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'यूपी के स्मार्ट मीटर के पुर्जे चीनी, जांच क्यों नहीं होती', ऊर्जा मंत्री को भेजीं 5 डिमांड, CBI जांच की मांग

UP Smart Meter: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भेजी डिमांड. कहा, ऊर्जा मंत्रालय समय रहते ले फैसला.

up smart meter.
यूपी के स्मार्ट मीटर को लेकर एक बार फिर उठे सवाल. (up smart meter.)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 13 hours ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आज आयोजित होने वाली आठवीं डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट से पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पांच डिमांड भेजी हैं. ऊर्जा मंत्रालय को समय रहते कार्रवाई करते हुए निर्णय लेने की मांग की गई. आरडीएसएस परियोजना के टेंडरों में गड़बड़ी की सीबीआई से जांच कराने की डिमांड की है.


5 प्रमुख मांगें भेजीं: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की तरफ से भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री को भेजी गईं पांच प्रमुख मांगों में कहा गया है कि गर्मी में देश के ज्यादातर जनरेटर पीक आवर में अपनी बिजली को एक्सचेंज पर रुपया 10 प्रति यूनिट तक बेचते हैं, जबकि सभी को पता है जनरेटर की विद्युत पैदा करने की जो लागत है वह 5.30 रुपए प्रति यूनिट के करीब है. ऐसे में केंद्र यह सख्त कानून बनाए कि चार पैसे प्रति यूनिट मार्जिन से ज्यादा कोई भी जनरेटर कमाई न करे. उसके ऊपर बिजली को न बेच पाए. एक सीलिंग लगाई जाए. यानी कि हरहाल में छह रुपए प्रति यूनिट पर अधिकतम सीलिंग होनी चाहिए. केंद्रीय सेक्टर की अनेकों उत्पादन इकाइयों को जो पीपीए के तहत महंगी बिजली उत्तर प्रदेश को आवंटित है और काफी समय बीत चुका है उसे निरस्त किया जाए.


ये भी मांग उठाईः महंगी बिजली का आवंटन उत्तर प्रदेश के कोटे से हटाया जाए, क्योंकि यहां पर पहले से ही बहुत महंगी बिजली है. पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा रहे हैं और उसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत कोई भी उपभोक्ता को स्मार्ट प्रीपेड मीटर व पोस्टपेड मीटर के विकल्प का अधिकार प्राप्त है, लेकिन भारत सरकार के रूल में अनिवार्य रूप से सभी उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बाध्यता की गई है, जो विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है. इसे वैकल्पिक रखा जाए. विद्युत अधिनियम 2003 उपभोक्ताओं को ये अधिकार देता है.

स्मार्ट मीटर के पुर्जे चीनी हैः उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले देश के निजी घराने ज्यादातर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाले कंपोनेंट में चीनी कंपोनेंट का बडी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं. उस पर कोई भी जांच नहीं हो रही है. एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर चीनी कंपोनेंट की जांच कराई जाए. आरडीएसएस योजना में यह व्यवस्था की जाए कि किसी भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनी के मीटर में कोई भी कमियां सामने आती हैं तो तत्काल उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए. ये कानून में शामिल किया जाए.


मामले की सीबीआई जांच होः केंद्र सरकार की तरफ से स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के मद में आरडीएसएस परियोजना में उत्तर प्रदेश के लिए 18,885 करोड़ रुपए का अनुमोदन दिया गया, लेकिन देश के जो निजी घरानों के टेंडर पास हुए वह 27,342 करोड़ रुपए के हैं. यानी लगभग नौ हजार करोड़ का अंतर. जो साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में टेंडर उच्च दरों पर पास किए गए. इस पूरी योजना की सीबीआई से जांच कराई जाए.

ये भी पढ़ेंः यूपी के 2.75 लाख मीटर घटिया, मीटर रीडिंग गड़बड़, दो कंपनियों को नोटिस; चेयरमैन बोले-जब तक मीटर सही नहीं होंगे तब तक पेमेंट नहीं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आज आयोजित होने वाली आठवीं डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट से पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पांच डिमांड भेजी हैं. ऊर्जा मंत्रालय को समय रहते कार्रवाई करते हुए निर्णय लेने की मांग की गई. आरडीएसएस परियोजना के टेंडरों में गड़बड़ी की सीबीआई से जांच कराने की डिमांड की है.


5 प्रमुख मांगें भेजीं: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की तरफ से भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री को भेजी गईं पांच प्रमुख मांगों में कहा गया है कि गर्मी में देश के ज्यादातर जनरेटर पीक आवर में अपनी बिजली को एक्सचेंज पर रुपया 10 प्रति यूनिट तक बेचते हैं, जबकि सभी को पता है जनरेटर की विद्युत पैदा करने की जो लागत है वह 5.30 रुपए प्रति यूनिट के करीब है. ऐसे में केंद्र यह सख्त कानून बनाए कि चार पैसे प्रति यूनिट मार्जिन से ज्यादा कोई भी जनरेटर कमाई न करे. उसके ऊपर बिजली को न बेच पाए. एक सीलिंग लगाई जाए. यानी कि हरहाल में छह रुपए प्रति यूनिट पर अधिकतम सीलिंग होनी चाहिए. केंद्रीय सेक्टर की अनेकों उत्पादन इकाइयों को जो पीपीए के तहत महंगी बिजली उत्तर प्रदेश को आवंटित है और काफी समय बीत चुका है उसे निरस्त किया जाए.


ये भी मांग उठाईः महंगी बिजली का आवंटन उत्तर प्रदेश के कोटे से हटाया जाए, क्योंकि यहां पर पहले से ही बहुत महंगी बिजली है. पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा रहे हैं और उसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत कोई भी उपभोक्ता को स्मार्ट प्रीपेड मीटर व पोस्टपेड मीटर के विकल्प का अधिकार प्राप्त है, लेकिन भारत सरकार के रूल में अनिवार्य रूप से सभी उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बाध्यता की गई है, जो विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है. इसे वैकल्पिक रखा जाए. विद्युत अधिनियम 2003 उपभोक्ताओं को ये अधिकार देता है.

स्मार्ट मीटर के पुर्जे चीनी हैः उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले देश के निजी घराने ज्यादातर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाले कंपोनेंट में चीनी कंपोनेंट का बडी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं. उस पर कोई भी जांच नहीं हो रही है. एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर चीनी कंपोनेंट की जांच कराई जाए. आरडीएसएस योजना में यह व्यवस्था की जाए कि किसी भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनी के मीटर में कोई भी कमियां सामने आती हैं तो तत्काल उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए. ये कानून में शामिल किया जाए.


मामले की सीबीआई जांच होः केंद्र सरकार की तरफ से स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के मद में आरडीएसएस परियोजना में उत्तर प्रदेश के लिए 18,885 करोड़ रुपए का अनुमोदन दिया गया, लेकिन देश के जो निजी घरानों के टेंडर पास हुए वह 27,342 करोड़ रुपए के हैं. यानी लगभग नौ हजार करोड़ का अंतर. जो साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में टेंडर उच्च दरों पर पास किए गए. इस पूरी योजना की सीबीआई से जांच कराई जाए.

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