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यूपी पावर कॉरपोरेशन; घाटे से ज्यादा है बिजली बिल बकाया, हो जाए वसूली तो न आए निजीकरण की नौबत

बिजली उपभोक्ताओं पर 1 लाख, 15,825 करोड़ रुपये बकाया बताया जा रहा है, जबकि घाटा लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ का.

यूपी पावर कॉरपोरेशन
यूपी पावर कॉरपोरेशन (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

लखनऊ: इन दिनों उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के निजीकरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. कॉरपोरेशन का कहना है लगातार घाटा हो रहा है,जिसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा. अधिकारियों की बैठक में पिछले दिनों इस पर सहमति भी बन चुकी है. हालांकि इसका तीव्र विरोध भी हो रहा है. प्रदेश की बिजली कंपनियां लगभग एक लाख 10 हजार करोड़ के घाटे में बताई जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ पावर कॉरपोरेशन यह भी मान रहा है कि प्रदेश के ऐसे विद्युत उपभोक्ता जिन पर बिजली बिल बकाया है, वह लगभग एक लाख 15,825 करोड़ है. यानी अगर पावर कॉरपोरेशन इस बिल की वसूली कर ले तो घाटे का सवाल ही नहीं रहता.

डिस्काम उपभोक्ताओं पर बकाया

  • दक्षिणांचल 24947 करोड़ रुपए
  • पूर्वांचल 40962 करोड़ रुपए
  • मध्यांचल 30031 करोड़ रुपए
  • पश्चिमांचल 16017 करोड़ रुपए
  • केस्को 3866 करोड़ रुपए
  • कुल डिस्कॉम 11,5825 करोड़ रुपए

निजीकरण गलत: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन बिना मतलब के निजीकरण का राग अलाप कर पूरे प्रदेश में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है. जब उसके पास पब्लिक से बिजली बिल का भुगतान ही वर्ष 2023 -24 तक एक लाख 15,825 करोड़ वसूलना है तो उसकी वसूली कर ले. पावर कॉरपोरेशन लगभग 5,825 करोड़ के फायदे में हो जाएगा. जो लोन की अदाएगी भी कर देगा. अभी भी पावर कॉरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त समय है. वह बिजली निगमों में कहां से पैसे की वसूली हो सकती है, कहां से नो टैरिफ इनकम की जा सकती है, उस पर ध्यान देते हुए बिजली निगम को आत्मनिर्भर बना सकता है.

तीन दिसंबर को सत्याग्रह का नोटिस : विद्युत संविदा मजदूर संगठन की तरफ से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण और संयुक्त उद्यम बनाए जाने की कार्रवाई को रोकने की मांग की गई है. तीन दिसम्बर को प्रदेश के हर ज़िले में सत्याग्रह किए जाने की नोटिस ऊर्जा निगम के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल आईएएस को दिया है. वरिष्ठ मज़दूर नेता आरएस राय ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन से हुई वार्ता में संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि कार्यरत संविदा कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी और सेवा मे निरन्तरता की गारंटी के बगैर निगमों के स्वरूप में किसी भी प्रकार के परिवर्तन में संगठन के सहयोग की अपेक्षा संभव नहीं है.

रखीं ये मांगें: प्रान्तीय प्रभारी पुनीत राय ने बताया कि संगठन संविदा पर कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम ₹22000 और लाइनमैन व कम्प्यूटर आपरेटर को ₹25000 वेतन दिए जाने और सेवा अवधि की 58 वर्ष किए जाने सहित सात लम्बित मांगों का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की गई है. विद्युत मज़दूर संगठन के प्रान्तीय अध्यक्ष विमल चन्द्र पांडेय ने बताया कि संविदा कर्मियों के हितों के लिए किए जाने वाले सत्याग्रह का समर्थन दिए जाने के लिए उन्होंने संगठन से जुड़े सदस्यों को निर्देश जारी किया है.

यह भी पढ़ें : UP की बिजली निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी, सबसे पहले पूर्वांचल-दक्षिणांचल का निजीकरण! खाका तैयार

लखनऊ: इन दिनों उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के निजीकरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. कॉरपोरेशन का कहना है लगातार घाटा हो रहा है,जिसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा. अधिकारियों की बैठक में पिछले दिनों इस पर सहमति भी बन चुकी है. हालांकि इसका तीव्र विरोध भी हो रहा है. प्रदेश की बिजली कंपनियां लगभग एक लाख 10 हजार करोड़ के घाटे में बताई जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ पावर कॉरपोरेशन यह भी मान रहा है कि प्रदेश के ऐसे विद्युत उपभोक्ता जिन पर बिजली बिल बकाया है, वह लगभग एक लाख 15,825 करोड़ है. यानी अगर पावर कॉरपोरेशन इस बिल की वसूली कर ले तो घाटे का सवाल ही नहीं रहता.

डिस्काम उपभोक्ताओं पर बकाया

  • दक्षिणांचल 24947 करोड़ रुपए
  • पूर्वांचल 40962 करोड़ रुपए
  • मध्यांचल 30031 करोड़ रुपए
  • पश्चिमांचल 16017 करोड़ रुपए
  • केस्को 3866 करोड़ रुपए
  • कुल डिस्कॉम 11,5825 करोड़ रुपए

निजीकरण गलत: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन बिना मतलब के निजीकरण का राग अलाप कर पूरे प्रदेश में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है. जब उसके पास पब्लिक से बिजली बिल का भुगतान ही वर्ष 2023 -24 तक एक लाख 15,825 करोड़ वसूलना है तो उसकी वसूली कर ले. पावर कॉरपोरेशन लगभग 5,825 करोड़ के फायदे में हो जाएगा. जो लोन की अदाएगी भी कर देगा. अभी भी पावर कॉरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त समय है. वह बिजली निगमों में कहां से पैसे की वसूली हो सकती है, कहां से नो टैरिफ इनकम की जा सकती है, उस पर ध्यान देते हुए बिजली निगम को आत्मनिर्भर बना सकता है.

तीन दिसंबर को सत्याग्रह का नोटिस : विद्युत संविदा मजदूर संगठन की तरफ से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण और संयुक्त उद्यम बनाए जाने की कार्रवाई को रोकने की मांग की गई है. तीन दिसम्बर को प्रदेश के हर ज़िले में सत्याग्रह किए जाने की नोटिस ऊर्जा निगम के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल आईएएस को दिया है. वरिष्ठ मज़दूर नेता आरएस राय ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन से हुई वार्ता में संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि कार्यरत संविदा कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी और सेवा मे निरन्तरता की गारंटी के बगैर निगमों के स्वरूप में किसी भी प्रकार के परिवर्तन में संगठन के सहयोग की अपेक्षा संभव नहीं है.

रखीं ये मांगें: प्रान्तीय प्रभारी पुनीत राय ने बताया कि संगठन संविदा पर कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम ₹22000 और लाइनमैन व कम्प्यूटर आपरेटर को ₹25000 वेतन दिए जाने और सेवा अवधि की 58 वर्ष किए जाने सहित सात लम्बित मांगों का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की गई है. विद्युत मज़दूर संगठन के प्रान्तीय अध्यक्ष विमल चन्द्र पांडेय ने बताया कि संविदा कर्मियों के हितों के लिए किए जाने वाले सत्याग्रह का समर्थन दिए जाने के लिए उन्होंने संगठन से जुड़े सदस्यों को निर्देश जारी किया है.

यह भी पढ़ें : UP की बिजली निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी, सबसे पहले पूर्वांचल-दक्षिणांचल का निजीकरण! खाका तैयार

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