परिवहन विभाग ने आवेदकों को घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनाने की सुविधा दी. लेकिन, साइबर ठगों ने इस सुविधा में सेंध लगा दी और जिंदा तो छोड़िए मृतकों तक के लाइसेंस जारी कर डाले. जब यह राज खुला तो परिवहन विभाग के अफसरों के होश फाख्ता हो गए. इसके बाद अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था में धोखाधड़ी रोकने के लिए नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.

अभी तक सभी लाइसेंस के लिए फेसलेस में ओटीपी की व्यवस्था थी. अब इसके साथ ही बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे हर तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से होगी. सफल होने पर इस पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. आरटीओ कार्यालय में अब फिर से यह व्यवस्था लागू की जाएगी कि जो आवेदक कार्यालय आकर अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं वह यह सुविधा ले सकते हैं.

पिछले दिनों लखनऊ में साइबर कैफे से एक मृतक का लर्निंग लाइसेंस जारी हो गया था. ऐसा इसलिए हो गया था क्योंकि आधार से ओटीपी आने की व्यवस्था है और दलाल अपने ही नंबर पर ओटीपी जनरेट कर लेते हैं. वही ओटीपी डालकर ऑनलाइन परीक्षा दे डालते हैं और किसी का भी लाइसेंस चुटकियों में बन जाता है. एक मृतक का लाइसेंस जारी होने पर पता चला कि जिस व्यवस्था को परिवहन विभाग फूलप्रूफ बता रहा था उसमें तो सेंध लगाना बेहद आसान है.

अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था को फिर से फूलप्रूफ करने के लिए आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक व्यवस्था भी लागू करने का प्लान कर रहा है. अगर यह व्यवस्था लागू हुई तो फर्जीवाड़ा करना आसान नहीं होगा. इस व्यवस्था के तहत फॉर्म भरते समय आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक अनिवार्य होगा.

साथ ही जब लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट दिया जाएगा तो भी बायोमेट्रिक होना जरूरी होगा. इसके पीछे परिवहन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि बायोमेट्रिक होने पर यह तो तय है कि कम से कम वह इंसान वहां पर मौजूद होगा. ऐसा नहीं है कि कोई इंसान है कहीं और उसका लाइसेंस कहीं से भी जारी हुआ जा रहा है.

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों के लिए यह व्यवस्था जारी रहेगी. उन्हें अपने घर में एक बायोमेट्रिक मशीन लेनी होगी जिससे वह बायोमेट्रिक की प्रक्रिया पूरी कर सकें.

अगर साइबर कैफे से कोई लर्निंग लाइसेंस बनवाता है तो इन साइबर कैफे संचालकों के पास भी बायोमेट्रिक मशीन अनिवार्य तौर पर होनी चाहिए, क्योंकि बिना बायोमेट्रिक के लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी हो ही नहीं पाएगी. परिवहन विभाग की तरफ से एनआईसी को सॉफ्टवेयर में बायोमेट्रिक की व्यवस्था जोड़ने के लिए निर्देशित कर दिया है.

परिवहन विभाग के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाने में अगर बायोमेट्रिक मशीन की आवश्यकता पड़ेगी तो आवेदक आरटीओ कार्यालय आकर भी अपना लर्निंग डीएल बनवा सकेंगे, इसकी व्यवस्था करने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है. आवेदकों को भविष्य में आरटीओ कार्यालय में भी शिक्षार्थी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सुविधा फिर से मिल सकती है. इसके लिए आरटीओ कार्यालय में लर्निंग लाइसेंस के स्लॉट बढ़ाए जाने पर मंथन चल रहा है.

परिवहन विभाग की एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (आईटी) सुनीता वर्मा का कहना है कि एनआईसी के साथ बैठक हो चुकी है. बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. अब यह भी व्यवस्था की जाएगी कि आरटीओ कार्यालय में जो अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाने आना चाहते हैं वे आराम से बनवा सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के लिए परिवहन विभाग को उपकरण खरीदकर देगा UPSRTC, खर्च होंगे 6 करोड़ 80 लाख

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